पटना: बिहार में चुनाव हो और चारा घोटाले से जुड़ी कहानियां सामने न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता। ये घोटाला ही ऐसा था कि 30 साल बाद भी लोग इसके बारे में बात करते हैं और जानने की चाहत रखते हैं। सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक उपेंद्र नाथ बिस्वास (यूएन बिस्वास) ने खुलासा किया है कि चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव को 'बख्शने' के लिए कांग्रेस ने उस समय क्या-क्या किया था। उपेंद्र नाथ बिस्वास ने बताया कि कैसे कांग्रेस ने 950 करोड़ रुपये के घोटाले में अपने प्रमुख सहयोगी और राजद प्रमुख लालू प्रसाद को गिरफ्तारी से बचाने के लिए पर्दे के पीछे से राजनीतिक चालें चलीं, लेकिन वे असफल रहीं। 1990-96 के दौरान सामने आया चारा घोटाला बिहार पशुपालन विभाग में हुआ। इसमें अधिकारियों ने बेईमान सप्लायर्स के साथ मिलकर फर्जी बिलों के आधार पर सैकड़ों करोड़ रुपये का गबन किया। जांच में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, नौकरशाहों और राजनेताओं की संलिप्तता सामने आई। ये सरकारी खजाने की बड़ी लूट थी।
'गुरु' ने मानी चेला की बात और गिर गई सरकारउपेंद्र नाथ बिस्वास ने कहा कि कांग्रेस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा पर मुझे लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी से रोकने के लिए दबाव डाला। जब वो अपने उद्देश्य में विफल रहे, तो कांग्रेस ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। रिटायर आईपीएस अफसर ने 1990 के दशक में इस विवादास्पद जांच के दौरान कांग्रेस की ओर से लालू प्रसाद यादव को दिए गए पूर्ण समर्थन की आलोचना की। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव घोटाले में गिरफ्तारी से बचने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा रहे थे। उन्होंने अपने 'गुरु' और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी से केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने का अनुरोध किया। सीताराम केसरी ने उनकी बात मान ली। उन्होंने घोटाले से जुड़े 75 मामलों में सजा दिलाने में सीबीआई की सफलता का श्रेय अदालतों की कड़ी निगरानी को दिया।
राबड़ी को सीएम बनाने की 'गुरु' ने दी थी सलाहपूर्व सीबीआई अधिकारी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी ने ही लालू प्रसाद यादव को इस्तीफा देने और राबड़ी देवी को बिहार का नया मुख्यमंत्री बनाने की सलाह दी थी। चारा घोटाले में सीबीआई द्वारा मामले दर्ज किए जाने के दौरान दिल्ली के सत्ता के गलियारों में मची हलचल की अंदरूनी जानकारी देते हुए उपेंद्र नाथ बिस्वास ने कहा कि गिरफ्तारी से बचने की अपनी हताशा में लालू प्रसाद यादव ने अगले प्रधानमंत्री आईके गुजराल से भी संपर्क किया और मुझ पर नियंत्रण रखने की गुहार लगाई, लेकिन प्रधानमंत्री गुजराल ने कहा, 'मुझे माफ करना।' सेवानिवृत्त सीबीआई अधिकारी ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा गिरफ्तारी से बचने के लिए की गई कोशिशों को भी याद किया।
लालू की गिरफ्तारी के लिए सेना को भेजा था बुलावाउन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे। हमारे पास पूरी शक्ति थी और हम उनके घर गए, लेकिन उन्होंने अपने घर के चारों ओर स्थानीय पुलिस का घेरा बना दिया और हमें अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि सीबीआई अधिकारियों ने मुख्यमंत्री आवास में घुसने के लिए सेना की मदद लेने की भी कोशिश की। सेना ने कहा कि हम लिखित में चाहते हैं। सेना ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से भी संपर्क करने की कोशिश की, जिन्होंने गिरफ्तारी के लिए उनकी मदद लेने की मंजूरी दी थी, लेकिन सेना के अधिकारी न्यायाधीश से संपर्क नहीं कर सके। बाद में 29-30 जुलाई 1997 को बिहार पुलिस की मदद से लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसका इस दिग्गज राजनेता के करियर पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
