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Varanasi Airport : वाराणसी में नहीं उतरा IndiGo का विमान, पायलट को लखनऊ ले जाना पड़ा, जानें क्यों

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News India Live, Digital Desk: क्या आपकी भी फ्लाइट्स अक्सर लेट होती हैं या किसी वजह से डायवर्ट हो जाती हैं? अगर हाँ, तो आपको पता होगा कि ऐसी स्थिति में यात्रियों को कितनी परेशानी होती है. ऐसा ही कुछ हुआ जयपुर से वाराणसी जाने वाली इंडिगो की एक फ्लाइट के साथ, जिसकी उड़ान का एक अजीब वाकया सामने आया है. यह फ्लाइट वाराणसी पहुँचने ही वाली थी, कि मौसम ने अपना ऐसा रंग दिखाया कि यात्रियों की सांसे अटक गईं और प्लेन को फिर कहीं और ही उतरना पड़ा!वाराणसी एयरपोर्ट पर मौसम ने दी मात: इंडिगो का विमान लखनऊ में उतरा, यात्री परेशान!जयपुर से उड़ान भरने वाली इंडिगो (IndiGo) एयरलाइंस की एक फ्लाइट (संख्या 6E-247) वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुँचने वाली थी, तभी अचानक से वहां का मौसम खराब हो गया. विजिबिलिटी (दृश्यता) इतनी कम हो गई कि प्लेन के लिए लैंड करना मुश्किल हो गया. पायलट ने काफी देर तक वाराणसी हवाई क्षेत्र के ऊपर हवा में ही चक्कर काटे, शायद उम्मीद थी कि मौसम साफ हो जाए, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से बात करने के बाद विमान को वाराणसी के बजाय लखनऊ के चौधरी चरण सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट (अमौसी एयरपोर्ट) के लिए डायवर्ट कर दिया गया.यात्रियों की परेशानी और सुरक्षा को प्राथमिकता:यह घटना दोपहर के वक्त हुई, और फ्लाइट में मौजूद यात्रियों को काफी देर तक हवा में घूमते रहने और फिर अनिश्चितता का सामना करना पड़ा. इस तरह की अचानक लैंडिंग या डायवर्जन यात्रियों के लिए बहुत परेशान करने वाला होता है, क्योंकि उनके आगे के प्लान्स भी गड़बड़ हो जाते हैं. हालांकि, एयरलाइन के लिए यात्रियों की सुरक्षा सबसे ऊपर होती है, और पायलटों का यह फैसला खराब मौसम में लैंडिंग के जोखिम से बचने के लिए बिलकुल सही था.लखनऊ में लैंड करने के बाद, यात्रियों को वाराणसी ले जाने की व्यवस्था करनी पड़ी, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई. ऐसी घटनाओं से हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि एयरलाइंस और पायलट खराब मौसम या तकनीकी कारणों से अचानक बदलाव कर सकते हैं, और यह यात्रियों की सुरक्षा के लिए ही होता है. उम्मीद है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी भविष्य में ऐसे खराब मौसम से निपटने के लिए और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करेगी. यह एक छोटा सा वाकया लगता है, लेकिन इससे हजारों यात्रियों पर पड़ने वाले असर को कम करके नहीं आंका जा सकता है.
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