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इंदौर जिले में नरवाई जलाने वालों के विरुद्ध सख़्त कार्रवाई प्रारंभ

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– अब तक 77 प्रकरणों में बनाए गए पंचनामे, अर्थदंड की होगी कार्रवाई

इंदौर, 12 अप्रैल . इंदौर जिले में फसलों की कटाई के बाद खेतों में नरवाई (अवशेष) जलाने की घटनाओं पर प्रशासन ने सख़्ती दिखाई है. कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देशन में जिलेभर में नरवाई जलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई का सिलसिला प्रारंभ कर दिया गया है. प्रशासन द्वारा अब तक नरवाई जलाने के 77 मामलों में पंचनामे तैयार किए गए हैं. संबंधित कृषकों के विरुद्ध नियमानुसार अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी.

जनसम्पर्क अधिकारी महिपाल अजय ने शनिवार को जानकारी देते हुए बताया कि कलेक्टर आशीष सिंह ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि नरवाई जलाने की घटनाओं पर सतत निगरानी रखी जाए तथा दोषियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए. प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे नरवाई न जलाएं और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग दें. नरवाई जलाने से न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसके वैकल्पिक उपयोग के लिए शासन द्वारा विभिन्न योजनाएँ भी चलाई जा रही हैं.

उन्होंने बताया कि वर्तमान में यह देखने में आ रहा है कि किसानों के द्वारा फसल अवशेषों में आग लगाई जा रही है. इस संबंध में क्षेत्रीय अमला जिसमें कृषि, राजस्व एवं पंचायत विभाग शामिल है. पर्यावरण विभाग द्वारा जारी अधिसूचना का उल्लघंन पाए जाने पर मौके पर जाकर पंचानामें बनाए जा रहे हैं. आज दिनांक तक जिले की समस्त तहसीलों में कुल 77 पंचानामें तैयार किए गए है. जिन पर आगामी दिनों में मध्य प्रदेश शासन के नोटिफिकेशन प्रावधान अनुसार पर्यावरण विभाग द्वारा जारी अधिसूचना अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

ऐसा कोई कृषक जिसके पास दो एकड़ तक की भूमि है तो उसकों नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 2500 रुपये प्रति घटना के मान त‍था जिसके पास दो से पांच एकड़ तक की भूमि है तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में पाँच हजार रुपये प्रति घटना के मान से तथा जिसके पास पांच एकड़ से अधिक भूमि है तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 15 हजार रुपये प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा.

वर्तमान में जिले में गेहूं फसल की कटाई का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है. फसल की कटाई के पश्चात सामान्य तौर पर किसान भाई नरवाई में आग लगा देते है, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी की संरचना भी प्रभावित होती है. जिले में गेहूं की कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) जलाना खेती के लिये आत्मघाती कदम है. नरवाई प्रबंधन हेतु कृषि विभाग का संपूर्ण अमला माह फरवरी से निरंतर पंचायतवार कृषकों को प्रशिक्षण देकर नरवाई प्रबंधन हेतु जागरूक कर रहा है. इसी क्रम में 05 अप्रैल से 16 अप्रैल तक फसल अवशेष (नरवाई) प्रबंधन प्रचार रथ द्वारा जिले के समस्त विकासखण्डों की ग्राम पंचायतों में भम्रण कर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर कृषि से संबंधित मैदानी अधिकारियों एवं राजस्व विभाग के पटवारी / पंचायत विभाग के पंचायत सचिव के साथ समन्वय कर कृषक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है तथा किसानों को नरवाई जलाने से होने वाले नुकसानों तथा फसल अवशेष (नरवाई) प्रबंधन की तकनीकी जानकारी से अवगत किया जा रहा है.

तोमर

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