बीजिंग/ताइपे: चीन अब रूस को बड़े भाई के तौर पर देख सकता है, क्योंकि रूस ने उसे ताइवान पर हमला करने की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन काफी गंभीरता से रूस से ये सीख रहा है कि उसने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया पर कैसे कब्जा किया था। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2027 तक ताइवान पर हमला कर उसे कब्जे में करने का आदेश पीएलए को दे रखा है। जिसमें रूस उसकी मदद कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान पर हमला करने में बेहद जरूरी भूमिका निभाने वाले हथियारों की डिलीवरी भी रूस ने चीन को शुरू कर दी है।
"ब्लैक मून हैक्टिविस्ट समूह" की लीक रिपोर्ट के मुताबिक ये डील करीब 584 मिलियन डॉलर की है। कियाव और रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (RUSI) ने इस रिपोर्ट की जांच के बाद पुष्टि की है। लीक दस्तावेज में कहा गया है कि यह प्रशिक्षण संभवतः पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को 2027 तक ताइवान पर हमले के लिए तैयार करने के लिए दिया जा रहा है। लीक हुए अनुबंधों में बख्तरबंद वाहन, कमांड यूनिट और हल्के आभासी हमले के उपकरण शामिल हैं, ताकि चीन की सेना जल्दी और सामंजस्यपूर्ण ढंग से हमला कर सके। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सहयोग सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं है, बल्कि रूस, चीनी पैराट्रूपर्स को हाईब्रिड युद्ध, निगरानी और तोड़-फोड़ की एडवांस तकनीकों में प्रशिक्षित कर रहा है, जैसा उसने क्रीमिया में किया था।
चीन को ताइवान पर कब्जे की ट्रेनिंग दे रहा रूस!
लीक दस्तावेजों के मुताबिक रूस, चीन के एक एयरबोर्न बटालियन को स्पेशल ऑपरेशन की ट्रेनिंग दे रहा है। जिसमें हाई-एटिट्यूड पैराशूट उतारना और बख्तरबंद वाहनों की गुप्त तैनाती शामिल है। प्रशिक्षण, रूस और चीन दोनों में होगा, जिसमें आग नियंत्रण, लैंडिंग प्रक्रिया और मेकैनिकाइज्ड फोर्स के साथ एयरबोर्न यूनिट का कॉर्डिनेशन शामिल है। रूस, चीनी सैनिकों को जिन हथियारों की ट्रेनिंग दे रहा है, उनमें BMD-4M, Sprut एंटी-टैंक गन और कमांड और ऑब्जर्वेशन वाहन शामिल हैं, जिन्हें ऑपरेशन की जरूरत के मुताबिक तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा, रूस मल्टी-परपज ड्रोन, विशेष पैराशूट सिस्टम और तकनीकी रख-रखाव केंद्र चीन में स्थापित कर रहा है, जिससे भविष्य में स्थानीय उत्पादन और आधुनिकीकरण संभव हो सके। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका मकसद PLA की ऐसी क्षमता विकसित करना है जो महत्वपूर्ण स्थानों पर तेजी से नियंत्रण स्थापित कर सके।
रूसी विज्ञान संस्थान (RUSI) के एक्सपर्ट ओलेक्सांद्र वी. डैनिल्युक और डॉ. जैक वाटलिंग के अनुमान के मुताबिक, इन समझौतों में यह प्रावधान है कि सभी बख्तरबंद वाहनों में चीनी कम्युनिकेशन और कमांड एवं कंट्रोल उपकरण होने चाहिए, और रूसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ उनकी विद्युत चुम्बकीय संगतता का सत्यापन भी होना चाहिए। हालांकि चीन के साथ दिक्कत ये है कि उसके पास क्रीमिया में जिस तरह से रूस के पास समर्थन हासिल था, उतना ताइवान में उसे नहीं मिलेगा। क्रीमिया में रूसी मूल के लोगों ने रूसी सैनिकों का स्वागत किया था, जबकि पूरा ताइवान चीन के खिलाफ होगा। इसके अलावा, ताइवान में पहाड़ी लड़ाई और फिर शहरी लड़ाई भी होगी, जिसके लिए भी रूस, चीनी सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहा है।