'किसी के भी पीछे पड़ जाओ, लालू को मत छुओ'1990 के दशक के 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले में मुख्य जांचकर्ता और सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक उपेंद्र नाथ बिस्वास ने घोटाले की जांच से जुड़े कई खुलासे किए। उन्होंने कहा कि पूर्व सीबीआई निदेशक जोगिंदर सिंह ने मुझ पर राजद अध्यक्ष और बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार न करने का दबाव बनाया था। पूर्व सीबीआई अधिकारी बिस्वास ने बताया कि कैसे 1996-1997 के दौरान पूर्व सीबीआई प्रमुख जोगिंदर सिंह ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाया और लालू प्रसाद यादव के खिलाफ नरम रुख अपनाने के लिए मनाने की कोशिश की थी। उपेंद्र नाथ बिस्वास ने कहा कि उन्होंने मुझसे कहा, 'क्या आपको लगता है कि लालू यादव ही एकमात्र भ्रष्ट राजनेता हैं? भारत में सभी राजनेता भ्रष्ट हैं। आप लालू को क्यों परेशान कर रहे हैं?' उन्होंने कहा, 'कुछ ऐसा करो कि लालू बच जाएं। किसी के भी पीछे पड़ जाओ, लेकिन लालू को मत छुओ।'
नौजवान आईएएस अफसर के कॉल से नया मोड़यूएन बिस्वास ने कहा कि तत्कालीन सीबीआई निदेशक ने उन्हें यह कहकर समझाने की कोशिश की थी कि अगर वह लालू को छोड़ देंगे तो कोई प्रतिकूल न्यायिक परिणाम नहीं होगा। 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले की दशकों पुरानी जांच के बारे में एक और तथ्य साझा करते हुए 84 वर्षीय बिस्वास ने कहा कि उनकी टीम को व्यवस्था के भीतर कुछ ईमानदार अधिकारियों का समर्थन भी मिला। उन्होंने कहा कि चारा घोटाला मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ एक युवा आईएएस अधिकारी का फोन कॉल था, जिसने मुझे अपने कार्यालय में मिलने और मामले से जुड़े दस्तावेजी सबूतों को इकट्ठा करने के लिए कहा। बिस्वास ने कहा कि अदालतों की कड़ी निगरानी के कारण ही वह लालू प्रसाद यादव पर नरम रुख अपनाने वाले अपने वरिष्ठों के दबाव का सामना करने में कामयाब रहे।
'75 में 7 की जांच की, मेरे लिए सभी अनमोल'बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच में अहम भूमिका निभाने वाले सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक उपेंद्र नाथ बिस्वास ने इस प्रकरण को अपने जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण और ऐतिहासिक अध्याय बताया है। उपेंद्र नाथ बिस्वास को अक्सर उस व्यक्ति के रूप में जाना जाता है जिसने लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर मजबूर किया। 84 वर्षीय सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने खुलासा किया कि उन्होंने इस घोटाले से जुड़े 75 में से सात मामलों की जांच की थी और ये सातों मामले उनके लिए अनमोल हैं, क्योंकि इनमें पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराया गया। बिस्वास ने कहा, 'ये सभी सात मामले लालू प्रसाद यादव से संबंधित थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक राहत पाने की कोशिश की, लेकिन हम हर स्तर पर जीते। यह जांच पूरी तरह सबूतों और निष्पक्षता पर आधारित थी।' उन्होंने बताया कि जांच के दौरान उन्हें कई दबावों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया।
