पुणे : महाराष्ट्र में एक गर्भवती महिला की मौत का मामला राजनीतिक बन गया है। विपक्षी दल महायुति सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। वहीं सरकार ने भी इस मामले में ताबड़तोड़ एक्शन लिया है। घटना पुणे के दीनानाथ हॉस्पिटल की है। महाराष्ट्र के मंत्री प्रकाश अबितार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। आरोप है कि अस्पताल ने एक गर्भवती महिला को भर्ती करने से मना कर दिया था। वजह थी, महिला के पास 10 लाख रुपये की एडवांस रकम नहीं थी। विवाद तूल पकड़ा तो आरोपी डॉक्टर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।महिला का नाम तनीषा भिसे था। वह BJP MLC अमित गोरखे के निजी सहायक की पत्नी थीं। तनीषा की बाद में एक दूसरे अस्पताल में जुड़वां बेटियों को जन्म देने के बाद मौत हो गई। मंत्री अबितार ने इस घटना पर दुख जताते हुए कहा कि हमने स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक को इस मामले की जांच करने को कहा है कि अस्पताल में आखिर क्या हुआ था। उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद, अगर अस्पताल गलत पाया जाता है, तो हम जरूरी कार्रवाई करेंगे। अस्पताल में फेंके गए सिक्केइस घटना के बाद विपक्षी दलों ने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया। शिवसेना (UBT), कांग्रेस और NCP (SP) के कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के बाहर नारेबाजी की। कुछ प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल के कर्मचारियों पर सिक्के भी फेंके। हालात को काबू में रखने के लिए अस्पताल के आसपास पुलिस बल तैनात किया गया था। महाराष्ट्र पुलिस का मकसद था कि कोई भी अप्रिय घटना न हो। बीजेपी एमएलसी के पीए की थी पत्नीMLC गोरखे ने आरोप लगाया था कि अस्पताल ने उनकी पत्नी को भर्ती करने से मना कर दिया। जबकि उन्होंने 3 लाख रुपये तुरंत देने का वादा किया था। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय से बात करने के बाद भी अस्पताल ने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने इन आरोपों को गलत बताया है। अस्पताल का कहना है कि मरीज के रिश्तेदारों ने गलत जानकारी दी है। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. धनंजय केलकर ने कहा है कि वे इस मामले की पूरी रिपोर्ट तैयार करके स्वास्थ्य विभाग को भेजेंगे। सुप्रिया सुले ने लगाए आरोपशरद पवार की बेटी और बारामती सांसद सुप्रिया सुले ने भी मामले में हस्तक्षेप किया है। सुप्रिया सुले ने इसे हत्या का मामला बताया है। उन्होंने अस्पताल के व्यवहार को बीड और परभणी की घटनाओं में राज्य सरकार की मशीनरी जितना ही असंवेदनशील बताया। पीड़ित परिवार से मिलीं सुप्रिया सुलेएनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले ने पीड़िता तनिषा उर्फ ईश्वरी भिसे के परिवार वालों से मुलाकात की। उन्होंने मंगेशकर परिवार से अस्पताल के कामकाज में बदलाव लाने के लिए आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस घटना में मंगेशकर परिवार की कोई गलती नहीं है लेकिन चूंकि दीनानाथ मंगेशकर का नाम अस्पताल से जुड़ा है, इसलिए हमें मंगेशकर परिवार से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करना चाहिए।