नई दिल्ली, 06 अप्रैल . अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान करने के कारण दुनिया भर के बाजार में मचे हड़कंप का असर घरेलू शेयर बाजार पर भी काफी नकारात्मक रूप में हुआ है. महीने के पहले चार कारोबारी दिनों के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने कुल 10,355 करोड़ रुपये की निकासी की है. इसके ठीक पहले मार्च के आखिरी 6 कारोबारी दिनों के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजार में 30,927 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार मार्च के महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने कुल 34,900 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की थी, जबकि महीने के आखिरी 6 दिनों में 30,927 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की थी. इस तरह मार्च के महीने में एफपीआई की कुल निकासी 3,973 करोड़ रुपये रही थी. मार्च के पहले फरवरी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 34,574 करोड़ रुपये की निकासी की थी. जनवरी में निकासी का ये आंकड़ा 78,027 करोड़ रुपये रहा था.
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले दिनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निगाह अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी की वजह से बाजार पर पड़ने वाले असर और इस सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की मीटिंग के नतीजे पर टिकी रहने वाली है. मार्केट एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी इस बार ब्याज दरों में कटौती कर सकती है. ब्याज दरों में होने वाला कोई भी परिवर्तन स्टॉक मार्केट में घरेलू और विदेशी निवेशकों की इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी को आखिरी रूप देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
खुराना सिक्योरिटीज एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ रवि चंदर खुराना का कहना है कि अमेरिकी प्रशासन की ओर से लादे गए टैरिफ का बोझ उम्मीद से काफी अधिक है. इसी वजह से उसके व्यापक आर्थिक प्रभाव को लेकर बाजार में चिंता का माहौल बना हुआ है. इस रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण खुद अमेरिका महंगाई और मंदी की चपेट में आ सकता है. यही कारण है कि पिछले दो कारोबारी सत्र के दौरान अमेरिकी बाजार में भी लगातार बिकवाली का दबाव बना रहा. इन दो सत्रों में एसएंडपी 500 इंडेक्स और नैस्डेक में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ गई.
कहा जा रहा है कि अमेरिकी बाजार में आई गिरावट का असर वैश्विक स्तर पर ज्यादातर स्टॉक मार्केट पर पड़ेगा. इसके साथ ही इस टैरिफ पॉलिसी के कारण दुनिया भर में ट्रेड वॉर शुरू होने का खतरा बन गया है, जिससे ग्लोबल ट्रेड और इकोनॉमिक ग्रोथ के प्रभावित होने का भी खतरा बन गया है. इसलिए अभी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से सतर्क रुख अपनाए जाने की उम्मीद है. इसका एक अर्थ ये भी है कि आने वाले दिनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अपने पैसे को सुरक्षित करने के लिए स्टॉक मार्केट में बिकवाली का दबाव जारी रख सकते हैं.
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/ योगिता पाठक
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