– 12वें भोपाल विज्ञान मेला 2025 के अवसर पर आयोजित Indian ज्ञान परंपरा संगोष्ठी में शामिल हुए उच्च शिक्षा मंत्री
भोपाल, 28 सितम्बर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कहा कि Indian समाज में हर विद्या-हर क्षेत्र में विद्यमान ज्ञान और विज्ञान को युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में पुनः शोध एवं अनुसंधान कर, दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता हैं. इसके लिए समाज में विद्यमान अपने पुरातन परंपरागत ज्ञान और विज्ञान के प्रति स्वत्व का भाव जागृत कर, हीन भावना से मुक्त होना होगा. अपने ज्ञान के प्रति विश्वास का भाव जागृत कर, Indian दृष्टिकोण के साथ विश्वमंच पर Indian ज्ञान को युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में पुनः स्थापित करना होगा. हमारे पूर्वजों ने समाज में शोध एवं अनुसंधान के आधार पर, वैज्ञानिक दृष्टिकोण समावेशी परंपराएं स्थापित की थीं. अतीत के विभिन्न कालखंडों में Indian समाज की परम्पराओं के प्रति हीन दृष्टि बनाने का कुत्सित प्रयास किया गया.
मंत्री परमार sunday को भोपाल में बरकतुल्ला विश्वविद्यालय परिसर स्थित ज्ञान-विज्ञान भवन में, 12वें भोपाल विज्ञान मेला 2025 के अवसर पर आयोजित ‘भारत का विज्ञान -भारत के लिए विज्ञान’ विषयक Indian ज्ञान परंपरा संगोष्ठी में सहभागिता कर, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में Indian ज्ञान परम्परा समावेशी शिक्षा के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने प्रकृति एवं प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों जल, सूर्य एवं वृक्ष आदि के संरक्षण के लिए कृतज्ञता के भाव से श्रद्धा रूप में परम्परा एवं मान्यता स्थापित की थीं. कृतज्ञता भारत की सभ्यता एवं विरासत है.
परमार ने कहा कि भारत की गृहणियों की रसोई में कोई तराजू नहीं होता है. गृहिणियों को भोजन निर्माण के लिए किसी संस्थान में अध्ययन करने की आवश्यकता नहीं होती है. Indian गृहिणियों में रसोई प्रबंधन का उत्कृष्ट कौशल, नैसर्गिक एवं पारम्परिक रूप से विद्यमान है. भारत की रसोई, विश्वमंच पर प्रबंधन का उत्कृष्ट आदर्श एवं श्रेष्ठ उदाहरण है. Indian समाज में ऐसे असंख्य संदर्भ, परम्परा के रूप में प्रचलन में हैं.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने शिक्षा में, Indian दर्शन से समृद्ध Indian ज्ञान परम्परा के समावेश का महत्वपूर्ण अवसर दिया है. Indian ज्ञान परम्परा मात्र पूजा पद्धति एवं ग्रंथों में सीमित नहीं है बल्कि इसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समृद्ध समावेश हैं. इसे पुनः शोध एवं अनुसंधान कर दस्तावेज के रूप में समृद्ध करने की आवश्यकता है. इससे भविष्य की पीढ़ी जान सकेगी कि भारत विश्वगुरु की संज्ञा से क्यों सुशोभित था.
उन्होंने Indian पुरातन ज्ञान और विज्ञान से जुड़े प्रासंगिक एवं तथ्य आधारित उदाहरण प्रस्तुत कर, Indian ज्ञान परम्परा पर प्रकाश डाला. परमार ने बताया कि इंजीनियरिंग, मेडिकल एवं तकनीकी के क्षेत्र में भी भारत के पास समृद्ध ज्ञान था. उन्होंने बताया कि प्रदेश में उच्च शिक्षा में प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में Indian ज्ञान परम्परा का समावेश किया गया है. विद्यार्थियों को हर विषय के पहले अध्याय में, उससे जुड़ी Indian ज्ञान परम्परा पढ़ने को मिलेगी.
उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि हम सभी की सहभागिता से, अपने पूर्वजों के ज्ञान के आधार पर पुनः विश्वमंच पर सिरमौर राष्ट्र का पुनर्निर्माण होगा. इसके लिए हमें हीन भावना से मुक्त होकर, स्वाभिमान के साथ हर क्षेत्र में अपने परिश्रम और तप से आगे बढ़कर, विश्वमंच पर अपनी मातृभूमि का परचम लहराना होगा. अपनी गौरवशाली सभ्यता, भाषा, इतिहास, ज्ञान और विज्ञान के आधार पर, हम सभी की सहभागिता से भारत पुनः विश्वगुरु बनेगा.
आत्मनिर्भर भारत के लिए, बौद्धिक आत्मनिर्भरता की आवश्यकता: प्रो मूर्तिमुख्य वक्ता आईआईटी इंदौर के प्रो. गंटी सूर्य नारायण मूर्ति ने अपने बीज वक्तव्य में Indian ज्ञान परम्परा के संदर्भ में विस्तृत जानकारी साझा की. उन्होंने विकसित भारत@2047 की संकल्पना की सिद्धि में सामना करने वाली चुनौतियों एवं समाधान पर व्यापक प्रकाश डाला. प्रो मूर्ति ने समग्रता के साथ, शिक्षा में Indian ज्ञान परम्परा के समावेश की आवश्यकता पर जोर दिया. प्रो मूर्ति ने Indian दृष्टि के साथ, Indian ज्ञान परम्परा में जीवन दर्शन, ज्ञान और विज्ञान की महत्ता को साझा किया. प्रो मूर्ति ने बताया कि परंपरागत Indian ज्ञान का Indian दृष्टि से संरक्षण, भावी पीढ़ी को हस्तांतरण एवं नूतन नवाचार की आवश्यकता पर बल दिया. प्रो मूर्ति ने Indian ज्ञान परम्परा समावेशी शिक्षा के लिए, Indian दृष्टि की विशिष्टताओं पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए बौद्धिक आत्मनिर्भरता की आवश्यकता है.
मंत्री परमार ने संगोष्ठी के उपरांत, बरकतुल्ला विश्वविद्यालय परिसर स्थित ज्ञान-विज्ञान भवन में, 12वें भोपाल विज्ञान मेला 2025 के अवसर पर, विभिन्न संस्थाओं द्वारा लगाए गए विविध स्टॉल्स का अवलोकन कर उनका मनोबलवर्धन भी किया. विज्ञान भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री विवस्वान हेबालकर ने स्वागत उद्बोधन दिया एवं संगोष्ठी के उद्देश्य से परिचित कराया और सीएसआईआर एम्प्री के वैज्ञानिक डॉ. कीर्ति सोनी ने मंच संचालन किया. इस अवसर पर विज्ञान भारती मध्य भारत प्रांत के अध्यक्ष अमोघ गुप्ता एवं विभिन्न पदाधिकारियों सहित राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के उच्च एवं तकनीकी शिक्षण संस्थानों के विभिन्न वैज्ञानिक, शिक्षाविद् एवं वरिष्ठ प्राध्यापकगण उपस्थित थे.
(Udaipur Kiran) तोमर
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