नई दिल्ली: दुनियाभर के समुद्री मार्ग अब वैश्विक संघर्ष, प्रतिस्पर्धा और जलवायु संकट की नई लहरों से जूझ रहे हैं। जिसे देखते हुए भारत ने अपनी समुद्री रणनीति को एक नए रूप में ढालने का फैसला किया है। 'सागर' (Security and Growth for All in the Region) से आगे बढ़ते हुए भारत अब 'महासागर' (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) की ओर कदम बढ़ा चुका है। नई दिल्ली में आयोजित इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (IPRD) 2025 के दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने इस बदलाव को “समुद्र से महासागर तक की यात्रा- सीमित क्षेत्रीय नजरिए से वैश्विक दृष्टिकोण की ओर संक्रमण” बताया है।
भारतीय नौसेना और नेशनल मैरिटाइम फाउंडेशन (NMF) द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 30 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। एडमिरल त्रिपाठी ने इस दौरान कहा कि "हमें साझा समृद्धि और शांति के लिए सामूहिक यात्रा करनी होगी।” दरअसल, इस बदलाव के जरिए भारत यह संदेश देना चाहता है कि वह सिर्फ भारतीय महासागर तक नहीं, बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग और साझेदारी बढ़ाने के लिए तैयार है।
'सागर' से 'महासागर’ तक... भारत का विजन
एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि आज समुद्र "मानवता की सबसे पुरानी सड़कें" हैं, जो व्यापार, संस्कृति और विचारों को जोड़ती हैं। लेकिन अब ये रास्ते पहले से कहीं ज्यादा अस्थिर हो गए हैं। उन्होंने समुद्री दुनिया की मौजूदा स्थिति को "डायनैक्सिक चैलेंज" बताया, यानी ऐसे हालात जो लगातार बदलते हैं और बहुत जटिल हैं। उन्होंने कहा कि आज तीन बड़ी चुनौतियां सामने हैं, व्यापारिक मंदी, समुद्री अपराध (जैसे अवैध मछली पकड़ना, हथियारों की तस्करी और ड्रग्स) और तेजी से बढ़ती तकनीकी दौड़। इंडियन ओशन रीजन में GPS जैमिंग और साइबर हस्तक्षेप के बढ़ते मामलों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता भी बढ़ा दी है।
असल में भारत की नई रणनीति "महासागर" तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है, सुरक्षा, क्षमता निर्माण और सहयोग। नौसेना प्रमुख ने कहा, "सच्ची क्षमता वही होती है जो पूरा क्षेत्र मिलकर बनाए।" उन्होंने IFC-IOR (Information Fusion Centre–Indian Ocean Region) का भी जिक्र किया, जो आज क्षेत्रीय देशों के बीच जानकारी साझा करने का अहम केंद्र बन चुका है। यहां 15 देशों के अधिकारी तैनात हैं और अगले कुछ वर्षों में यह संख्या 50 तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत ने हाल ही में AIKEYME और IOS SAGAR जैसी संयुक्त नौसैनिक एक्सरसाइज के जरिए सहयोग को व्यवहार में उतारने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
'वसुधैव कुटुम्बकम पर आधारित है भारत की सोच'
वहीं, पूर्व नौसेना प्रमुख और नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (NMF) के चेयरमैन एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा, कि भारत की समुद्री नीति "सभ्यतागत मूल्यों से निकली रणनीति" है, जो "वसुधैव कुटुम्बकम" यानी दुनिया एक परिवार है की सोच पर आधारित है। उन्होंने चार बुनियादी सिद्धांत संवाद, सहयोग, अनुकूलन और भरोसा का जिक्र किया। NMF के महानिदेशक वाइस एडमिरल प्रदीप चौहान (रिटायर्ड) ने कहा कि भारत इंडो-पैसिफिक को "प्रतिस्पर्धा का नहीं, सहयोग का भू-क्षेत्र" मानता है। सम्मेलन के दौरान कई देशों के राजनयिकों और नौसेना अधिकारियों ने भी इस बात पर जोर दिया, कि आने वाले समय में समुद्र सिर्फ सुरक्षा का नहीं, बल्कि विकास और साझेदारी का मंच बनेंगे।
