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बहन गायब हुई तो जेल गए सारे भाई, फिर भैयादूज पर एक साल बाद अचानक आ गई वापस!

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कानपुर में पति की प्रताड़ना से तंग आकर एक महिला अपने तीन बच्चों को लेकर पिछले साल कहीं चली गई. पति ने कोर्ट के जरिए FIR दर्ज करवाई, जहां महिला के दोनों भाइयों पर अपहरण का आरोप लगाया. इस मामले में पुलिस ने महिला के दोनों भाइयों को जेल भी भेज दिया. फिर एक साल बाद अचानक से महिला अपने मायके पहुंची. यहां उसने अपने पति की करतूत सबको बताई. अब मामले में 26 नवंबर को महिला कोर्ट में पेश होगी.

उत्तर प्रदेश के कानपुर में तीन बच्चों की मां एक दिन अचानक घर से गायब हो गई. महिला के अपहरण का इल्जाम उसके दो भाइयों पर लगा. दोनों भाइयों को जेल तक भेज दिया गया. फिर एक साल बाद अचानक वो महिला अपने मायके आ पहुंची. जैसे ही महिला को पता चला कि उसके दोनों भाई जेल में बंद हैं, वो भी उसी के अपहरण के आरोप में तो वह फूट-फूट कर रोने लगी. इसके बाद महिला ने सच्चाई बताई कि वो क्यों घर से भाग गई थी. साथ ही महिला ने कहा कि वो कुछ भी करके अपने भाइयों को जेल से जरूर आजाद करवाएगी.

फिलहाल पुलिस ने महिला को नारी निकेतन भेज दिया है. यह मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा था. यही नहीं कोर्ट ने इस केस में पुलिस कमिश्नर को तलब किया था. साथ ही इस मामले में एफआर करने वाले विवेचक सस्पेंड भी हो चुके हैं. अब इस केस में पुलिस महिला को हाईकोर्ट में पेश करेगी. मामला बिल्हौर क्षेत्र के शिवराजपुर के कढ़लीपुरवा गांव का है. यहां रहने वाले श्याम नरायण की शादी कुछ साल पहले बिधनू निवासी राखी उर्फ रेखा से शादी हुई थी.दोनों को तीन बच्चे भी हुए. फिर मई 2023 को राखी अपने तीनों बच्चों को लेकर अचानक घर से गायब हो गई. श्याम नारायण ने राखी के मायकेवालों पर अपहरण का आरोप लगाया. फिर कोर्ट के जरिए 28 जुलाई 2023 को शिवराजपुर थाने में FIR दर्ज करवाई. मामले की विवेचना अतिरिक्त इंस्पेक्टर शिव शंकर पटेल ने की. जांच के बाद उन्होंने आरोप फर्जी पाते हुए जून 2024 में फाइनल रिपोर्ट लगा दी.

श्याम नारायण जुलाई में हाईकोर्ट पहुंचा. यहां कोर्ट ने अगस्त में सीपी को तलब कर दिया. फिर जांच में लापरवाही पर शिव शंकर पटेल को सस्पेंड किया गया. इसके बाद मामले की जांच इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को सौंपी गईं. इंस्पेक्टर ने फिर एफआर निरस्त कराई और राखी के भाई राजू और अशोक को अगस्त में जेल भेज दिया. महिला बरामद न होने पर इंस्पेक्टर सुबोध कुमार भी हटा दिए गए.

इंस्पेक्टर ब्रजेश सिंह को जांच दी गई लेकिन वह भी महिला को ढूंढ नहीं पाए. इधर, हाईकोर्ट में पुलिस को तलब किया जाता रहा. फिर मामले की जांच इंस्पेक्टर अरविंद सिंह सिसौदिया को सौंपी गई, वह महिला की खोज में लगे ही थे कि शनिवार को उन्हें सूचना महिला कि राखी अपने तीन बच्चों के साथ रनियां में किसी वाहन का इंतजार कर रही है. इंस्पेक्टर महिला पुलिस के साथ गए और राखी को बरामद कर लिया.

जब पुलिस ने राखी को बताया कि उसके अपहरण में उसके दोनों भाई जेल में हैं तो वह फूट-फूटकर रोने लगी. उसने कहा- मैं तो भैया दूज पर अपने भाइयों को टीका लगाने आई थी. मुझे नहीं मालूम था कि वो जेल में बंद हैं, वो भी उस जुर्म के जो उन्होंने कभी किया ही नहीं. राखी ने कहा- साहब मैं अपने पति से तंग आकर चली गई थी. वो मुझे और मेरे बच्चों को मारता-पीटता था. इसलिए एक साल पहले मैं चुपचाप अपने बच्चों के साथ बिना बताए पहले टेंपो से चौबेपुर चली गई. वहां से वृंदावन गई. कुछ दिन बाद फर्रुखाबाद के एक कोल्ड स्टोरेज में नौकरी करने चली गई. किसी तरह फोन खरीदा. फिर सोचा कि भाई दूज पर भाइयों से मिलने आती हूं. लेकिन यहां आकर पता चला वो तो मेरे ही अपहरण के मामले में जेल में बंद हैं.

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