– स्टेक होल्डर्स के साथ हुई बैठक में 50 से अधिक जमीन मालिक हुए शामिल, अब तक मिल चुकी 120 बीघा जमीन
इन्दौर, 7 अप्रैल . मध्य प्रदेश के औद्योगिक विकास में एक नया अध्याय जोड़ने वाली पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर परियोजना तेजी से आगे बढ़ रही है. सोमवार को मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (एमपीआईडीसी) के दफ्तर में हुई स्टेक होल्डर्स की बैठक में 50 से अधिक जमीन मालिकों ने हिस्सा लिया, जिसमें 40 बीघा जमीन के लिए सहमति प्राप्त हुई. अब तक इस परियोजना के लिए 120 बीघा जमीन की सहमति मिल चुकी है. शेष जमीन मालिकों ने अपने परिजनों से चर्चा के बाद जल्द ही निर्णय देने का भरोसा जताया है. इस बैठक में न केवल जमीन मालिकों की शंकाओं का समाधान किया गया, बल्कि उन्हें इस परियोजना से होने वाले लाभों के प्रति प्रेरित भी किया गया.
एमपीआईडीसी के कार्यकारी डायरेक्टर राजेश राठौड़ ने बैठक में जमीन मालिकों के हर सवाल का जवाब दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह परियोजना तय समयसीमा में पूरी होगी, जिससे किसानों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. इसके साथ ही, उन्हें मिलने वाले विकसित भूखंडों का उपयोग वे तुरंत शुरू कर सकेंगे. जमीन मालिकों ने भी इस बात पर संतोष जताया कि परियोजना समय पर पूरी होने की उम्मीद है.
उनका कहना था कि इससे उन्हें न सिर्फ आर्थिक लाभ होगा, बल्कि उनके बच्चों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. किसानों का कहना है कि पहले डर था कि जमीन चली जाएगी और बदले में जो मिलेगा, वो पर्याप्त नहीं होगा, लेकिन अब स्थिति साफ हो गई है, और अब जब हमें 60% विकसित प्लॉट मिलने की गारंटी दी जा रही है, तो हम इस परियोजना का हिस्सा बनने को तैयार हैं.
राजेश राठौड़ ने कहा कि हमारा लक्ष्य किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए इस परियोजना को मूर्त रूप देना है. यह एक ऐसा मॉडल है, जिसमें किसान न केवल अपनी जमीन का उचित प्रतिफल प्राप्त करेंगे, बल्कि औद्योगिक विकास के साझेदार भी बनेंगे. इसलिए समय रहते अपनी सहमति दर्ज कराएं और इस ऐतिहासिक परिवर्तन का हिस्सा बनें. जिला प्रशासन द्वारा भी इस परियोजना को सफल बनाने के लिए तेजी से कार्रवाई की जा रही है.
ग्राम रिजलाय में एसडीएम गोपाल वर्मा ने एक अलग बैठक ली, जिसमें कई जमीन मालिक शामिल हुए. इस बैठक में सकारात्मक चर्चा हुई और किसानों ने परियोजना के प्रति उत्साह दिखाया. प्रशासन का यह प्रयास है कि हर किसान की सहमति बिना किसी दबाव के, उनकी मर्जी से ली जाए.
सरकार और प्रशासन का पूरा समर्थन
बैठक में महू विधायक उषा ठाकुर ने किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों की हर मांग को पूरा किया है. पहली बार ऐसा हो रहा है कि जमीन देने वाले किसानों को 60 फीसदी विकसित प्लॉट मिलेगा. यह योजना स्वर्णिम भारत के निर्माण का एक कदम है. उद्योगीकरण आज की जरूरत है और इसके जरिए हमारे युवाओं को रोजगार मिलेगा. उन्होंने आश्वस्त किया कि किसानों की छोटी-छोटी शंकाओं का समाधान करने के लिए प्रशासन और एमपीआईडीसी के अधिकारी हर कदम पर उनके साथ हैं. राऊ विधायक मधु वर्मा भी इस मौके पर मौजूद रहे और उन्होंने परियोजना को क्षेत्र के लिए अतिमहत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह परियोजना न सिर्फ क्षेत्र के आर्थिक विकास को गति देगी, बल्कि किसानों के लिए भी आर्थिक समृद्धि का नया द्वार खोलेगी.
जिस गांव में जमीन वहीं मिलेंगे प्लॉट
पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर 19.6 किलोमीटर लंबी और 75 मीटर चौड़ी सड़क के दोनों ओर 300-300 मीटर के बफर जोन में विकसित की जाएगी. इसमें 17 गांवों- नैनोद, कोर्डियाबर्डी, रिजलाय, बिसनावदा, नावदापंथ, श्रीरामतलावली, सिन्दोड़ा, सिन्दोड़ी, शिवखेड़ा (रंगवासा), नरलाय, मोकलाय, डेहरी, सोनवाय, भैंसलाय, बागोदा, धन्नड़ और टिही की कुल 1331 हेक्टेयर जमीन शामिल है. इस परियोजना की अनुमानित लागत 2410 करोड़ रुपये है और इसे तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य है. परियोजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, जिससे विकास कार्य में कोई बाधा न आए. किसानों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि उन्हें अपनी जमीन के बदले 60% विकसित भूखंड मिलेंगे. ये भूखंड फ्री होल्ड होंगे, यानी किसान इनका पूरा मालिकाना हक रख सकेंगे. ये भूखंड यथासंभव उसी गांव में आवंटित किए जाएंगे, जहां उनकी मूल जमीन स्थित है. इससे किसानों को अपनी जड़ों से जुड़े रहने का मौका मिलेगा और वे इन भूखंडों का उपयोग आवास, व्यवसाय या बिक्री के लिए कर सकेंगे.
सहमति देने की प्रक्रिया
जमीन मालिक अपनी सहमति एमपीआईडीसी के क्षेत्रीय कार्यालय, इंदौर में जमा कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें निर्धारित प्रारूप में दस्तावेज जमा करने होंगे, जिसकी पावती उन्हें दी जाएगी. सहमति मिलने के बाद एमपीआईडीसी और राजस्व विभाग की टीम जमीन का भौतिक निरीक्षण करेगी और इसके आधार पर रजिस्ट्री एमपीआईडीसी के पक्ष में होगी. रजिस्ट्री से पहले किसानों को यह शपथ-पत्र देना होगा कि उनकी जमीन पर कोई विवाद या ऋण नहीं है. यदि जमीन पर ऋण है, तो संबंधित बैंक से नो-ड्यूज सर्टिफिकेट देना होगा. रजिस्ट्री के बाद किसानों को उनकी पात्रता के अनुसार भूखंड आरक्षित कर सूचित किया जाएगा और परियोजना पूरी होने पर इनका कब्जा और रजिस्ट्री उनके नाम होगी.
तोमर
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