'चारा घोटाला अपराध नहीं, संगठित साजिश थी'यूएन बिस्वास ने कहा, 'मुझ पर कई बार लालू प्रसाद यादव पर नरमी बरतने का दबाव डाला गया, लेकिन मैंने कानून और सच्चाई के साथ समझौता नहीं किया। मुझे साफ तौर पर कहा गया था कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे लालू बेदाग साबित हों, लेकिन मैंने सच्चाई के साथ खड़े रहने का फैसला किया।' बिस्वास ने याद किया कि जब यह मामला सामने आया, तब बिहार सरकार खुद जांच करना चाहती थी, लेकिन पटना उच्च न्यायालय ने ये कहते हुए अनुमति नहीं दी कि राज्य सरकार स्वयं एक पक्ष है, इसलिए वह निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। इसके बाद जांच सीबीआई को सौंपी गई। यूएन बिस्वास ने बताया कि शुरुआती जांच में यह सामने आया कि घोटाले में शामिल अधिकांश आरोपी निचले स्तर के अधिकारी थे, लेकिन जब गहराई से पड़ताल की गई, तो उनकी कड़ियां सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचीं। उन्होंने कहा, 'अपराध करने वालों ने उच्च स्तर के लोगों को रिश्वत दी, जिसके बाद आदेश जारी किए गए। यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि एक संगठित साजिश थी जिसने पूरे प्रशासनिक ढांचे को चुनौती दी।'
लालू के जेल से बाहर रहने पर बिस्वास ने जताई नाराजगीचारा घोटाला मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को जेल की सलाखों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व सीबीआई अधिकारी उपेंद्र नाथ न केवल कई बड़े खुलासे किए, बल्कि सिस्टम में खामियों की भी आलोचना की। उन्होंने सिस्टम की उन खामियों की आलोचना की जिनके कारण जेल में बंद एक दोषी को स्वास्थ्य कारणों की वजह से जमानत मिलने के बाद भी खुलेआम घूमने की अनुमति मिल गई। 84 वर्षीय सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी बिस्वास ने आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, जेल की सजा सुनाए जाने के बावजूद लालू के राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने पर नाराजगी जताई। बिस्वास ने कहा कि हमारी व्यवस्था पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। कानून के अनुसार, लालू अभी भी जेल में हैं और उन्हें खराब स्वास्थ्य के कारण जमानत दी गई है। डॉक्टरों ने उन्हें एक प्रमाण पत्र दिया है, जिसमें कहा गया है कि उन्हें जेल में नहीं रखा जाना चाहिए। वे बीमार हैं और उन्हें हर दिन इलाज की जरूरत है।
बिहार में चुनाव से बिस्वास के सनसनीखेज खुलासेदरअसल, 6 और 11 नवंबर को होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों से पहले, सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष की पार्टी दशकों के राजनीतिक झटकों के बाद सत्ता में वापसी के लिए जोरदार प्रचार कर रही है। ये झटके जांच एजेंसी द्वारा लालू की गिरफ्तारी और 1990 के दशक के मध्य में हुए 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाला मामले में उनकी दोषसिद्धि से शुरू हुए थे। विश्वास ने लालू के खुलेआम घूमने पर अपनी बेबसी जाहिर की, जिससे चारा घोटाला के आधा दर्जन से ज्यादा मामलों में उन्हें दोषसिद्धि और सजा दिलाने की सीबीआई टीम की कड़ी मेहनत पर पानी फिर गया। उन्होंने कहा कि हमारा कानून ऐसा है कि अगर आप बीमार हैं और आपको बीमारी के लिए जमानत मिल जाती है, तो आप आजाद हैं। व्यावहारिक तौर पर, लालू आजाद हैं, लेकिन तकनीकी तौर पर वे अभी भी जेल में हैं और सजा काट रहे हैं। हालांकि, बिस्वास इस बात से संतुष्ट हैं कि सीबीआई की जांच और लालू की दोषसिद्धि ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को 'जीवन भर चुनाव लड़ने के अयोग्य' बना दिया है। बिस्वास को इस बात पर भी गर्व है कि चारा घोटाले के सिलसिले में सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए सभी 74-75 मामलों में दोषियों को सजा मिली। उन्होंने कहा कि यह एक विश्व रिकॉर्ड है।
