News India Live, Digital Desk: भारतीय सिनेमा के इतिहास को बदलने वाली एस.एस. राजामौली की मास्टरपीस 'बाहुबली' को कौन भूल सकता है? इस फ़िल्म ने न सिर्फ़ बॉक्स ऑफ़िस पर कमाई के पहाड़ खड़े किए, बल्कि अपने किरदारों को भी अमर बना दिया। फ़िल्म में 'भल्लालदेव' का किरदार निभाने वाले अभिनेता राणा दग्गुबाती का कहना है कि यह फ़िल्म समय के साथ और भी खूबसूरत हो गई है और अब यह सिर्फ़ एक फ़िल्म न होकर एक विरासत बन चुकी है।'बाहुबली' एक यादगार सफ़रएक हालिया इंटरव्यू में राणा ने इस फ़िल्म से जुड़ी अपनी यादों को ताज़ा करते हुए कहा कि 'बाहुबली' की कहानी और उसके किरदारों ने लोगों के दिलों में एक ख़ास जगह बनाई है। उन्होंने दर्शकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्हीं की वजह से यह फ़िल्म इस मुकाम तक पहुँची है। भल्लालदेव के किरदार ने राणा को भारतीय सिनेमा के सबसे यादगार खलनायकों में से एक बना दिया, जिसके लिए उन्हें आज भी दुनिया भर में पहचाना जाता है।दिलचस्प बात यह है कि राणा इस किरदार के लिए पहली पसंद नहीं थे। राजामौली और उनकी टीम ने शुरू में इस रोल के लिए 'गेम ऑफ़ थ्रोन्स' और 'एक्वामैन' फेम हॉलीवुड स्टार जेसन मोमोआ के नाम पर विचार किया था। यह दिखाता है कि राजामौली शुरुआत से ही इस फ़िल्म को एक वैश्विक स्तर पर ले जाना चाहते थे।अब एनिमेशन की दुनिया में 'बाहुबली'बाहुबली की विरासत अब एक नए रूप में आगे बढ़ रही है। हाल ही में 'बाहुबली: क्राउन ऑफ़ ब्लड' नाम की एक एनिमेटेड सीरीज़ डिज़्नी+ हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई है, जो फ़िल्म की कहानी से पहले की दुनिया को दिखाती है। इस सीरीज़ को लेकर राणा बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने राजामौली, अर्का मीडिया और डिज़्नी+ हॉटस्टार को इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बधाई दी। इस सीरीज़ में बाहुबली और भल्लालदेव को महिष्मती की रक्षा के लिए बड़े-बड़े राक्षसों का सामना करते हुए दिखाया गया है।भल्लालदेव का किरदार हमेशा रहेगा ख़ासराणा का मानना है कि भल्लालदेव जैसे किरदार को निभाना उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। एक इंटरव्यू में उनसे जब पूछा गया कि क्या उन्हें बाहुबली का रोल न मिलने का मलाल है, तो उन्होंने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, "नहीं, लेकिन मुझे मारने के लिए दो बाहुबली की ज़रूरत पड़ी थी।" उनका यह जवाब दिखाता है कि वह अपने किरदार से कितना जुड़े हुए हैं।आज 'बाहुबली' को रिलीज़ हुए लगभग 10 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन इसका जादू आज भी बरकरार है। राणा दग्गुबाती के लिए यह सिर्फ़ एक फ़िल्म नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जिसने उनकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया।
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