"ब्लैक मून हैक्टिविस्ट समूह" की लीक रिपोर्ट के मुताबिक ये डील करीब 584 मिलियन डॉलर की है। कियाव और रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (RUSI) ने इस रिपोर्ट की जांच के बाद पुष्टि की है। लीक दस्तावेज में कहा गया है कि यह प्रशिक्षण संभवतः पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को 2027 तक ताइवान पर हमले के लिए तैयार करने के लिए दिया जा रहा है। लीक हुए अनुबंधों में बख्तरबंद वाहन, कमांड यूनिट और हल्के आभासी हमले के उपकरण शामिल हैं, ताकि चीन की सेना जल्दी और सामंजस्यपूर्ण ढंग से हमला कर सके। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सहयोग सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं है, बल्कि रूस, चीनी पैराट्रूपर्स को हाईब्रिड युद्ध, निगरानी और तोड़-फोड़ की एडवांस तकनीकों में प्रशिक्षित कर रहा है, जैसा उसने क्रीमिया में किया था।
चीन को ताइवान पर कब्जे की ट्रेनिंग दे रहा रूस!
लीक दस्तावेजों के मुताबिक रूस, चीन के एक एयरबोर्न बटालियन को स्पेशल ऑपरेशन की ट्रेनिंग दे रहा है। जिसमें हाई-एटिट्यूड पैराशूट उतारना और बख्तरबंद वाहनों की गुप्त तैनाती शामिल है। प्रशिक्षण, रूस और चीन दोनों में होगा, जिसमें आग नियंत्रण, लैंडिंग प्रक्रिया और मेकैनिकाइज्ड फोर्स के साथ एयरबोर्न यूनिट का कॉर्डिनेशन शामिल है। रूस, चीनी सैनिकों को जिन हथियारों की ट्रेनिंग दे रहा है, उनमें BMD-4M, Sprut एंटी-टैंक गन और कमांड और ऑब्जर्वेशन वाहन शामिल हैं, जिन्हें ऑपरेशन की जरूरत के मुताबिक तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा, रूस मल्टी-परपज ड्रोन, विशेष पैराशूट सिस्टम और तकनीकी रख-रखाव केंद्र चीन में स्थापित कर रहा है, जिससे भविष्य में स्थानीय उत्पादन और आधुनिकीकरण संभव हो सके। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका मकसद PLA की ऐसी क्षमता विकसित करना है जो महत्वपूर्ण स्थानों पर तेजी से नियंत्रण स्थापित कर सके।
रूसी विज्ञान संस्थान (RUSI) के एक्सपर्ट ओलेक्सांद्र वी. डैनिल्युक और डॉ. जैक वाटलिंग के अनुमान के मुताबिक, इन समझौतों में यह प्रावधान है कि सभी बख्तरबंद वाहनों में चीनी कम्युनिकेशन और कमांड एवं कंट्रोल उपकरण होने चाहिए, और रूसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ उनकी विद्युत चुम्बकीय संगतता का सत्यापन भी होना चाहिए। हालांकि चीन के साथ दिक्कत ये है कि उसके पास क्रीमिया में जिस तरह से रूस के पास समर्थन हासिल था, उतना ताइवान में उसे नहीं मिलेगा। क्रीमिया में रूसी मूल के लोगों ने रूसी सैनिकों का स्वागत किया था, जबकि पूरा ताइवान चीन के खिलाफ होगा। इसके अलावा, ताइवान में पहाड़ी लड़ाई और फिर शहरी लड़ाई भी होगी, जिसके लिए भी रूस, चीनी सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहा है।
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