यूएन बिस्वास के खुलासे पर हमलावर जेडीयूजेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने चारा घोटाले के जांचकर्ता यूएन बिस्वास के खुलासे 'लालू यादव को बचाने के लिए कांग्रेस ने मदद की थी' पर कहा, 'उस समय यूएन बिस्वास लालू यादव की राजनीति के लिए एक काल बनकर उभरे थे। लालू यादव की गिरफ्तारी के समय बहुत शोर-शराबा हुआ था। इसके बाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बनी थीं।' उन्होंने कहा कि निस्संदेह, ये खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब ट्रायल और इससे जुड़ी तमाम प्रक्रियाएं शुरू होने वाली हैं। इसका जवाब न तो आरजेडी के पास है और न ही कांग्रेस के पास। हमारी खुली चुनौती है कि राजद और कांग्रेस का भ्रष्टाचार के साथ चोली-दामन का जो रिश्ता है, उस पर अगर कोई सफाई दे सकते हैं, तो उन्हें अवश्य देनी चाहिए। कांग्रेस और राजद पर निशाना साधते हुए राजीव रंजन ने कहा, 'कांग्रेस और राजद, ये दो ऐसी पार्टियां हैं, जिनका भ्रष्टाचार के साथ चोली-दामन का रिश्ता है। ना कभी उन्होंने नैतिकता की परवाह की, ना पारदर्शिता कभी उनके रगों में बहने वाला गुण रहा है।'
बिहार में ऐसे हुआ चर्चित चारा घोटालाचारा घोटाला 1990-91 और 1995-96 के दौरान सामने आया। इसके तहत, तत्कालीन बिहार पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बेईमान आपूर्तिकर्ताओं और अन्य लोगों के साथ मिलकर आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने के बहाने सैकड़ों करोड़ रुपए निकाले और गबन किए, जिन्होंने चारे और पशु चिकित्सा दवाओं की आपूर्ति दिखाते हुए नकली/फर्जी बिल जमा किए थे। निकाली गई राशि का अंततः दुरुपयोग किया गया। मामले की जांच के दौरान इसमें तत्कालीन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की भूमिका सामने आई थी।
इनपुट- आईएएनएस
'गुरु' ने मानी चेला की बात और गिर गई सरकारउपेंद्र नाथ बिस्वास ने कहा कि कांग्रेस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा पर मुझे लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी से रोकने के लिए दबाव डाला। जब वो अपने उद्देश्य में विफल रहे, तो कांग्रेस ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। रिटायर आईपीएस अफसर ने 1990 के दशक में इस विवादास्पद जांच के दौरान कांग्रेस की ओर से लालू प्रसाद यादव को दिए गए पूर्ण समर्थन की आलोचना की। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव घोटाले में गिरफ्तारी से बचने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा रहे थे। उन्होंने अपने 'गुरु' और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी से केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने का अनुरोध किया। सीताराम केसरी ने उनकी बात मान ली। उन्होंने घोटाले से जुड़े 75 मामलों में सजा दिलाने में सीबीआई की सफलता का श्रेय अदालतों की कड़ी निगरानी को दिया।
राबड़ी को सीएम बनाने की 'गुरु' ने दी थी सलाहपूर्व सीबीआई अधिकारी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी ने ही लालू प्रसाद यादव को इस्तीफा देने और राबड़ी देवी को बिहार का नया मुख्यमंत्री बनाने की सलाह दी थी। चारा घोटाले में सीबीआई द्वारा मामले दर्ज किए जाने के दौरान दिल्ली के सत्ता के गलियारों में मची हलचल की अंदरूनी जानकारी देते हुए उपेंद्र नाथ बिस्वास ने कहा कि गिरफ्तारी से बचने की अपनी हताशा में लालू प्रसाद यादव ने अगले प्रधानमंत्री आईके गुजराल से भी संपर्क किया और मुझ पर नियंत्रण रखने की गुहार लगाई, लेकिन प्रधानमंत्री गुजराल ने कहा, 'मुझे माफ करना।' सेवानिवृत्त सीबीआई अधिकारी ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा गिरफ्तारी से बचने के लिए की गई कोशिशों को भी याद किया।
लालू की गिरफ्तारी के लिए सेना को भेजा था बुलावाउन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे। हमारे पास पूरी शक्ति थी और हम उनके घर गए, लेकिन उन्होंने अपने घर के चारों ओर स्थानीय पुलिस का घेरा बना दिया और हमें अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि सीबीआई अधिकारियों ने मुख्यमंत्री आवास में घुसने के लिए सेना की मदद लेने की भी कोशिश की। सेना ने कहा कि हम लिखित में चाहते हैं। सेना ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से भी संपर्क करने की कोशिश की, जिन्होंने गिरफ्तारी के लिए उनकी मदद लेने की मंजूरी दी थी, लेकिन सेना के अधिकारी न्यायाधीश से संपर्क नहीं कर सके। बाद में 29-30 जुलाई 1997 को बिहार पुलिस की मदद से लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसका इस दिग्गज राजनेता के करियर पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
