कोलकाता, 16 अप्रैल . वक्फ संशोधन कानून के विरोध में मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा के कारण बेघर लोगों को न्याय एवं अन्य सुविधा महिया कराने की मांग पर बुधवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के नेतृत्व में दो घंटे का धरना-प्रदर्शन किया गया. इस बीच भाजपा प्रदर्शनकारियों की कोलकाता पुलिस के डीसी साउथ से बहस हो गई. सुकांत मजूमदार ने कहा कि कि जब तक उनकी पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार से मुलाकात नहीं होगी, तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे. धरना-प्रदर्शन में भाजपा नेता अर्जुन सिंह और तापस रॉय भी शामिल थे.
मिली जानकारी के अनुसार, भाजपा प्रदेश कार्यालय में सुकांत मजूमदार से मिलने बुधवार सुबह मुर्शिदाबाद के 11 निवासी कोलकाता पहुंचे. इसके बाद सुकांत उन सभी को साथ लेकर भवानी भवन के लिए रवाना हुए. इसमें मुर्शिदाबाद के हिंसा पीड़ित बंशी मंडल, सुरजीत मंडल, तुलुरानी मंडल, जयंती घोष, श्याम घोष, बनबासी मंडल, स्वर्णेंदु मंडल और लता मंडल शामिल थे. मुलाकात के बाद सुकांत मजूमदार उनके साथ राज्य पुलिस के महानिदेशक से मिलने भवानी भवन गए.
भाजपा का आरोप है कि राज्य पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार ने हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बावजूद पीड़ितों से एक बार भी बात नहीं की.
पत्रकारों से बात करते हुए सुकांत ने राज्य सरकार पर हमला बोला. उन्होंने
कहा कि हमले हो रहे हैं और पुलिस डर के कारण मूकदर्शक बनी हुई है. डीजी वहां कई कैमरे लेकर गए और जगह-जगह तस्वीरें लेते नजर आए, लेकिन हमें उनसे मिलने का मौका नहीं मिला. इसलिए आज हम यहां से सीधे डीजी कार्यालय आए हैं.
पीड़ितों ने स्थानीय पार्षद महबूब आलम के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की है. यह भी आरोप है कि बुलाने पर उन्होंने कोई मदद नहीं की.
एक अन्य पीड़ित ग्रामीण सुरजीत मंडल ने बताया कि हिंदू और मुसलमान साथ-साथ रहते हैं. वहां 100 हिंदू घर हैं और चार से पांच हजार मुस्लिम घर हैं. कभी कोई परेशानी नहीं हुई. जो कुछ हुआ अप्रत्याशित था. हम सोच भी नहीं सकते थे कि ऐसा कभी होगा.
भाजपा ने मांग की है कि राज्य सरकार उन सभी पीड़ितों, जिनके घर जला दिये गये या ध्वस्त कर दिये गये हैं, आवास वह अन्य सभी आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराएं. इस संदर्भ में सुकांत मजूमदार ने कहा कि घर के साथ जो दुकान तोड़ी गई थी, उसे भी दोबारा बनाया जाना चाहिए. भाजपा प्रति परिवार पांच लाख रुपये मुआवजे की भी मांग कर रही है. पीड़ित परिवार के एक सदस्य को स्थायी नौकरी भी दी जानी चाहिए. ग्रामीणों को पुलिस पर भरोसा नहीं है.
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/ गंगा
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