Best Countries For Indians: भारतीय छात्र हर साल लाखों की संख्या में विदेश में पढ़ाई के लिए जाते हैं। 2025 में भी भारतीय छात्र विदेशी यूनिवर्सिटीज का रुख करने वाले हैं। वैसे तो अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन लंबे समय से हायर एजुकेशन के लिए पॉपुलर देश रहे हैं। इन देशों में छात्रों को ना सिर्फ अच्छी पढ़ाई का मौका मिलता है, बल्कि वे करियर में आगे भी बढ़ पाते हैं। हालांकि, अब वीजा नियमों में बदलाव और छात्रों के लिए मुश्किल भरे वातावरण की वजह से इन देशों की चमक फीकी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, 13 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र दुनिया के अलग-अलग देशों में डिग्री हासिल कर रहे हैं। विदेश में पढ़ाई के लिए प्लान बनाने से पहले सही देश का चुनाव करना जरूरी होता है, क्योंकि इसमें ट्यूशन फीस से लेकर वहां होने वाले खर्च का हिसाब-किताब भी रखना पड़ता है। इसके अलावा वीजा नियम, पढ़ाई के बाद नौकरी के नियम भी देश को चुनते समय ध्यान में रखना पड़ता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे तीन देशों में भारतीयों के लिए क्या अवसर हैं। नीतियों में बदलाव से दूर होते भारतीय छात्रMIT और हार्वर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की वजह से अमेरिका हायर एजुकेशन के लिए भारतीयों का पसंदीदा देश रहा है। 2023 में यहां 2.34 लाख छात्र पढ़ाई कर रहे थे। हालांकि, 2024 में पढ़ाई के बढ़ते खर्च और H-1B वर्क वीजा को लेकर अनिश्चितता के माहौल के चलते यहां भारतीयों के दाखिले में 13% की गिरावट देखने को मिली। यहां औसतन सालाना पढ़ाई का खर्च 24 लाख रुपये पहुंच गया। OPT प्रोग्राम से 12 महीने जॉब तो मिलती है, लेकिन फिर उसके बाद का रास्ता काफी ज्यादा कठिन है। कनाडा में 2023 में 2.33 लाख छात्र पढ़ाई कर रहे थे, जहां 2024 में उनकी संख्या घटकर 1.37 लाख हो गई। भारतीय छात्रों की संख्या में 41% की गिरावट देखने को मिली। स्टडी परमिट नियमों के कड़े होने, स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) को खत्म करने और भारत के साथ राजनयिक तनाव की वजह से कनाडा की चमक फीकी पड़ी है। हालांकि, इन सब के बाद भी कनाडा में पोस्टग्रेजुएशन वर्क परमिट (PGWP) से तीन साल तक जॉब की इजाजत होती है, जिससे कनाडा में PR का रास्ता भी खुलता है। ब्रिटेन में 2023 में 1.36 लाख भारतीय छात्र पढ़ रहे थे, जिनकी संख्या 2024 में 27% घट गई। इसकी वजह ब्रिटिश सरकार का वीजा प्रतिबंध रहा। ट्यूशन फीस में भी 285 पाउंड की बढ़ोतरी की गई। इस तरह यहां पर पढ़ाई का खर्च लगभग 10 लाख रुपये सालाना पर पहुंच गया। हालांकि, इन सब चीजों के बाद भी ग्रेजुएट रूट वीजा के जरिए छात्रों को दो साल तक जॉब की इजाजत है। पीएचडी स्टूडेंट्स को तो तीन साल तक नौकरी करने की इजाजत दी गई है। किन देशों की बढ़ रही दिलचस्पी?वहीं, जहां अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में वीजा प्रतिबंध और पढ़ाई का खर्च छात्रों का सिरदर्द बना हुआ है। दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां हाई क्वालिटी एजुकेशन फ्री या फिर किफायती दाम में मुहैया कराई जा रही है। इसमें सबसे पहला नाम जर्मनी का आता है, जहां की पब्लिक यूनिवर्सिटीज में कोई फीस नहीं ली जाती है। जर्मनी के अलावा न्यूजीलैंड में भी छात्रों की संख्या बढ़ी है। इसी तरह से फ्रांस भी किफायती एजुकेशन की वजह से भारतीयों के बीच पॉपुलर हो रहा है। आयरलैंड पढ़ने जाने वाले भारतीयों की भी संख्या बढ़ रही है। स्पेन, इटली और माल्टा जैसे देश भी हायर एजुकेशन के लिए भारतीयों को लुभा रहे हैं। इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के मुकाबले पढ़ाई का खर्च कम है और यूरोप में नौकरी करने के शानदार अवसर हैं।
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