'किसी के भी पीछे पड़ जाओ, लालू को मत छुओ'1990 के दशक के 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले में मुख्य जांचकर्ता और सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक उपेंद्र नाथ बिस्वास ने घोटाले की जांच से जुड़े कई खुलासे किए। उन्होंने कहा कि पूर्व सीबीआई निदेशक जोगिंदर सिंह ने मुझ पर राजद अध्यक्ष और बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार न करने का दबाव बनाया था। पूर्व सीबीआई अधिकारी बिस्वास ने बताया कि कैसे 1996-1997 के दौरान पूर्व सीबीआई प्रमुख जोगिंदर सिंह ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाया और लालू प्रसाद यादव के खिलाफ नरम रुख अपनाने के लिए मनाने की कोशिश की थी। उपेंद्र नाथ बिस्वास ने कहा कि उन्होंने मुझसे कहा, 'क्या आपको लगता है कि लालू यादव ही एकमात्र भ्रष्ट राजनेता हैं? भारत में सभी राजनेता भ्रष्ट हैं। आप लालू को क्यों परेशान कर रहे हैं?' उन्होंने कहा, 'कुछ ऐसा करो कि लालू बच जाएं। किसी के भी पीछे पड़ जाओ, लेकिन लालू को मत छुओ।'
नौजवान आईएएस अफसर के कॉल से नया मोड़यूएन बिस्वास ने कहा कि तत्कालीन सीबीआई निदेशक ने उन्हें यह कहकर समझाने की कोशिश की थी कि अगर वह लालू को छोड़ देंगे तो कोई प्रतिकूल न्यायिक परिणाम नहीं होगा। 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले की दशकों पुरानी जांच के बारे में एक और तथ्य साझा करते हुए 84 वर्षीय बिस्वास ने कहा कि उनकी टीम को व्यवस्था के भीतर कुछ ईमानदार अधिकारियों का समर्थन भी मिला। उन्होंने कहा कि चारा घोटाला मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ एक युवा आईएएस अधिकारी का फोन कॉल था, जिसने मुझे अपने कार्यालय में मिलने और मामले से जुड़े दस्तावेजी सबूतों को इकट्ठा करने के लिए कहा। बिस्वास ने कहा कि अदालतों की कड़ी निगरानी के कारण ही वह लालू प्रसाद यादव पर नरम रुख अपनाने वाले अपने वरिष्ठों के दबाव का सामना करने में कामयाब रहे।
'75 में 7 की जांच की, मेरे लिए सभी अनमोल'बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच में अहम भूमिका निभाने वाले सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक उपेंद्र नाथ बिस्वास ने इस प्रकरण को अपने जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण और ऐतिहासिक अध्याय बताया है। उपेंद्र नाथ बिस्वास को अक्सर उस व्यक्ति के रूप में जाना जाता है जिसने लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर मजबूर किया। 84 वर्षीय सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने खुलासा किया कि उन्होंने इस घोटाले से जुड़े 75 में से सात मामलों की जांच की थी और ये सातों मामले उनके लिए अनमोल हैं, क्योंकि इनमें पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराया गया। बिस्वास ने कहा, 'ये सभी सात मामले लालू प्रसाद यादव से संबंधित थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक राहत पाने की कोशिश की, लेकिन हम हर स्तर पर जीते। यह जांच पूरी तरह सबूतों और निष्पक्षता पर आधारित थी।' उन्होंने बताया कि जांच के दौरान उन्हें कई दबावों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया।