राज्य सरकार की गठित समिति की जांच रिपोर्ट पर सुप्रिया सुले ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा यह हत्या का मामला है और रिपोर्ट से पता चलता है कि अस्पताल के अधिकारी दोषी थे। रिपोर्ट पर 24 घंटे के भीतर कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और परिवार को न्याय दिलाने के लिए कदम उठाने चाहिए। सीएम दफ्तर से कॉले के बावजूद नहीं मिला इलाजसुप्रिया सुले ने अस्पताल के डॉक्टरों और अन्य अधिकारियों को असंवेदनशील बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने संकट में पड़ी महिला को इलाज मुहैया कराने के बजाय 10 लाख रुपये की मांग की। यह चौंकाने वाला था कि मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आने के बाद भी अस्पताल ने कोई कार्रवाई नहीं की। महिला की जान बचाने में सिस्टम की विफलता के लिए अस्पताल के साथ-साथ CMO को भी आत्मनिरीक्षण करना होगा। आरोपी डॉक्टर का इस्तीफाइस घटना के बाद अस्पताल के डॉक्टर शश्रुत घईसास ने इस्तीफा दे दिया है। वह स्त्री रोग विशेषज्ञ थे।डॉक्टर घईसास ने अपने इस्तीफे में कहा कि लोग उनसे बहुत गुस्सा हैं। सोशल मीडिया पर भी उनकी बहुत आलोचना हो रही है। उन्हें धमकियां भी मिल रही हैं। उन्हें डर है कि इसका असर उनके दूसरे मरीजों के इलाज पर पड़ेगा। उनके परिवार की सुरक्षा भी खतरे में है। इसलिए वह इस्तीफा दे रहे हैं ताकि उनके काम के साथ कोई अन्याय न हो।अस्पताल प्रशासन ने उनका इस्तीफा ट्रस्टियों को भेज दिया है। उम्मीद है कि इसे स्वीकार कर लिया जाएगा। डॉ. केलकर ने यह भी बताया कि डॉ. घईसास गुरुवार तक अपनी तय सर्जरी और काम पूरा करेंगे। उन्होंने यह भी माना कि अस्पताल आमतौर पर जमा राशि नहीं मांगता है। यह सिर्फ हाई-रिस्क मामलों में ही मांगी जाती है। सीएम देवेंद्र फडमवीस ने बनाई कमिटीमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना पर गंभीरता से ध्यान दिया है। उन्होंने संयुक्त आयुक्त चैरिटी की अध्यक्षता में एक समिति बनाकर जांच के आदेश दिए हैं। इसके अलावा, लोक स्वास्थ्य विभाग भी इस मामले की जांच कर रहा है। महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष, रूपाली चाकणकर ने कहा है कि उन्होंने पुणे नगर निगम को इस मामले की विस्तृत जांच करने के निर्देश दिए हैं। पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग ने दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। रिपोर्ट में भी अस्पताल मिला दोषीपुलिस ने बताया कि बीजेपी की महिला विंग के सदस्यों ने पिछले हफ्ते कोथरुड में डॉ. घईसास की मां के क्लिनिक में घुसकर तोड़फोड़ की थी। इस मामले में एक और बात सामने आई है। पांच सदस्यों की एक जांच समिति ने एक रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल ने बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट, 1950 का भी उल्लंघन किया है। इस एक्ट में साफ लिखा है कि आपात स्थिति में, चैरिटेबल अस्पतालों को तुरंत मरीज का इलाज करना चाहिए। उन्हें जीवन बचाने के लिए जरूरी चिकित्सा सुविधाएं देनी चाहिए. अभी दो और समितियों की रिपोर्ट आनी बाकी है।इस बीच, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि कि डॉ. घईसास अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए इस्तीफा दे रहे हैं। अब इस मामले में कोई कमी ढूंढने की कोशिश की जा रही है। सरकार किसका इंतजार कर रही है? क्या वह फिर से कोई कमी ढूंढना चाहती है या बस क्लीन चिट देना चाहती है? इस मामले में जो भी जिम्मेदार है, चाहे वह डॉक्टर हो या अस्पताल प्रशासन, उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
You may also like
Government and Banks Are Offering These Exclusive Home Loan Benefits to Women
Volkswagen Tiguan vs Tiguan R-Line: Key Differences Between the Standard and Sportier Flagship SUV
यात्रीगण ज=कृपया ध्यान दे! 22 अप्रैल से 7 मई तक रद्द और कईयों का मार्ग परिवर्तित, यहां देखिये पूरी लिस्ट
दुनिया की 99.999% आबादी जहरीली हवा में सांस ले रही है: लांसेट की रिपोर्ट
जम्मू-कश्मीर में रहस्यमय मौतों की जांच के लिए अमित शाह ने बनाई टीम