धमतरी, 7 नवंबर (Udaipur Kiran) . बाल विवाह मुक्त Chhattisgarh अभियान के तहत जिला धमतरी में जागरूकता और प्रतिबद्धता को लेकर कम्पोजिट बिल्डिंग में महिला एवं बाल विकास विभाग तथा जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा शुक्रवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस अवसर पर पुलिस, श्रम, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, बाल कल्याण समिति एवं किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, चाइल्ड हेल्पलाइन, गैर शासकीय संस्थाएँ, नशा मुक्ति केंद्र, बालगृह, एक्जेक्ट फाउंडेशन, कैटर्स, किराया भंडार, पुरोहित सहित विभिन्न हितधारक उपस्थित रहे.
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ. मुख्य अतिथि डीएसपी एस. करण दीप ध्रुव, अध्यक्ष जिला कार्यक्रम अधिकारी जगरानी एक्का, विशेष अतिथि टीआई टुमन डडसेना, परियोजना अधिकारी सुमित गंडेचा, सरिता कुशवाहा, उषाकिरण चंद्राकर एवं सोमेन्द्र साहू ने दीप प्रज्वलित किया. तत्पश्चात वंदे मातरम् गीत का सामूहिक गायन किया गया. जिला बाल संरक्षण अधिकारी आनंद पाठक ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह अपराध की श्रेणी में आता है. बाल विवाह कराने, प्रोत्साहित करने या आयोजन में सहयोग करने वालों को दो वर्ष की सजा और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
परियोजना अधिकारी सुमित गंडेचा ने कहा कि पंडित, टेंटवाले, कार्ड छापने वाले, हलवाई, ज्वेलरी व्यवसायी, मितानिन और कोटवार जैसे सभी लोग समाज के जागरूक घटक हैं और उन्हें बाल विवाह रोकथाम में अपनी भूमिका निभानी चाहिए. जिला कार्यक्रम अधिकारी जगरानी एक्का ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सबसे पहले पंजीयन के माध्यम से बच्चों की आयु की जानकारी रखती हैं. यदि उन्हें किसी बाल विवाह की जानकारी मिलती है, तो समय रहते सूचित कर उसे रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि किसी भी बाल विवाह की सूचना तुरंत 1098 हेल्पलाइन पर दी जानी चाहिए. मुख्य अतिथि डीएसपी एस. करण दीप ध्रुव ने कहा कि बाल विवाह रोकना बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और अधिकारों की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि बाल विवाह होने की स्थिति में पुरुष पर पोक्सो एक्ट के तहत अपराध दर्ज होता है, जिससे उसका भविष्य अंधकारमय हो सकता है. उन्होंने सभी थानों के पुलिसकर्मियों से ग्राम पंचायत स्तर पर जनजागरूकता फैलाने का आग्रह किया.
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सभी लोगों ने बाल विवाह मुक्त समाज की दिशा में कार्य करने की शपथ ली. जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी महेश मरकाम ने बताया कि जिले की 370 ग्राम पंचायतों में से अब तक 222 ग्राम पंचायतों को बाल विवाह मुक्त घोषित किया जा चुका है. 31 मार्च 2026 तक पूरे जिले को बाल विवाह मुक्त घोषित करने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने बताया कि इस अभियान में सरपंच, सचिव, समाज प्रमुख, मीडिया प्रतिनिधि, शिक्षक, स्व-सहायता समूहों और सामाजिक संगठनों का महत्वपूर्ण सहयोग मिल रहा है. कार्यक्रम का संचालन संरक्षण अधिकारी (संस्थागत) यशवंत बैस ने किया. इस अवसर पर एसजेपीयू, किशोर न्याय बोर्ड, बाल कल्याण समिति, गैर सरकारी संगठनों तथा पुलिस विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी उपस्थित रहे.
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
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