इंदौर, 7 नवम्बर . केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके, हो करेलु छठ बरतिया से झांके ऊंके, जैसे अजर अमर गीतों और भावविभोर कर देने वाले स्वर्गीय लोक गायिका शारदा सिन्हा के लोकगीतों की मधुर धुनों के बीच गुरुवार शाम इंदौर के विभिन्न छठ घाटों पर छठ महापर्व के अवसर पर बिहार एवं पूर्वांचल के हजारों श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया. श्रद्धालुओं ने घर-परिवार, समाज, प्रदेश और देश के सुख, शांति और समृद्धि की कामनाएं करते हुए भगवान सूर्य को नमन किया.
इंदौर शहर के 150 से अधिक छठ घाटों पर भक्तों का उमड़ा जनसैलाब एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहा था. प्रमुख छठ घाटों, जैसे स्कीम नं. 54, अनुपम नगर, स्कीम नं. 78, पिपलियापाला तालाब, बाणगंगा कुंड, देवास नाका, सुखलिया, मेघदूत नगर, तुलसी नगर, श्याम नगर एनेक्स, समर पार्क, शंखेश्वर सिटी, नंदबाग, शिव मंदिर प्रांगण, चित्र नगर. कैट रोड, सिलिकॉन सिटी, कालानी नगर, सेटेलाइट टाउनशिप, वक्रतुण्ड नगर, मांगलिया, शिप्रा, माँ अम्बे नगर, एरोड्रोम रोड और ड्रीम सिटी सहित विभिन्न इलाकों में श्रद्धालुओं का ऐसा जनसैलाब दिखा मानो सम्पूर्ण बिहार एवं पूर्वांचल का रंग इंदौर पर चढ़ गया हो.
गुरुवार दोपहर से ही शहर में बसे पूर्वांचल और बिहार के श्रद्धालुओं का छठ घाटों की ओर रुख करना शुरू हो गया. शाम होते ही महिलाएं और पुरुष प्रसाद से भरी बाँस की टोकरियाँ लेकर घाटों पर पहुँचने लगे, और छठी मैया के मनभावन लोकगीतों के बीच पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. व्रतियों ने एक दूसरे को छठ पर्व की शुभकामनाएं दीं और घाटों पर हर्षोल्लास के साथ छठ महापर्व मनाया.
पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के प्रदेश महासचिव के.के. झा और अध्यक्ष ठाकुर जगदीश सिंह ने बताया कि जैसे ही शाम 5 बजकर 46 मिनट पर भगवान भास्कर अस्ताचल में समाने लगे, व्रती महिलाओं और पुरुषों ने जल में खड़े होकर प्रसाद से भरी टोकरियाँ हाथों में उठाईं और सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया. इसके साथ ही उन्होंने अपने बच्चों, परिवार और समस्त नगरवासियों के अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामनाएं कीं. अर्घ्य के पश्चात व्रती अपने परिजनों के साथ प्रसाद ग्रहण कर घर लौटे. शहर में कई आयोजन समितियों द्वारा रात्रि में भजन संध्याएं भी आयोजित की गईं, जिसमें छठ महापर्व के लोकगीतों का प्रस्तुतिकरण किया गया.
कल उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न होगा महापर्व
सूर्य उपासना का यह पावन पर्व शुक्रवार सुबह 6 बजकर 35 मिनट पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा. अर्घ्य के पश्चात व्रतियों द्वारा ठेकुआ और फलों का प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया जाएगा, जिससे पर्व की पवित्रता और सामूहिक सौहार्द्रता का संदेश जन-जन तक पहुंचेगा.
/ उम्मेद सिंह रावत
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