भुवनेश्वर, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । प्रसिद्ध संबलपुरी गीतकार, नाटककार और पद्मश्री सम्मानित बिनोद कुमार पशायत का बुधवार को उड़िसा के संबलपुर के जिला मुख्यालय अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वे 89 वर्ष के थे।
दो दिन पूर्व वे अस्वस्थ हो गए थे और अपने निवास पर उपचाराधीन थे। बुधवार को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने पर उन्हें जिला मुख्यालय अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
बिनोद कुमार पशायत को वर्ष 2024 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वे संबलपुरी साहित्य और संगीत जगत की एक प्रतिष्ठित हस्ती थे। उन्होंने कई अमर संबलपुरी गीतों की रचना की, जिनमें ‘है कृष्ण है कृष्ण बोली जाऊं मोर जीवन,’ ‘ए ननी सुलोचना,’ ‘रथर चका चले घिडिघिडि,’ और ‘बाजुचे मादला ए बाउला कुड़ी फुल’ जैसे गीत शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने ओड़िया फिल्मों ‘समर्पण’ और ‘परस्त्री’ के लिए भी गीत लिखे।
गीतों के अलावा, पशायत ने कई प्रसिद्ध संबलपुरी नाटकों की रचना भी की। उनके प्रमुख नाटकों में ‘उखी,’ ‘मुई नई मरे,’ ‘लिटा,’ ‘चिन्हा,’ और ‘भरना’ शामिल हैं।
3 दिसंबर 1935 को बलांगीर जिले के कुसमेल गांव में जन्मे पशायत बाद में बलांगीर शहर के टिकरापाड़ा में अपने परिवार के साथ रहने लगे। वर्ष 1953 में वे संबलपुर आ गए और वहीं स्थायी रूप से बस गए। वे आकाशवाणी और दूरदर्शन के मान्यता प्राप्त कलाकार थे, और यहीं से उन्हें व्यापक पहचान और प्रसिद्धि प्राप्त हुई। उनके द्वारा रचित संबलपुरी भजन ‘है कृष्ण है कृष्ण बोली’ ने उन्हें अपार ख्याति दिलाई और वे जन-जन के प्रिय बन गए।
—————
(Udaipur Kiran) / सुनीता महंतो
You may also like
Asia Cup 2025: 'हर्षित राणा कहां से आ गए' पूर्व चयनकर्ता ने बीसीसीआई के सेलेक्शन की आलोचना की
गलती से भी इन लोगों के मत छूना पैर बन जाएंगेˈ पाप के भागी हो जाएंगे बर्बाद
अक्षय कुमार और अरशद वारसी को 'जॉली एलएलबी 3' के कारण कानूनी मुश्किलों का सामना
PMEGP लोन योजना 2025: अब 10 लाख तक का लोन लेकर शुरू करें अपना सपनों का बिजनेस!
दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट से कहा, वो इस साल छात्राें काे यूनिफॉर्म नहीं दे पाएगी, सिर्फ सब्सिडी देगी