मनीला/बीजिंग: भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के बाद फिलीपींस ने उसे चीन की तरफ मुंह मोड़कर तैनात कर दिया है। फिलीपींस की तरफ से एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें घातक ब्रह्मोस एंटी-शिप क्रूज मिसाइल का प्रदर्शन किया गया है। ये पहली बार है जब फिलीपींस ने ब्रह्मोस मिसाइल का सार्वजनिक प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, फिलीपीन मरीन कॉर्प्स ने कथित तौर पर ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों से लैस एक नई एंटी-शिप मिसाइल यूनिट का अनावरण किया है।
जारी किए गये वीडियो में, प्रत्येक लॉन्चर दो ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस दिखाई दे रहा था, जबकि रीलोडिंग कैरियर में चार अतिरिक्त मिसाइलें थीं। फिलीपींस की तटीय रक्षा रेजिमेंट ने बताया है, कि प्रत्येक फिलीपीन मरीन कॉर्प्स ब्रह्मोस बैटरी में दो मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर, एक रडार वाहन, एक मिसाइल रीलोडर और एक कमांड और कंट्रोल ट्रक होगा।
चीन का फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर निशाना
फिलीपींस ने इस वीडियो को उस वक्त जारी किया है, जब चीन ने दक्षिण चीन सागर में हैनान प्रांत के सान्या में आयोजित एक समारोह में अपने लेटेस्ट फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर को नौसेना में शामिल किया है। चीन में ही बने इस फ्लैटटॉप एयरक्राफ्ट कैरियर को नौसेना में शामिल किए जाने को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी बलों की क्षमता में एक बड़े एडवांसमेंट के रूप में देखा जा रहा है। फिलीपींस ने ब्रह्मोस मिसाइल के तट-आधारित, जहाज-रोधी वैरिएंट की तीन बैटरियों के लिए भारत के साथ 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारत के अलावा ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल करने वाला फिलीपींस दूसरा देश है।
आपको बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइस की पहली खेप को भारत ने 2024 में फिलीपींस को सौंपा था, वहीं दूसरी खेप 2025 के अप्रैल में पहुंची है। तीसरी खेप अगले महीने सौंपे जाने की रिपोर्ट है। फिलीपींस मरीन कॉर्प्स ने ब्रह्मोस को जाम्बालेस स्थित नौसैनिक ठिकाने पर तैनात किया है, जो स्कारबोरो शोअल से महज 220 किलोमीटर दूर है। ये वही इलाका जहां चीन ने 2012 में कब्जा कर लिया था। यह रणनीतिक दूरी मिसाइल की 290 किमी की रेंज के भीतर है, यानी जरूरत पड़ने पर चीन की कोस्ट गार्ड या मिलिशिया नौकाओं को सीधे निशाने पर लिया जा सकता है।
ब्रह्मोस मिसाइस को चीन नहीं कर सकता इंटरसेप्ट
ब्रह्मोस की सबसे बड़ी ताकत उसकी स्पीड है। इसके अलावा उसमें 200–300 किलो वॉरहेड क्षमता है, जो दुश्मन को पलटवार का मौका ही नहीं देती। इसकी टर्मिनल फ्लाइट प्रोफाइल बेहद कम ऊंचाई (सिर्फ 10 मीटर) पर होती है, जिससे रडार पर पकड़ना लगभग असंभव हो जाता है। इसी वजह से इसे गेम-चेंजर कहा जा रहा है। चीन के पास ऐसा कोई एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है, जो ब्रह्मोस को इंटरसेप्ट कर सके। फिलीपींस के पूर्व रक्षा मंत्री डेल्फ़िन लोरेंज़ाना ने भी माना था कि यह मिसाइल फिलीपींस की "संप्रभुता को चुनौती देने की किसी भी कोशिश के खिलाफ डेटरेंट है।"
जारी किए गये वीडियो में, प्रत्येक लॉन्चर दो ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस दिखाई दे रहा था, जबकि रीलोडिंग कैरियर में चार अतिरिक्त मिसाइलें थीं। फिलीपींस की तटीय रक्षा रेजिमेंट ने बताया है, कि प्रत्येक फिलीपीन मरीन कॉर्प्स ब्रह्मोस बैटरी में दो मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर, एक रडार वाहन, एक मिसाइल रीलोडर और एक कमांड और कंट्रोल ट्रक होगा।
चीन का फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर निशाना
फिलीपींस ने इस वीडियो को उस वक्त जारी किया है, जब चीन ने दक्षिण चीन सागर में हैनान प्रांत के सान्या में आयोजित एक समारोह में अपने लेटेस्ट फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर को नौसेना में शामिल किया है। चीन में ही बने इस फ्लैटटॉप एयरक्राफ्ट कैरियर को नौसेना में शामिल किए जाने को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी बलों की क्षमता में एक बड़े एडवांसमेंट के रूप में देखा जा रहा है। फिलीपींस ने ब्रह्मोस मिसाइल के तट-आधारित, जहाज-रोधी वैरिएंट की तीन बैटरियों के लिए भारत के साथ 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारत के अलावा ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल करने वाला फिलीपींस दूसरा देश है।
आपको बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइस की पहली खेप को भारत ने 2024 में फिलीपींस को सौंपा था, वहीं दूसरी खेप 2025 के अप्रैल में पहुंची है। तीसरी खेप अगले महीने सौंपे जाने की रिपोर्ट है। फिलीपींस मरीन कॉर्प्स ने ब्रह्मोस को जाम्बालेस स्थित नौसैनिक ठिकाने पर तैनात किया है, जो स्कारबोरो शोअल से महज 220 किलोमीटर दूर है। ये वही इलाका जहां चीन ने 2012 में कब्जा कर लिया था। यह रणनीतिक दूरी मिसाइल की 290 किमी की रेंज के भीतर है, यानी जरूरत पड़ने पर चीन की कोस्ट गार्ड या मिलिशिया नौकाओं को सीधे निशाने पर लिया जा सकता है।
ब्रह्मोस मिसाइस को चीन नहीं कर सकता इंटरसेप्ट
ब्रह्मोस की सबसे बड़ी ताकत उसकी स्पीड है। इसके अलावा उसमें 200–300 किलो वॉरहेड क्षमता है, जो दुश्मन को पलटवार का मौका ही नहीं देती। इसकी टर्मिनल फ्लाइट प्रोफाइल बेहद कम ऊंचाई (सिर्फ 10 मीटर) पर होती है, जिससे रडार पर पकड़ना लगभग असंभव हो जाता है। इसी वजह से इसे गेम-चेंजर कहा जा रहा है। चीन के पास ऐसा कोई एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है, जो ब्रह्मोस को इंटरसेप्ट कर सके। फिलीपींस के पूर्व रक्षा मंत्री डेल्फ़िन लोरेंज़ाना ने भी माना था कि यह मिसाइल फिलीपींस की "संप्रभुता को चुनौती देने की किसी भी कोशिश के खिलाफ डेटरेंट है।"
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