आज के दौर में प्रॉपर्टी खरीदना (Property Purchase) सिर्फ एक निवेश नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और आर्थिक निर्णय भी है। लाखों लोग अपने सपनों का घर बनाने के लिए जीवन भर की कमाई दांव पर लगा देते हैं। लेकिन, प्रॉपर्टी डीलिंग में छोटी-सी लापरवाही या लालच आपकी मेहनत की कमाई को पल में बर्बाद कर सकता है। आइए जानते हैं कि प्रॉपर्टी खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है और क्यों फुल पेमेंट एग्रीमेंट (Full Payment Agreement) जैसी गलतियां आपको भारी पड़ सकती हैं।
प्रॉपर्टी खरीदना हर व्यक्ति के लिए एक खास अनुभव होता है। यह न केवल आपकी आर्थिक स्थिति को दर्शाता है, बल्कि आपके भविष्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। लेकिन, महंगाई के इस दौर में प्रॉपर्टी डीलिंग में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। एक गलत कदम आपकी जिंदगी भर की बचत को जोखिम में डाल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रॉपर्टी खरीदते समय कानूनी प्रक्रियाओं को पूरी तरह समझना और उनका पालन करना अनिवार्य है।
फुल पेमेंट एग्रीमेंट: क्यों है यह जोखिम भरा?कई लोग स्टांप ड्यूटी (Stamp Duty) बचाने के लालच में फुल पेमेंट एग्रीमेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे रास्ते अपनाते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि यह कानूनी तौर पर सही नहीं है? फुल पेमेंट एग्रीमेंट एक ऐसा समझौता है, जिसमें खरीदार प्रॉपर्टी की पूरी रकम दे देता है, लेकिन उसका कानूनी मालिकाना हक नहीं मिलता। यह समझौता केवल एक निश्चित समय के लिए होता है और इससे प्रॉपर्टी का स्वामित्व (Property Ownership) पूरी तरह सुरक्षित नहीं होता। अगर आपने रजिस्ट्री नहीं कराई, तो आप कानूनी रूप से उस प्रॉपर्टी के मालिक```plaintext मालिक नहीं माने जाते।
रजिस्ट्री और दाखिल-खारिज: क्यों हैं ये जरूरी?प्रॉपर्टी खरीदते समय सबसे महत्वपूर्ण कदम है उसकी रजिस्ट्री (Property Registry) कराना। रजिस्ट्री के लिए स्टांप ड्यूटी देना अनिवार्य है, जो प्रॉपर्टी के मूल्य के आधार पर तय होती है। रजिस्ट्री के बाद, दाखिल-खारिज (Mutation) कराना भी जरूरी है। यह प्रक्रिया सरकारी रिकॉर्ड में आपका नाम दर्ज करती है, जिससे भविष्य में किसी भी विवाद से बचा जा सकता है। बिना रजिस्ट्री और दाखिल-खारिज के, आपकी प्रॉपर्टी पर आपका दावा कमजोर हो सकता है, और कोई भी तीसरा पक्ष उस पर दावा ठोक सकता है।
गलत एग्रीमेंट के कानूनी खतरेफुल पेमेंट एग्रीमेंट से जुड़ा सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह आपको प्रॉपर्टी का पूर्ण मालिकाना हक नहीं देता। अगर प्रॉपर्टी बेचने वाले की मृत्यु (Death of Seller) हो जाती है, तो उसके परिवार वाले या रिश्तेदार उस प्रॉपर्टी पर दावा कर सकते हैं। ऐसे मामलों में कोर्ट में आपका केस कमजोर पड़ सकता है, क्योंकि बिना रजिस्ट्री के आप अपने हक को साबित नहीं कर पाते। कई बार लोग लाखों रुपये की प्रॉपर्टी खरीदने के बाद भी सिर्फ एक गलत फैसले के कारण अपनी मेहनत की कमाई गंवा देते हैं।
सावधानी बरतें, सुरक्षित रहेंप्रॉपर्टी खरीदते समय कुछ आसान लेकिन जरूरी कदम आपको बड़े नुकसान से बचा सकते हैं। सबसे पहले, हमेशा प्रॉपर्टी के दस्तावेजों की अच्छी तरह जांच करें। दूसरा, स्टांप ड्यूटी देकर रजिस्ट्री कराएं और तुरंत दाखिल-खारिज करवाएं। तीसरा, किसी भी तरह के शॉर्टकट जैसे फुल पेमेंट एग्रीमेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी से बचें। अगर आपको प्रॉपर्टी डीलिंग की प्रक्रिया समझने में दिक्कत हो रही है, तो किसी विश्वसनीय वकील या प्रॉपर्टी सलाहकार की मदद लें। ये कदम आपकी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने में मदद करेंगे।
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