उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलित वोट बैंक हमेशा से ही किंगमेकर की भूमिका में रहा है। यही वजह है कि हर चुनाव में इस समुदाय पर कब्ज़ा करने की होड़ तेज़ हो जाती है। अब समाजवादी पार्टी (सपा) ने दलितों को लुभाने के लिए एक नया हथकंडा अपनाया है: "वोट चोरी"। अखिलेश यादव के निर्देशन में, पार्टी ने अपने प्रमुख संगठन, अंबेडकर वाहिनी को पूरी तरह सक्रिय कर दिया है। इसका लक्ष्य बसपा की कमज़ोर उपस्थिति का फ़ायदा उठाकर दलितों के बीच राजनीतिक पैठ बनाना है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष मिठाई लाल भारती कहते हैं, "हम गाँव-गाँव जाकर लोगों को उनके अधिकारों के बारे में बता रहे हैं और समझा रहे हैं कि चुनावों में उनके वोट चोरी हो रहे हैं। इस बार हमें हर बूथ पर पहरा देना होगा ताकि दलितों की आवाज़ दब न जाए।" गाज़ीपुर और चंदौली जैसे ज़िलों में प्रचार का उदाहरण देते हुए, भारती ने कहा, "हम दलितों के घर-घर जाकर संविधान और आरक्षण की रक्षा और वोट चोरी रोकने का संदेश दे रहे हैं।"
सपा का भाजपा पर हमला
सपा का यह अभियान भाजपा पर सीधा हमला लगता है। पार्टी नेताओं का आरोप है कि सत्तारूढ़ दल दलितों की राजनीतिक ताकत को कमज़ोर करने के लिए चुनावी मशीनरी का दुरुपयोग करता है। इस बीच, बसपा की गिरती साख ने सपा के लिए एक बड़ा मौका पेश किया है। यही वजह है कि सपा पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठबंधन को और मज़बूत करने के लिए "वोट चोरी" को चुनावी हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह रणनीति भाजपा और बसपा दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
वरिष्ठ विश्लेषक ने क्या कहा?
वरिष्ठ विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि "संविधान बचाओ" और "आरक्षण बचाओ" के बाद, "वोट बचाओ" दलितों के बीच सबसे बड़ा नारा बनता जा रहा है। इसे बढ़ावा देकर सपा दलित राजनीति का नया केंद्र बनने की कोशिश कर रही है। मायावती की कमज़ोर होती पकड़ से पैदा हुए खालीपन को भरने का यह एक बेहतरीन मौका है।
दरअसल, कांग्रेस ने बिहार चुनाव में वोट चोरी का मुद्दा उठाया था। राहुल गांधी ने इसे हथियार बनाकर विपक्षी दलों को एकजुट किया था। अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में भी यही एजेंडा लागू किया है। अब सपा का पूरा ध्यान बूथ स्तर पर दलितों को संगठित करने और उन्हें भाजपा के ख़िलाफ़ एकजुट करने पर है। यह स्पष्ट है कि दलित हलकों में "वोट चोरी" नया नारा बन गया है। 2027 के चुनाव ही तय करेंगे कि चुनावी मैदान में इस नारे का क्या असर होगा।
You may also like
कहर मचाने आ रहे 90 के दशक के ओजी विलेन दिलीप ताहिल और मुकेश ऋषि, शेयर किया पोस्टर
जोधपुर सेंट्रल जेल में सोनम वांगचुक से मिलने पहुंचे अमराराम मेघवाल, पुलिस ने रोका
मणिपुर: संयुक्त अभियान में 4 आतंकी गिरफ्तार, हथियार, आईईडी और ड्रग्स बरामद
प्रशांत किशोर आरजेडी की बी-टीम बनकर काम कर रहे : नितिन नबीन
कांग्रेस शासन की कमजोरी को चिदंबरम ने बताया : रविशंकर प्रसाद