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कौन थी वो रानी जिसके कारण सदियों से वीरान पड़ा है भानगढ़ किला, वीडियो में इतिहास के पन्नो में दफन राज़ जान सहम जाएंगे आप

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राजस्थान के अलवर जिले की अरावली पहाड़ियों के बीच बसा भानगढ़ किला आज भी रहस्यों और खौफ का पर्याय बना हुआ है। दिन में हजारों पर्यटक इसकी वीरान दीवारों और उजड़े महलों को देखने आते हैं, लेकिन सूरज ढलते ही यहाँ सन्नाटा गहराने लगता है।भानगढ़ किले से जुड़ी सबसे चर्चित कहानी एक रहस्यमयी राजकुमारी और एक तांत्रिक की है, जिनकी अदूरी कहानी ने इस पूरे इलाके को श्रापित कर दिया। आखिर कौन थी वो राजकुमारी, जिसकी वजह से आज भी यह किला खौफनाक अंधेरे में खोया हुआ है? आइए जानते हैं इस रहस्य की परतें।


भानगढ़ का ऐतिहासिक परिचय
भानगढ़ किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में आमेर के राजा भगवंत दास ने करवाया था। किला उनके बेटे माधो सिंह प्रथम के लिए बनवाया गया था। कहा जाता है कि उस दौर में भानगढ़ एक समृद्ध और खूबसूरत नगरी थी, जहाँ शानदार महल, मंदिर और बाजार थे।लेकिन वक्त के साथ-साथ यह समृद्धि मिट्टी में मिल गई और भानगढ़ वीरान हो गया। आज भानगढ़ का नाम भारत के सबसे भूतिया स्थानों में लिया जाता है, जहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने भी चेतावनी बोर्ड लगा रखा है कि सूरज ढलने के बाद यहां प्रवेश वर्जित है।

राजकुमारी रत्नावती की रहस्यमयी कहानी
भानगढ़ किले के खौफनाक इतिहास के पीछे मुख्य रूप से एक सुंदर राजकुमारी का नाम आता है — राजकुमारी रत्नावती।कहते हैं कि रत्नावती अपनी सुंदरता और बुद्धिमत्ता के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध थी। उसकी सुंदरता की चर्चा दूर-दूर तक फैल चुकी थी। कई राजकुमार उसके विवाह प्रस्ताव लेकर आए, लेकिन रत्नावती ने स्वयंवर की घोषणा करने का निर्णय लिया।

तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की दुर्भावना
राजकुमारी रत्नावती के सौंदर्य से एक तांत्रिक, जिसका नाम सिंधु सेवड़ा बताया जाता है, दीवाना हो गया था। सिंधु सेवड़ा काले जादू में पारंगत था और किसी भी तरह रत्नावती को पाने के लिए बेताब था।कहानी के अनुसार, उसने एक दिन रत्नावती की एक दासी को बाजार में इत्र खरीदते देखा। तांत्रिक ने उस इत्र की शीशी में वशीकरण मंत्र डाल दिया ताकि जब रत्नावती वह इत्र लगाती, तो वह उसके वश में हो जाती।लेकिन रत्नावती, जो स्वयं भी विदुषी थी, तांत्रिक की चालाकी को समझ गई। उसने वह इत्र की शीशी ज़मीन पर पटक दी, जिससे शीशी टूटकर एक विशाल पत्थर पर गिर गई। कहा जाता है कि पत्थर तुरंत तांत्रिक की ओर तेजी से लुढ़कने लगा और उसे कुचल दिया।

सिंधु सेवड़ा का श्राप
मरते समय सिंधु सेवड़ा ने भानगढ़ और रत्नावती को श्राप दिया कि यह समृद्ध नगर शीघ्र ही बर्बाद हो जाएगा और कोई भी इसके खंडहरों में शांति नहीं पाएगा।
कहते हैं कि तांत्रिक के श्राप के बाद भानगढ़ का पतन शुरू हो गया। युद्ध, सूखा और आपदाओं ने इस क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया और अंततः भानगढ़ वीरान हो गया।
कई लोक कथाओं के अनुसार, राजकुमारी रत्नावती भी एक युद्ध के दौरान मारी गई और उसकी आत्मा आज भी भानगढ़ किले के परिसर में भटकती है।

भानगढ़ में आज भी सुनाई देती हैं चीखें?
स्थानीय लोगों और पर्यटकों के अनुभवों के अनुसार, भानगढ़ किले में आज भी रात के समय चीखने-चिल्लाने की आवाजें आती हैं। कई लोग कहते हैं कि उन्होंने वहां अनजान परछाइयाँ देखी हैं या किसी अदृश्य शक्ति को महसूस किया है।हालाँकि वैज्ञानिक इस तरह की घटनाओं को वातावरण में नमी, तापमान के उतार-चढ़ाव और मनोवैज्ञानिक प्रभाव का नतीजा मानते हैं, लेकिन भानगढ़ का रहस्य आज भी पूरी तरह सुलझ नहीं पाया है।

पुरातत्व विभाग की चेतावनी
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने भी भानगढ़ किले के प्रवेश द्वार पर एक बोर्ड लगाया है, जिसमें लिखा है कि सूरज ढलने के बाद यहाँ आना मना है। यह चेतावनी और भी ज्यादा रहस्य को बढ़ावा देती है और भानगढ़ को भारत का सबसे डरावना स्थान बना देती है।

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