ज्येष्ठ का महीना चल रहा है, जिसमें आने वाले व्रत-त्योहारों पर पूजा-पाठ करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव को समर्पित है। इस दिन काल भैरव की पूजा करने से साधक को भय, नकारात्मक ऊर्जा और क्रोध से मुक्ति मिलती है।
कालाष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल 20 मई 2025 को सुबह 5:51 बजे से ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ होगा, जो अगले दिन 21 मई 2025 को प्रात: 4:55 बजे समाप्त होगा। उदया तिथि के अनुसार, कालाष्टमी मंगलवार को मनाई जाएगी।
इस दिन काल भैरव की पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:56 बजे से 12:49 बजे तक है, जबकि ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 4:11 बजे से 4:59 बजे तक है।
कालाष्टमी की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्य करने के बाद काले या नीले रंग के कपड़े पहनें।
पूजा स्थल को गंगाजल से साफ करें और एक चौकी रखें। चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें।
देवता को सफेद चंदन, फल और मिठाई अर्पित करें।
आरती करके पूजा का समापन करें।
कालाष्टमी के अचूक उपाय
कालाष्टमी के दिन काल भैरव जी की मूर्ति के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और 'ऊँ ह्रीं बटुकाय आपद्उद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ऊँ' मंत्र का दो बार जाप करें। इससे आपके जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।
यदि आपके जीवन में परेशानियां आ रही हैं, तो इस दिन सरसों के तेल में बनी रोटी काले कुत्ते को खिलाएं। इससे आपकी परेशानियां कम होंगी।
कालाष्टमी पर काल भैरव को चूरमा (रोटी और चीनी) का भोग लगाना शुभ होता है। इससे आपके दुख-दर्द कम होंगे और परिवार में खुशियां बढ़ेंगी।
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