22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकवादी हमले के बाद भातर ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया और 7 मई को उसने पाकिस्तान के आतंकवादी अड्डों पर हमला करके उन्हें नष्ट कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों पर 500 ड्रोन से अटैक किया लेकिन भारत ने उसे नाकाम कर दिया। इसके बाद भारत ने भी जवाबी हमला करके पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया और उसके एयर डिफेंस सिस्टम के साथ ही कई एयर बैस को भी नष्ट कर दिया। इस बीच अब शांति की बात हो रही है क्योंकि चंद्र की महादशा में सूर्य की अंतर दशा और उसमें चंद्र का प्रत्यांतर चल रहा है इसलिए शांति की बात हो रही है और अब भारत अच्छे से ठोकने के बाद शांति के मूड में आ जाएगा लेकिन पाकिस्तान युद्ध की स्टाइल में ही धीमें धीमें छापा मार युद्ध कर रहा है। यदि उसे समय मिलेगा युद्ध विराम से तो वह और भी ज्यादा स्ट्रांग बनकर भारत पर हमला करेगा। भारत का खर्च ज्यादा हो रहा है उसका खर्च के साथ नुकसान भी हो रहा है।
वर्तमान में ग्रहों की स्थित है भारत के अनुकूल:
वर्तमान में शनि और राहु ने मीन में पिशाच योग बना रखा है जो 18 मई तक रहेगा। 18 मई से 7 जून तक मंगल और राहु का षडाष्टक योग रहेगा इसके बाद शनि और मंगल का षडाष्टक योग बनेगा जो लंबे समय तक रहेगा। फिलहाल की स्थिति भारत के पक्ष में 7 जून तक रहेगी। यदि भारत 7 जून तक पीओके को अपने अधिकार में ले लेता है या तेजी से कार्रवाई करते हुए बलूचिस्तान को अलग कर देता है तो आगे की स्थिति भी उसके अनुकूल होती जाएगी अन्यथा पीओके को अधिकार में लेना भारत के लिए मुश्किल ही नहीं बड़ा कठिन हो जाएगा। फिलहाल चंद्र में सूर्य और सूर्य में मंगल होने के काण भी भारत मजबूत है। यह स्थित 7 जून तक रहेगी। इसके बाद भारत का समय अच्छा नहीं माना जा रहा है। फिर जून 2026 में भारत को फिर से युद्ध में जाना पड़ेगा।
यदि पाकिस्तान को अभी छोड़ दिया तो फिर भारत की मुश्किलें बढ़ सकती है क्योंकि 7 जून के बाद ग्रह नक्षत्रों की दशा बदल जाएगी जो भारत के पक्ष में उतनी नहीं रहेगी जितनी अभी है। इसके बाद 11 जुलाई से लेकर 7 अक्टूबर तक खप्पर योग बनेगा जिसके चलते भारत को नुकसान उठाना पड़ सकता है। आगे फिर वर्ष 26 के मध्य में भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से बड़ा टकराव होगा और यह युद्ध लंबा चलेगा, क्योंकि तब तक पाकिस्तान अपनी पोजिशन स्ट्रांग कर चूका होगा। यानी पाकिस्तान को अभी छोड़ दिया तो फिर वह भारत को बड़े पैमाने पर छेड़ेगा।
भारत की आजादी की कुंडली वृषभ लग्न की है। भारत की कुंडली में चंद्रमा की महादशा में सूर्य की अंतरर्दशा चल रही है। चंद्र और सूर्य दोनों ही तृतीय स्थान में बैठे हुए हैं। तृतीय भाव पड़ोसी का भाव भी है। इससे भारत अपने खोए हुए राज्य प्राप्त करेगा।
चंद्रस्यान्तर्गत सूर्ये स्वेच्चे स्वक्षेत्रसंयुते।
केंद्रात्रिकोणलाभे वा धने वा सोदरे बले।।151।।
अर्थात चंद्रमा की दशा में अपने उच्च या अपनी स्वयं की राशि में गए हुए केंद्र या त्रिकोण या लाभ वा धन में वा तीसरे भाव में बैठे हुए बली सूर्य के अंतर में होगा लाभ।
नष्टराज्य धनप्राप्तिं गृहे कल्याण शोभनम्।
मित्रराजप्रदसादेन ग्रामभूम्यादिलाभकृत।।।152।।
अर्थात नष्ट हुए राज्य की प्राप्ति और धन का लाभ, गृह में कल्याण का अनुभव, मित्र और राजा की प्रसन्नता से ग्रामभूमि आदि का लाभ होगा। 152।
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