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हर्षा रिछारिया की 'हिंदू जोड़ो पदयात्रा' वृंदावन से हुई शुरू, अलीशा हुई पदयात्रा में शामिल

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मथुरा, 14 अप्रैल . वृंदावन से संभल तक 175 किमी की ‘हिंदू जोड़ो पदयात्रा’ सोमवार को महाकुंभ की वायरल साध्वी के नाम से मशहूर हर्षा रिछारिया के नेतृत्व में शुरू हुई. इस धार्मिक पदयात्रा ने पहले ही दिन चर्चाओं का केंद्र बनते हुए सामाजिक समरसता और धार्मिक जागरूकता दोनों के संदेश दिए. पदयात्रा की खास बात यह रही कि इसमें एक मुस्लिम युवती अलीशा खान ने भी भाग लिया, जिन्होंने सनातन धर्म में नारी को दिए गए सम्मान की सराहना की.

पदयात्रा की शुरुआत 14 अप्रैल को वृंदावन से हुई. हर्षा रिछारिया ने सुबह भगवान शिव और श्रीराम के मंदिरों में पूजा-अर्चना की. शिवलिंग पर जलाभिषेक के बाद मंत्रोच्चार के साथ वैदिक विधि से पूजा संपन्न हुई. इसके बाद राम दरबार में साष्टांग प्रणाम कर यात्रा की सफलता के लिए भगवान से प्रार्थना की.

पूजा के दौरान ही मंदिर परिसर में हर्षा की चप्पल खो गई, लेकिन उन्होंने इसे ईश्वर की इच्छा मानते हुए नंगे पैर यात्रा शुरू कर दी. यात्रा की शुरुआत जय श्रीराम, हर-हर महादेव और बांके बिहारी की जयघोष के साथ हुई. साधु-संतों और सैकड़ों समर्थकों ने उनके ऊपर फूल बरसाए और भक्ति गीतों के साथ यात्रा को आगे बढ़ाया. रास्ते में लोग जगह-जगह यात्रा में शामिल हो रहे हैं और यात्रा का स्वागत कर रहे हैं. वृंदावन में यमुना पुल पर पदयात्रा पहुंची तो हर्षा ने यमुना मैया को प्रणाम किया. वहीं इस यात्रा में एक अनोखा दृश्य उस समय देखने को मिला जब मथुरा के कृष्ण जन्मस्थान के पास रहने वाली मुस्लिम युवती अलीशा खान ने नकाब पहनकर और माथे पर टीका लगाकर यात्रा में भाग लिया. अलीशा ने बताया कि उन्होंने 8 महीने पहले सचिन नाम के युवक से लव मैरिज की है और अब वह सनातन धर्म के प्रति आकर्षित हैं. अलीशा ने कहा कि सनातन में महिलाओं को लक्ष्मी स्वरूप माना जाता है, जबकि हमारे यहां लड़कियों को बंद करके रखा जाता है. वहां इज्जत नहीं है. अलीशा ने बताया कि सनातन में महिलाओं को जो सम्मान मिलता है, वही मुझे इस पदयात्रा में खींच लाया है.

हर्षा रिछारिया ने इस यात्रा को ‘हिंदू जोड़ो पदयात्रा’ का नाम दिया है. उन्होंने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य उन युवक-युवतियों को सनातन धर्म से जोड़ना है, जो पाश्चात्य संस्कृति और आधुनिक विचारधारा के कारण अपने मूल धर्म से दूर हो गए हैं. उनका कहना है कि इस तरह की धार्मिक यात्राएं युवाओं में जागरूकता लाने और उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़ने का सशक्त माध्यम बन सकती हैं. उन्होंने कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का सपना अब सिर्फ विचार नहीं, एक जनआंदोलन बन चुका है. सनातन धर्म को समझने और अपनाने के लिए युवाओं को प्रेरित करना इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है. इस यात्रा को संत समाज और विभिन्न हिंदू संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है.

उज्जैन से आईं किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर माता सतीनंद गिरी ने कहा कि आज का युवा सनातन धर्म से भटक गया है और उसे वापस मार्ग पर लाने के लिए ऐसे प्रयास आवश्यक हैं, उन्होंने हर्षा को अपनी बेटी समान बताते हुए कहा कि वह इस धार्मिक आंदोलन में पूरी तरह साथ हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने भी यात्रा को समर्थन दिया है.

उन्होंने कहा कि संघ से जुड़े कार्यकर्ता यात्रा के पूरे मार्ग में सहयोग करेंगे और यात्रियों का स्वागत करेंगे. इस यात्रा में एक विशेष रथ भी शामिल है जो सबसे आगे चल रहा है, इस रथ पर दो प्रमुख संदेश लिखे गए हैं. पहला बाबा साहेब अंबेडकर जयंती पर सनातन धर्म से विमुख युवाओं को जोड़ने का प्रयास और दूसरा चलो जोड़ें इतिहास के पन्ने में अपना नाम, कि हमने भी कदम बढ़ाया था भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में. ये संदेश यात्रा के उद्देश्य को स्पष्ट करते हैं और युवाओं को एक नई दिशा देने का आह्वान करते हैं. यह पदयात्रा वृंदावन से शुरू होकर अलीगढ़, बुलंदशहर होते हुए 20 अप्रैल को संभल पहुंचेगी. 21 अप्रैल को संभल में यात्रा का समापन कार्यक्रम होगा. हर्षा ने कहा कि संभल को कलियुग में भगवान कल्कि के अवतार का स्थान माना जाता है, इसलिए यात्रा का समापन वहीं किया जा रहा है.

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/ महेश कुमार

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