गोरखपुर, 5 नवंबर . एमपी बिरला ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के मेडिकल डायरेक्टर एवं विश्व प्रसिद्ध कैंसर सर्जन डॉ. संजय माहेश्वरी ने कहा कि रोगी का विश्वास जीतना ही किसी भी चिकित्सक की सफलता का मानक होता है. रोगी चिकित्सक को भगवान मानता है. उसकी मनःस्थिति वानर के उस बच्चे की तरह होती है जो चिकित्सक के सानिध्य में अपनी मां के अंकपाश की भांति खुद को सुरक्षित सोचता है. ऐसे में रोगी के इस विश्वास की रक्षा की जिम्मेदारी चिकित्सक की होती है.
डॉ. माहेश्वरी मंगलवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित श्री गोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के एमबीबीएस प्रथम बैच और गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) के नवप्रवेशित विद्यार्थियों के पंद्रह दिवसीय दीक्षारंभ समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आप सभी विद्यार्थियों पर गुरु गोरखनाथ की महिमा है कि आप इस विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने जा रहे हैं. अपने चिकित्सकीय जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए डॉ. माहेश्वरी ने कहा कि चिकित्सक को रोगी के विश्वास को बनाए रखने के लिए अपने अध्ययन और चिकित्सकीय अनुभवों के बल पर उसे भरोसा दिलाना चाहिए कि तुम सुरक्षित हो. तुम्हें कुछ नहीं होगा, सब कुछ ठीक हो जाएगा. इसके लिए अथक परिश्रम करते हुए प्रयासरत रहना होगा. डॉ. माहेश्वरी ने नवप्रवेशित विद्यार्थियों को पारंपरिक अध्ययन के महत्व के साथ आधुनिक शोध, अनुसंधान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के आधुनिक चिकित्सा में उपयोगों के बारे में भी विस्तार से बताया.
दीक्षारंभ समारोह की अध्यक्षता करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी ने कहा कि महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का प्रमुख उद्देश्य लोक कल्याण है. यही इसका ध्येय भी है. हम इसको केंद्र में रखकर ही अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं. उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि पूरी उम्मीद है कि आप सभी भी इस ध्येय को अंगीकार करेंगे. उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद लोक कल्याण की भावना लेकर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा और शिक्षा सेवाओं को उपलब्ध करा रहा है.
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित एमपी बिरला ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की सर्जन डॉ. रेखा माहेश्वरी ने छात्रों को अनुशासन का मंत्र दिया उन्होंने कहा कि कहा कि अनुशासन का हमारे जीवन में बहुत महत्व है. इससे ही आपकी दिशा और भविष्य का निर्धारण होगा. अपने दायित्वों और कार्यों को भार की तरह न लें. इन्हें आप अपनी पसंद बनाएं, इससे कोई भी कार्य भार नहीं लगेगा. उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि उम्मीद है आप भविष्य में बहुत ही कुशल चिकित्सक बनेंगे.
स्वागत संबोधन श्री गोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के प्रिंसिपल डॉ. अरविंद कुशवाहा ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र को धारण करने का अर्थ है कर्तव्य के प्रति आजीवन प्रतिबद्ध रहना. चिकित्सा दवा की पर्ची लिखने की कला मात्र नहीं है बल्कि यह समाज को एक सुखद एवं स्वस्थ जीवन देने की कला है. इस अवसर पर गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) के प्रिंसिपल डॉ. गिरिधर वेदांतम ने कहा कि हम सभी को एक साथ मिलकर स्वास्थ्य शिक्षा को आगे ले जाने की आवश्यकता है. यही आज के युग की मांग है. इस क्षेत्र में नूतन शोध एवं अनुसंधान को अध्ययन-मनन के माध्यम से ग्रहण करते रहना चाहिए. कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को डॉ. देवी नायर ने चिकित्सा सेवा के प्रति निष्ठा के लिए चरक शपथ दिलाया. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन से हुआ. आभार ज्ञापन आयुर्वेद कालेज के डॉ. शांतिभूषण और संचालन आशीष और नितेश ने किया. इस अवसर पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, डॉ. गोपी कृष्ण, डॉ. दीपू मनोहर, डॉ. प्रियंका, डॉ. प्रिया, डॉ. साध्वीनन्दन पाण्डेय सहित कई शिक्षक, बीएएमएस और एमबीबीएस के सभी नवीन विद्यार्थी और अभिभावक उपस्थित रहे.
दीक्षारंभ समारोह के उद्घाटन सत्र के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव ने विद्यार्थियों के अभिभावकों के साथ संवाद कर उन्हें मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं, परिसर संस्कृति, अनुशासन के सभी पहलुओं से अवगत कराया और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया. 6 से 9 नवंबर तक प्रतिदिन अलग-अलग सत्रों में एमबीबीएस के नवीन विद्यार्थियों का विविध विषयों पर मार्गदर्शन किया जाएगा, जबकि बीएएमएस के नवीन विद्यार्थियों के लिए यह आयोजन पंद्रह दिन का होगा.
/ प्रिंस पाण्डेय
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