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अमेरिकी डॉक्टर का चौंकाने वाला दावा- डोलो-650 को कैडबरी जैम्स समझते हैं भारतीय!

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हाल ही में एक अमेरिकी डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर ऐसा बयान दिया, जिसने भारतीयों की दवा लेने की आदतों पर सवाल उठा दिए। डॉ. पालानीअप्पन मनिकम ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि भारतीय लोग Dolo-650 दवा को इस तरह लेते हैं, मानो यह कोई कैडबरी जैम्स हो। इस मजेदार लेकिन चौंकाने वाले दावे ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। कोई इसे हास्य के रूप में ले रहा है, तो कोई इसे गंभीर स्वास्थ्य चेतावनी मान रहा है। आइए, इस पूरे मामले को गहराई से समझते हैं।

एक पोस्ट ने मचाया बवाल

डॉ. पालानीअप्पन, जो पेशे से गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट हैं, ने अपने एक्स हैंडल पर यह टिप्पणी मजाकिया अंदाज में की थी। लेकिन उनके इस बयान ने भारतीय यूजर्स का ध्यान तुरंत खींच लिया। कुछ लोगों ने इसे भारतीयों की दवा के प्रति लापरवाही का मजाक बताया, तो कुछ ने डॉक्टर की इस टिप्पणी को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया। टिप्पणी के बाद से ही एक्स पर #Dolo650 और #CadburyGems जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।

Dolo-650: भारत का 'पसंदीदा' दर्द निवारक

Dolo-650, जिसका मुख्य घटक पेरासिटामॉल है, भारत में बुखार और दर्द से राहत के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में से एक है। खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान इसकी मांग आसमान छू रही थी। लेकिन डॉ. मनिकम का कहना है कि लोग इसे बिना डॉक्टरी सलाह के, जरूरत से ज्यादा ले रहे हैं। उन्होंने इसे कैडबरी जैम्स से जोड़कर इस आदत को हल्के-फुल्के अंदाज में उजागर करने की कोशिश की।

सोशल मीडिया पर दो धड़ों में बंटे लोग

इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कुछ यूजर्स ने इसे मजेदार माना और मीम्स की बाढ़ ला दी। एक यूजर ने लिखा, "Dolo-650 तो हमारा नेशनल स्नैक है!" वहीं, कुछ लोगों ने इसे गंभीरता से लिया और बिना पर्चे के दवाइयों के इस्तेमाल पर चिंता जताई। एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, "हमें अपनी सेहत के प्रति और जागरूक होने की जरूरत है। हर छोटी बात पर Dolo लेना ठीक नहीं।"


क्या है स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि पेरासिटामॉल युक्त दवाएं सुरक्षित हैं, लेकिन इनका अत्यधिक या गलत इस्तेमाल लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है। डॉ. अनिता शर्मा, जो दिल्ली में एक वरिष्ठ फिजिशियन हैं, ने बताया, "Dolo-650 एक प्रभावी दवा है, लेकिन इसे केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए। बिना जरूरत इसे लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।" विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी कि बार-बार और बिना सोचे-समझे दवाइयां लेने की आदत से बचना चाहिए।

भारतीय संस्कृति और दवाओं का रिश्ता

भारत में दवाइयों को लेकर एक खास संस्कृति रही है। कई लोग छोटी-मोटी बीमारियों के लिए तुरंत दवा ले लेते हैं, बिना यह सोचे कि क्या यह जरूरी है। डॉ. मनिकम की टिप्पणी ने इस आदत पर रोशनी डाली है। हालांकि, उनका मजाकिया अंदाज कुछ लोगों को नागवार गुजरा, लेकिन इसने एक जरूरी बहस को जन्म दिया है। क्या हम वाकई अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हैं?

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