भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठनात्मक बदलाव को लेकर गंभीर मंथन शुरू हो गया है। इस संबंध में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने हिस्सा लिया। इस बैठक में पार्टी संगठन के पुनर्गठन, विशेषकर प्रदेश अध्यक्षों और राष्ट्रीय अध्यक्षों के चयन को लेकर विस्तृत चर्चा हुई।
प्रदेश अध्यक्षों के चयन पर आम सहमतिसूत्रों के अनुसार इस बैठक में करीब आधा दर्जन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को बदलने या फिर से नियुक्त करने को लेकर सहमति बन गई है। इनमें वे राज्य शामिल हैं जहां हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं या आने वाले महीनों में चुनाव होने वाले हैं। पार्टी का मानना है कि इन राज्यों में संगठन को नई दिशा देने की जरूरत है, ताकि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं में उत्साह और समर्पण पैदा हो। सूत्रों के अनुसार अगले 3 से 4 दिनों के भीतर इन राज्यों के नए प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी। यह प्रक्रिया पार्टी की परंपरा के अनुरूप होगी, जहां चुनावी रणनीति और संगठनात्मक ताकत को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर नेतृत्व परिवर्तन किए जाते हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया जल्द होगीप्रदेश अध्यक्षों की नियुक्तियों के बाद जल्द ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी। विस्तार के बाद मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म हो रहा है और पार्टी नए चेहरे को जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी में है। यह चुनाव न केवल पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लिए बल्कि आगामी चुनावों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बैठक का राजनीतिक महत्वप्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में होने वाली यह बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि भाजपा नेतृत्व 2025 और 2026 के चुनावों को लेकर काफी गंभीर है और समय रहते संगठन को चुनावी मोड में लाना चाहता है। इस बैठक से यह भी संकेत मिला कि पार्टी शीर्ष स्तर से लेकर राज्य स्तर तक संगठनात्मक अनुशासन और रणनीतिक समन्वय को प्राथमिकता दे रही है।
यह परिवर्तन क्यों आवश्यक है?2024 के लोकसभा चुनाव के बाद के राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए पार्टी के भीतर संगठनात्मक फेरबदल की यह कवायद की जा रही है। हालांकि भाजपा केंद्र में सत्ता में लौट आई है, लेकिन कुछ राज्यों में उसका प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा है। इससे पहले जेपी नड्डा को 2019 के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था और उनका कार्यकाल 2024 के चुनाव तक बढ़ा दिया गया था। अब पार्टी अगली पारी के लिए नए नेतृत्व के साथ आगे बढ़ना चाहती है। इस बैठक के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि भाजपा अब संगठन और सरकार दोनों को नए सिरे से मजबूत करने के लिए निर्णायक कदम उठा रही है, ताकि 2029 की तैयारियां अभी से शुरू की जा सकें।
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