काबुल: भारत और पाकिस्तान के बीच बीते कई महीनों से सिंधु जल संधि पर तनातनी चल रही है। इस बीच एक और नया 'वाटर वॉर' क्षेत्र में छिड़ता दिख रहा है। भारत ने अफगानिस्तान को कुनार नदी पर एक बांध बनाने के लिए अपना समर्थन दिया है, जो पाकिस्तान के साथ काबुल की साझा नदी है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देश एक-दूसरे से उलझे हुए हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल ही में सीमा पर भीषण सैन्य संघर्ष देखने को मिला है।   
   
पाकिस्तान के साथ संघर्ष के बाद तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत की तरह इस्लामाबाद का पानी रोकने की रणनीति अपनाई है। तालिबान ने जल्दी ही कुनार नदी पर बांध बनाने का ऐलान किया है। तालिबान सरकार के जल मंत्री अब्दुल लतीफ मंसूर ने कहा है कि अफगानों को अपने पानी का प्रबंधन करने का अधिकार है और वह इस पर आगे बढ़ेंगे।
     
दोनों देशों में बहती है नदीकुनार नदी करीब 5,000 किलोमीटर बहती है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में हिंदू कुश पर्वतों से निकलने वाली ये नदी कुनार और नंगरहार प्रांतों से होते हुए अफगानिस्तान में काबुल नदी में मिलती है। दोनों मिलकर पाकिस्तान में वापस आती हैं।यह पाकिस्तान में बहने वाली सबसे बड़ी नदियों में से एक है। यह खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र के लिए सिंचाई, पेयजल और जलविद्युत शक्ति का प्रमुख स्रोत है।
     
तालिबान की ओर से नदी पर बांध बनाने का निर्णय पिछले कुछ हफ्तो में दोनों देशों के बीच सीमा पर हुई हिंसक झड़पों के बीच आया है।दोनों पक्षों का दावा है कि सीमा पार से हुई इन गोलीबारी में भारी नुकसान हुआ है। अफगानिस्तान का यह कदम अप्रैल में पहलगाम हमले के बाद भारत के सिंधु जल संधि को स्थगित करने जैसा है।
   
भारत की क्या भूमिका हैभारत ने कुनार नदी पर बांध बनाने की अफगानिस्तान की योजना का समर्थन करते हुए कहा कि वह जलविद्युत परियोजनाओं सहित सतत जल प्रबंधन में काबुल का समर्थन करने के लिए तैयार है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच जल संबंधी मामलों में सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है। सलमा बांध इस सहयोग का एक आदर्श उदाहरण है। भारत का सहयोग तालिबान को बांध बनाने में आसानी कर सकता है।
   
तालिबान का कुनार नदी पर बांध बनाने का निर्णय पाकिस्तान के लिए एक चिंता का विषय है। बांध से नदी के पानी का प्रवाह बाधित होगा, जो पाकिस्तानी लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान में यह नदी और इसकी सहायक नदियां पेशावर शहर के बीस लाख से ज्यादा निवासियों की पेयजल और स्वच्छता संबंधी ज़रूरतों को पूरा करती है।
   
पाकिस्तान को नुकसानपाकिस्तान को कुनार नदी से हर साल औसतन 17 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी मिलता है। अफगानिस्तान इस पर बांध बनाता है तो पाकिस्तान के जल प्रवाह में अनुमानित तीन MAF की कमी आ सकती है। यह नदी 1 अप्रैल से 10 जून तक की शुरुआती खरीफ फसल के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस समय तरबेला बांध अपने अंतिम स्तर पर पहुँच जाता है और सिंधु नदी में पानी का भंडारण बहुत कम होता है।
   
इसके अलावा यह पाकिस्तान के लिए दोहरी जल समस्या बन जाएगा क्योंकि पूर्व में भारत और पश्चिम में अफगानिस्तान से उसकी नदियों पर दबाव का सामना करना पड़ेगा। सिंधु समझौता प्रभावित होने से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में फसलें खतरे में हैं। वहीं तालिबान के फैसले से उसको सबसे बड़े प्रांत खैबर पख्तूनख्वां में दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।
पाकिस्तान के साथ संघर्ष के बाद तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत की तरह इस्लामाबाद का पानी रोकने की रणनीति अपनाई है। तालिबान ने जल्दी ही कुनार नदी पर बांध बनाने का ऐलान किया है। तालिबान सरकार के जल मंत्री अब्दुल लतीफ मंसूर ने कहा है कि अफगानों को अपने पानी का प्रबंधन करने का अधिकार है और वह इस पर आगे बढ़ेंगे।
दोनों देशों में बहती है नदीकुनार नदी करीब 5,000 किलोमीटर बहती है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में हिंदू कुश पर्वतों से निकलने वाली ये नदी कुनार और नंगरहार प्रांतों से होते हुए अफगानिस्तान में काबुल नदी में मिलती है। दोनों मिलकर पाकिस्तान में वापस आती हैं।यह पाकिस्तान में बहने वाली सबसे बड़ी नदियों में से एक है। यह खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र के लिए सिंचाई, पेयजल और जलविद्युत शक्ति का प्रमुख स्रोत है।
तालिबान की ओर से नदी पर बांध बनाने का निर्णय पिछले कुछ हफ्तो में दोनों देशों के बीच सीमा पर हुई हिंसक झड़पों के बीच आया है।दोनों पक्षों का दावा है कि सीमा पार से हुई इन गोलीबारी में भारी नुकसान हुआ है। अफगानिस्तान का यह कदम अप्रैल में पहलगाम हमले के बाद भारत के सिंधु जल संधि को स्थगित करने जैसा है।
भारत की क्या भूमिका हैभारत ने कुनार नदी पर बांध बनाने की अफगानिस्तान की योजना का समर्थन करते हुए कहा कि वह जलविद्युत परियोजनाओं सहित सतत जल प्रबंधन में काबुल का समर्थन करने के लिए तैयार है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच जल संबंधी मामलों में सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है। सलमा बांध इस सहयोग का एक आदर्श उदाहरण है। भारत का सहयोग तालिबान को बांध बनाने में आसानी कर सकता है।
तालिबान का कुनार नदी पर बांध बनाने का निर्णय पाकिस्तान के लिए एक चिंता का विषय है। बांध से नदी के पानी का प्रवाह बाधित होगा, जो पाकिस्तानी लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान में यह नदी और इसकी सहायक नदियां पेशावर शहर के बीस लाख से ज्यादा निवासियों की पेयजल और स्वच्छता संबंधी ज़रूरतों को पूरा करती है।
पाकिस्तान को नुकसानपाकिस्तान को कुनार नदी से हर साल औसतन 17 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी मिलता है। अफगानिस्तान इस पर बांध बनाता है तो पाकिस्तान के जल प्रवाह में अनुमानित तीन MAF की कमी आ सकती है। यह नदी 1 अप्रैल से 10 जून तक की शुरुआती खरीफ फसल के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस समय तरबेला बांध अपने अंतिम स्तर पर पहुँच जाता है और सिंधु नदी में पानी का भंडारण बहुत कम होता है।
इसके अलावा यह पाकिस्तान के लिए दोहरी जल समस्या बन जाएगा क्योंकि पूर्व में भारत और पश्चिम में अफगानिस्तान से उसकी नदियों पर दबाव का सामना करना पड़ेगा। सिंधु समझौता प्रभावित होने से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में फसलें खतरे में हैं। वहीं तालिबान के फैसले से उसको सबसे बड़े प्रांत खैबर पख्तूनख्वां में दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।
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