भारतीय नौसेना और नेशनल मैरिटाइम फाउंडेशन (NMF) द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 30 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। एडमिरल त्रिपाठी ने इस दौरान कहा कि "हमें साझा समृद्धि और शांति के लिए सामूहिक यात्रा करनी होगी।” दरअसल, इस बदलाव के जरिए भारत यह संदेश देना चाहता है कि वह सिर्फ भारतीय महासागर तक नहीं, बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग और साझेदारी बढ़ाने के लिए तैयार है।
'सागर' से 'महासागर’ तक... भारत का विजन
एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि आज समुद्र "मानवता की सबसे पुरानी सड़कें" हैं, जो व्यापार, संस्कृति और विचारों को जोड़ती हैं। लेकिन अब ये रास्ते पहले से कहीं ज्यादा अस्थिर हो गए हैं। उन्होंने समुद्री दुनिया की मौजूदा स्थिति को "डायनैक्सिक चैलेंज" बताया, यानी ऐसे हालात जो लगातार बदलते हैं और बहुत जटिल हैं। उन्होंने कहा कि आज तीन बड़ी चुनौतियां सामने हैं, व्यापारिक मंदी, समुद्री अपराध (जैसे अवैध मछली पकड़ना, हथियारों की तस्करी और ड्रग्स) और तेजी से बढ़ती तकनीकी दौड़। इंडियन ओशन रीजन में GPS जैमिंग और साइबर हस्तक्षेप के बढ़ते मामलों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता भी बढ़ा दी है।
असल में भारत की नई रणनीति "महासागर" तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है, सुरक्षा, क्षमता निर्माण और सहयोग। नौसेना प्रमुख ने कहा, "सच्ची क्षमता वही होती है जो पूरा क्षेत्र मिलकर बनाए।" उन्होंने IFC-IOR (Information Fusion Centre–Indian Ocean Region) का भी जिक्र किया, जो आज क्षेत्रीय देशों के बीच जानकारी साझा करने का अहम केंद्र बन चुका है। यहां 15 देशों के अधिकारी तैनात हैं और अगले कुछ वर्षों में यह संख्या 50 तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत ने हाल ही में AIKEYME और IOS SAGAR जैसी संयुक्त नौसैनिक एक्सरसाइज के जरिए सहयोग को व्यवहार में उतारने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
'वसुधैव कुटुम्बकम पर आधारित है भारत की सोच'
वहीं, पूर्व नौसेना प्रमुख और नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (NMF) के चेयरमैन एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा, कि भारत की समुद्री नीति "सभ्यतागत मूल्यों से निकली रणनीति" है, जो "वसुधैव कुटुम्बकम" यानी दुनिया एक परिवार है की सोच पर आधारित है। उन्होंने चार बुनियादी सिद्धांत संवाद, सहयोग, अनुकूलन और भरोसा का जिक्र किया। NMF के महानिदेशक वाइस एडमिरल प्रदीप चौहान (रिटायर्ड) ने कहा कि भारत इंडो-पैसिफिक को "प्रतिस्पर्धा का नहीं, सहयोग का भू-क्षेत्र" मानता है। सम्मेलन के दौरान कई देशों के राजनयिकों और नौसेना अधिकारियों ने भी इस बात पर जोर दिया, कि आने वाले समय में समुद्र सिर्फ सुरक्षा का नहीं, बल्कि विकास और साझेदारी का मंच बनेंगे।
You may also like

सिवनीः आपका छोटा सा योगदान किसी के जीवन में गर्मी और मुस्कान दोनों ला सकता है

पुलिस मुठभेड़ में 25 हजार का इनामी गिरफ्तार

प्रेमी की हत्या से बौखलाई प्रेमिका ने खुद की काट डाली गर्दन, रेफर

तेज प्रताप यादव का वैशाली में विरोध, RJD समर्थकों ने किया हंगामा

छह वर्षीय बेटे की हत्या करने वाली मां और प्रेमी गिरफ्तार




