नई दिल्ली: दिल्ली में रहने वाले लोग गर्मी से परेशान हैं। रात में भी तापमान कम नहीं हो रहा है। इससे लोगों को बहुत दिक्कत हो रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि गर्म रातों का असर सेहत और अर्थव्यवस्था दोनों पर पड़ता है। अप्रैल में दो बार ऐसा हुआ जब रात का पारा ऊपर चढ़ा रहा। गुरुवार को न्यूनतम तापमान 25.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि शुक्रवार को यह 25.6 डिग्री सेल्सियस रहा। इससे पहले 9 और 10 अप्रैल को भी गर्म रातें थीं। तब न्यूनतम तापमान 25.6 और 25.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।एक्सपर्ट्स का कहना है कि रात में ज़्यादा तापमान होने से सेहत पर ज़्यादा बुरा असर पड़ता है। दिन के तापमान से ज़्यादा रात का तापमान नुकसानदायक होता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की प्रोग्राम मैनेजर मिताशी सिंह ने कहा कि ज़्यादा तापमान की वजह सिर्फ मौसम नहीं है। इसकी वजह खराब प्लानिंग, हरियाली की कमी, पानी के स्रोत कम होना और कचरा प्रबंधन भी है। कंक्रीट के जंगल, हरियाली की कमीमिताशी सिंह ने कहा, 'हमारे शहर, जो रात में ठंडे हो जाते थे, अब नहीं हो पाते। इसकी बड़ी वजह कंक्रीट के जंगल, हरियाली की कमी और पानी के स्रोत कम होना है। गर्मी को सोखने वाली चीजें खत्म हो गई हैं। हम दिन भर गर्मी को जमा करते हैं और रात में उसे छोड़ते हैं। इसे ही अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट कहते हैं।' मतलब शहरों में कंक्रीट की वजह से गर्मी बढ़ जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि पक्की सड़कें और टीन की छतें भी रात में गर्मी बढ़ाती हैं। टीन की छतें जल्दी गर्म हो जाती हैं और रात में भी गर्मी छोड़ती रहती हैं। शहरों को गर्मी से कैसे मिले निजात, एक्सपर्ट के सुझावमिताशी सिंह ने आगे कहा, 'यह एक ग्लोबल पैटर्न है। बड़े शहरों में ज़्यादा लोग, कारें और इमारतें होती हैं। इससे इंसानों की गतिविधियां गर्मी बढ़ाने में ज़्यादा योगदान करती हैं। लगभग 70% ग्रीनहाउस गैसें शहरों से ही आती हैं। शहरों में कारों का ज़्यादा इस्तेमाल, कचरे के ढेर, प्रदूषण और इमारतें जैसी समस्याएं हैं। दिल्ली में ये सभी समस्याएं हैं; यहां तीन कचरे के पहाड़ भी हैं।' उन्होंने सुझाव दिया कि निर्माण के लिए देसी तरीके इस्तेमाल करने चाहिए। इंसुलेटेड ईंटों का इस्तेमाल करना चाहिए। "कूल रूफ" तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। कम ऊंचाई वाले घर बनाने चाहिए, जैसे 5-6 मंजिल के घर और उनके आसपास पेड़ लगाने चाहिए।एक्सपर्ट्स ने बताया कि रात में गर्मी से सेहत के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी होता है। CSE की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2030 में 5.8% वर्किंग आवर्स का नुकसान होगा। यह ग्लोबल वार्मिंग के कारण 34 मिलियन फुल-टाइम नौकरियों के बराबर है। इसका मतलब है कि गर्मी के कारण लोग कम काम कर पाएंगे, जिससे देश को आर्थिक नुकसान होगा। गर्मी से निजात पाने की तरकीबों ने समस्या बढ़ायागर्मी एक दुष्चक्र की तरह है। गर्म रातों के कारण AC चलाने की ज़रूरत पड़ती है। AC ज़्यादा गर्मी छोड़ते हैं। लेकिन वह गर्मी भी छोड़ती है, इससे और ज़्यादा AC चलाने की ज़रूरत पड़ती है। इससे बिजली की मांग भी बढ़ जाती है। लेकिन, इसके समाधान भी हैं। इंटरनेशनल वाटर एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पानी के स्रोत और हरियाली गर्मी को कम करने में मदद करते हैं।पिछले साल जून में सफदरजंग के मौसम स्टेशन पर तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। TERI के सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज रिसर्च के फेलो डॉ. प्रसून सिंह के अनुसार, शहर में रात का तापमान अभी भी ज़्यादा है, लेकिन कम नमी के कारण लोगों को ज़्यादा परेशानी नहीं हो रही है। डॉ. प्रसून सिंह ने कहा, 'दिन में तापमान लगातार बहुत ज़्यादा रहता है और कोई ठंडक नहीं होती है, इसलिए गर्मी अगले दिन तक बनी रहती है। रात की गर्मी हानिकारक है, यहां तक कि दिन की गर्मी से भी ज़्यादा, क्योंकि शरीर को आराम चाहिए और वातावरण का ठंडा होना ज़रूरी है। रात में तापमान कम होने से शरीर को आराम मिलता है और हम बेहतर महसूस करते हैं।
You may also like
दलित बच्ची की चीख न सुनाई पड़े, इसलिए मुँह में कपड़ा ठूँस देता था फैजल, दाँतों से…..लडकियों के साथ ऐसा वहशीपना… कलेजा चीर देता है ⑅
कोचिंग सेंटर में प्यार फिर लिवइन में लिये मजे.. अब फ्रिज में खत्म हो गई कहानी ⑅
Samsung Galaxy M35 5G पर ₹3000 की भारी छूट, 8GB RAM और 50MP कैमरा का धमाका ऑफर
एक तिहाई डिजिटल भुगतान क्रेडिट कार्ड और EMI के जरिए हो रहे हैं, यहां UPI का दबदबा
राजौरी के कालाकोट में भारी आंधी-तूफान और ओलावृष्टि से संपत्ति को नुकसान