नई दिल्ली: आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म जारी कर दिए हैं। इस बार के आरटीआई फॉर्म में बजट 2024 में किए गए इनकम टैक्स से जुड़े बदलावों को शामिल किया गया है। अगर आप सैलरीड पर्सन हैं तो आपको पता होना चाहिए कि आईटीआर-1 और आईटीआर-2 में से कौन सा फॉर्म भरना होगा। सैलरीड पर्सन के लिए यही दो फॉर्म होते हैं। इसके बाद के फॉर्म प्रोफेशनल और कारोबारियों के लिए होते हैं।
आयकर विभाग ने उन टैक्सपेयर्स के लिए नियम बदल दिए हैं जो आईटीआर-1 फॉर्म का उपयोग करके अपना टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। इस बदलाव से कई करदाताओं के लिए अपना आईटीआर फाइल करना आसान हो जाएगा। पहले, जिन व्यक्तिगत करदाताओं को कैपिटल गेन होता था, वे आईटीआर-1 फॉर्म का उपयोग करके अपना आईटीआर फाइल नहीं कर सकते थे।
नए फॉर्म के अनुसार, अब व्यक्तिगत करदाता आईटीआर-1 का इस्तेमाल करके अपना आईटीआर फाइल कर सकते हैं, भले ही उन्हें लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन हुआ हो। लेकिन, इसके लिए कुछ शर्तें हैं। यह लाभ लिस्टेड इक्विटी शेयरों और/या इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री से होना चाहिए। साथ ही, लाभ की राशि एक वित्तीय वर्ष में 1.25 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
कौन फाइल कर सकता है आईटीआर-1 फॉर्म?कोई भी सैलरीड पर्सन आईटीआर-1 फॉर्म भरने के लिए योग्य होता है। हालांकि इसके लिए नीचे दी गईं शर्तों में से किसी एक या एक से अधिक को पूरा करना जरूरी है:
आईटीआर-2 फॉर्म किसके लिए जरूरी?वे टैक्सपेयर्स जो ITR-1 का उपयोग करके अपना ITR फाइल करने के योग्य नहीं हैं, वे ITR-2 का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए इन शर्तों में से किसी एक या इससे ज्यादा का पूरा करना जरूरी है:
नोट: आईटीआर फाइल करने से पहले किसी सीए या इनकम टैक्स एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
आयकर विभाग ने उन टैक्सपेयर्स के लिए नियम बदल दिए हैं जो आईटीआर-1 फॉर्म का उपयोग करके अपना टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। इस बदलाव से कई करदाताओं के लिए अपना आईटीआर फाइल करना आसान हो जाएगा। पहले, जिन व्यक्तिगत करदाताओं को कैपिटल गेन होता था, वे आईटीआर-1 फॉर्म का उपयोग करके अपना आईटीआर फाइल नहीं कर सकते थे।
नए फॉर्म के अनुसार, अब व्यक्तिगत करदाता आईटीआर-1 का इस्तेमाल करके अपना आईटीआर फाइल कर सकते हैं, भले ही उन्हें लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन हुआ हो। लेकिन, इसके लिए कुछ शर्तें हैं। यह लाभ लिस्टेड इक्विटी शेयरों और/या इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री से होना चाहिए। साथ ही, लाभ की राशि एक वित्तीय वर्ष में 1.25 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
कौन फाइल कर सकता है आईटीआर-1 फॉर्म?कोई भी सैलरीड पर्सन आईटीआर-1 फॉर्म भरने के लिए योग्य होता है। हालांकि इसके लिए नीचे दी गईं शर्तों में से किसी एक या एक से अधिक को पूरा करना जरूरी है:
- व्यक्ति 'साधारण निवासी' (ROR) होना चाहिए। इसका मतलब है कि वह व्यक्ति भारत में काफी समय से रह रहा हो।
- वित्त वर्ष 2024-25 में कुल टैक्सेबल इनकम 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। टैक्सेबल इनकम वह इनकम है जिस पर टैक्स लगता है।
- इनकम के सोर्स सैलरी, एक घर की संपत्ति, अन्य स्रोत जैसे कि ब्याज, डिविडेंड, पेंशन आदि, लिस्टेड इक्विटी शेयरों और/या इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स से 1.25 लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और 5000 रुपये तक की कृषि आय से अधिक नहीं होने चाहिए।
आईटीआर-2 फॉर्म किसके लिए जरूरी?वे टैक्सपेयर्स जो ITR-1 का उपयोग करके अपना ITR फाइल करने के योग्य नहीं हैं, वे ITR-2 का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए इन शर्तों में से किसी एक या इससे ज्यादा का पूरा करना जरूरी है:
- इनकम टैक्स के लिए आवासीय स्थिति साधारण निवासी (ROR), निवासी लेकिन साधारण निवासी नहीं (RNOR) और अनिवासी में से कोई एक होना चाहिए।
- हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) हो। HUF एक परिवार होता है जो एक साथ रहता है और जिसका एक ही व्यवसाय होता है।
- वित्त वर्ष 2024-25 में कुल टैक्सेबल इनकम 50 लाख रुपये से अधिक होनी चाहिए।
- व्यवसाय या पेशे से लाभ और अन्य लाभ को छोड़कर किसी भी सोर्स से इनकम। यानी सैलरी, एक से अधिक घर की संपत्ति, अन्य सोर्स से आय जैसे कि ब्याज आय, डिविडेंड, कैपिटल गेन (शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म) जैसे कि अनलिस्टेड इक्विटी शेयरों की बिक्री, लिस्टेड इक्विटी शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स से 1.25 लाख रुपये से अधिक का लाभ, घर, डेट म्यूचुअल फंड, अन्य संपत्ति आदि होनी चाहिए।
- टैक्सपेयर किसी कंपनी में डायरेक्टर हो।
- टैक्सपेयर के पास अनलिस्टेड इक्विटी शेयर हों। अनलिस्टेड इक्विटी शेयर वे शेयर होते हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड नहीं होते हैं।
- टैक्सपेयर को भारत के बाहर के स्रोतों से आय हो, जैसे कि ब्याज, डिविडेंड, किराया, कैपिटल गेन और/या विदेशी संपत्ति जैसे कि विदेशी शेयर, अचल संपत्ति, बैंक खाते आदि हों।
- वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी, NFT आदि की बिक्री/ट्रांसफर से आय हो।
नोट: आईटीआर फाइल करने से पहले किसी सीए या इनकम टैक्स एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
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