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वीरांगना रानी दुर्गावती पूरे देश के लिये एक आदर्श व प्रेरणा स्रोतः मंत्री राकेश सिंह

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– मंत्री सिंह ने अध्ययन यात्रा पर जबलपुर पहुंचे जनजातीय बच्चों के साथ किया संवाद

जबलपुर, 12 अप्रैल . लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने शनिवार को नेपियर टाऊन स्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यालय में जनजातीय बच्चों के साथ संवाद किया. उन्होंने बच्चों से संवाद करते हुए वीरांगना रानी दुर्गावती की वीरता, पराक्रम, स्वाभिमान, देश प्रेम व उसके शासन व्यवस्था व साम्राज्य के साथ उनके द्वारा किये गये जनहित के कार्यों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि गोंडवाना संस्कृति भारत की प्राचीन संस्कृति है, जिसमें महारानी दुर्गावती का अटल विश्वास था. उन्होंने बिना भेदभाव के जन कल्याण के कार्य करते हुये देश की रक्षा की. इसीलिए वीरांगना रानी दुर्गावती सिर्फ जनजातियों के लिये ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिये एक आदर्श व प्रेरणा स्रोत हैं.

मंत्री सिंह ने कहा कि वीरांगना रानी दुर्गावती उनके आदर्श हैं, वे भविष्य को दृष्टिगत रखते हुये जनहित के कई योजनायें शुरू की तथा कई जन कल्याण के कार्य भी किये. जिससे उन्हें हमेशा प्रेरणा मिलती है. उन्होंने मातृ भूमि की रक्षा के लिये अपना सर्वस्व बलिदान कर दी. वे मुगलों को आक्रांता मानती थीं और यहां की संस्कृति पर उन्हें गहरा विश्वास था. उन्होंने अपने देश और संस्कृति के लिये 52 लड़ाइयां लड़ी और नर्ररई नाला के पास देश व स्वाभिमान की रक्षा करते-करते बलिदान हो गईं. वीरांगना रानी ने अपने जीवनकाल में जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किये. उन्होंने 52 तालाब बनवाये थे, जो इंटर कनेक्टेट थे. गढ़ा की बावली और लाल पुरवा की बावली को जीर्णोंद्धार कर उन्हें जल मंदिर नाम दिया गया है जिसे देखने के लिये कई लोग आते हैं.

मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि महारानी दुर्गावती ने बालिकाओं की बेहतर शिक्षा, विकास की अधोसंरचना और विज्ञान की दृष्टि से उन्नत कार्य किये. इसीलिए मध्य प्रदेश के सबसे बड़े फ्लाई ओव्हर का नामकरण भी रानी दुर्गावती के नाम पर हैं. उन्होंने कहा कि वीरांगना रानी के कार्यों को आगे बढ़ाना है क्योंकि वे बिना किसी भेदभाव से सर्व समाज के लिये सोचती थी इसीलिए उनका नाम आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है. महाराणा प्रताप ने भी रानी दुर्गावती से वीरता की प्रेरणा ली थी. साथ ही उन्होंने राजस्थान मेवाड़ से कहा था कि संपूर्ण समाज को रानी से प्रेरणा लेनी चाहिए.

मंत्री सिंह ने जनजातीय बच्चों से कहा कि रानी दुर्गावती प्राचीन भारतीय संस्कृति को ही अपनी संस्कृति मानती थी इसलिए उन्हें गहराई से जाने, उसके आदर्शों को आत्मसात करें और लोगों को बताएं भी. महारानी दुर्गावती की कुलदेवी राजराजेश्वरी थी और गढ़ा में माला देवी भी थी, जहां आज भी लोगों की अपार श्रद्धा है.

संवाद के दौरान उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति में वीरांगना रानी दुर्गावती से बड़ा नाम दूसरा नहीं हैं. उनके नाम पर गर्व होना चाहिए. वह किस तरह की समाज व देश चाहती थी उनके जीवन का अध्ययन करें और उनके देश हित को आत्मसात करें.

उल्लेखनीय है कि संवाद में शामिल उक्त जनजातीय विद्यार्थी मंडला और डिंडौरी से थे, जो दो दिवसीय अध्ययन यात्रा पर जबलपुर आये हैं. जनजातीय विद्यार्थियों को देश के लिये देश के हित में काम करने वाले संगठन द्वारा ट्रीपल आईटी डीएम, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, भंवरताल गार्डन, आर्मी केंपस, कृषि विश्व विद्यालय, रानी दुर्गावती संग्रहालय सहित अनेक स्थलों का भ्रमण कराया है साथ ही कैरियर मार्गदर्शन भी प्रदान किया जा रहा है.

तोमर

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