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दर्श अमावस्या पर एक नहीं बल्कि 4 महासंयोग, पितृ दोष से मुक्ति का है सबसे अच्छा दिन, इन उपायों से घर में आएगी बरकत

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हिंदू धर्म में बैसाख का महीना पूजा-पाठ के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। इसका वर्णन गरुड़ पुराण में भी मिलता है। वैसे तो पूरे बैसाख माह में कई पर्व, त्योहार और ऐसी तिथियां आती हैं जिनमें पूजा पाठ का अत्यधिक महत्व होता है लेकिन अगर आपके जीवन में आपके माता-पिता आपसे नाराज हैं या आपके दैनिक कार्य गलत हो जाते हैं तो इस माह की अमावस्या आपके लिए खास रहेगी।

इस दिन पूजा करने से मिलेगा कई गुना फल

इस बार अमावस्या पर ऐसे महान संयोग बन रहे हैं, ऐसे शुभ योग बन रहे हैं कि इस दिन पूजा करने से आपको कई गुना फल मिल सकता है। आप अपने पूर्वजों को प्रसन्न कर सकते हैं। आप अपने कालसर्प दोष की पूजा कर सकते हैं और अपने घर में सुख, समृद्धि और आशीर्वाद बढ़ा सकते हैं।

एक-दो नहीं, बल्कि एक साथ चार संयोग

आने वाली 27 तारीख को वैशाख अमावस्या है और इस दिन दो नहीं बल्कि चार दुर्लभ योग एक साथ बन रहे हैं। इस दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन प्रीति योग, सर्वाथसिद्धि योग के साथ-साथ शिववास योग भी बन रहा है, साथ ही इस दिन अश्विनी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है जो बहुत ही दुर्लभ है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार बैसाख माह में बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है।

प्रीति योग

बैसाख अमावस्या पर देर रात तक प्रीति योग है। यह योग रात्रि 12.19 बजे तक रहेगा। इस योग में किया गया कार्य अत्यंत लाभकारी होता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग

सर्वार्थ सिद्धि योग 27 अप्रैल 2025 को है। सर्वाथसिद्धि योग भी सुबह से ही बन रहा है, यह योग 28 अप्रैल 2025 को सुबह 05:57 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक रहेगा। यह एक शुभ योग है जो किसी भी नए कार्य को शुरू करने के लिए बहुत अनुकूल माना जाता है।

शिववास योग

साथ ही इस अमावस्या पर शिव वास योग भी बन रहा है। रात्रि एक बजे तक शिव वास योग भी रहेगा। कहा जाता है कि इस योग में की गई पूजा-अर्चना अत्यंत फलदायी होती है। शिव वास योग में महादेव की पूजा का विशेष विधान बताया गया है।

अश्विनी नक्षत्र

इस दिन अमावस्या पर अश्विनी नक्षत्र भी इन विशेष योगों के साथ संयोग बना रहा है। इस दिन 27 अप्रैल 2025 को प्रातः 03.39 बजे अश्विनी नक्षत्र प्रारम्भ होगा जबकि अश्विनी नक्षत्र समाप्त होगा।

गरुड़ का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है

गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि अमावस्या तिथि पर पिंडदान या तर्पण करने से पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा-अर्चना, तर्पण करने से सुख-सौभाग्य बढ़ता है, वंश बढ़ता है और आपके घर में सुख-समृद्धि आती है।

इस दिन के अन्य शुभ मुहुर्त
  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 17 मिनट से 05 बजे तक
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 14 मिनट तक
  • निशिता मुहूर्त – रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक
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