'चारा घोटाला अपराध नहीं, संगठित साजिश थी'यूएन बिस्वास ने कहा, 'मुझ पर कई बार लालू प्रसाद यादव पर नरमी बरतने का दबाव डाला गया, लेकिन मैंने कानून और सच्चाई के साथ समझौता नहीं किया। मुझे साफ तौर पर कहा गया था कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे लालू बेदाग साबित हों, लेकिन मैंने सच्चाई के साथ खड़े रहने का फैसला किया।' बिस्वास ने याद किया कि जब यह मामला सामने आया, तब बिहार सरकार खुद जांच करना चाहती थी, लेकिन पटना उच्च न्यायालय ने ये कहते हुए अनुमति नहीं दी कि राज्य सरकार स्वयं एक पक्ष है, इसलिए वह निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। इसके बाद जांच सीबीआई को सौंपी गई। यूएन बिस्वास ने बताया कि शुरुआती जांच में यह सामने आया कि घोटाले में शामिल अधिकांश आरोपी निचले स्तर के अधिकारी थे, लेकिन जब गहराई से पड़ताल की गई, तो उनकी कड़ियां सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचीं। उन्होंने कहा, 'अपराध करने वालों ने उच्च स्तर के लोगों को रिश्वत दी, जिसके बाद आदेश जारी किए गए। यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि एक संगठित साजिश थी जिसने पूरे प्रशासनिक ढांचे को चुनौती दी।'
लालू के जेल से बाहर रहने पर बिस्वास ने जताई नाराजगीचारा घोटाला मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को जेल की सलाखों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व सीबीआई अधिकारी उपेंद्र नाथ न केवल कई बड़े खुलासे किए, बल्कि सिस्टम में खामियों की भी आलोचना की। उन्होंने सिस्टम की उन खामियों की आलोचना की जिनके कारण जेल में बंद एक दोषी को स्वास्थ्य कारणों की वजह से जमानत मिलने के बाद भी खुलेआम घूमने की अनुमति मिल गई। 84 वर्षीय सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी बिस्वास ने आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, जेल की सजा सुनाए जाने के बावजूद लालू के राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने पर नाराजगी जताई। बिस्वास ने कहा कि हमारी व्यवस्था पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। कानून के अनुसार, लालू अभी भी जेल में हैं और उन्हें खराब स्वास्थ्य के कारण जमानत दी गई है। डॉक्टरों ने उन्हें एक प्रमाण पत्र दिया है, जिसमें कहा गया है कि उन्हें जेल में नहीं रखा जाना चाहिए। वे बीमार हैं और उन्हें हर दिन इलाज की जरूरत है।
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यूएन बिस्वास के खुलासे पर हमलावर जेडीयूजेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने चारा घोटाले के जांचकर्ता यूएन बिस्वास के खुलासे 'लालू यादव को बचाने के लिए कांग्रेस ने मदद की थी' पर कहा, 'उस समय यूएन बिस्वास लालू यादव की राजनीति के लिए एक काल बनकर उभरे थे। लालू यादव की गिरफ्तारी के समय बहुत शोर-शराबा हुआ था। इसके बाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बनी थीं।' उन्होंने कहा कि निस्संदेह, ये खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब ट्रायल और इससे जुड़ी तमाम प्रक्रियाएं शुरू होने वाली हैं। इसका जवाब न तो आरजेडी के पास है और न ही कांग्रेस के पास। हमारी खुली चुनौती है कि राजद और कांग्रेस का भ्रष्टाचार के साथ चोली-दामन का जो रिश्ता है, उस पर अगर कोई सफाई दे सकते हैं, तो उन्हें अवश्य देनी चाहिए। कांग्रेस और राजद पर निशाना साधते हुए राजीव रंजन ने कहा, 'कांग्रेस और राजद, ये दो ऐसी पार्टियां हैं, जिनका भ्रष्टाचार के साथ चोली-दामन का रिश्ता है। ना कभी उन्होंने नैतिकता की परवाह की, ना पारदर्शिता कभी उनके रगों में बहने वाला गुण रहा है।'
बिहार में ऐसे हुआ चर्चित चारा घोटालाचारा घोटाला 1990-91 और 1995-96 के दौरान सामने आया। इसके तहत, तत्कालीन बिहार पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बेईमान आपूर्तिकर्ताओं और अन्य लोगों के साथ मिलकर आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने के बहाने सैकड़ों करोड़ रुपए निकाले और गबन किए, जिन्होंने चारे और पशु चिकित्सा दवाओं की आपूर्ति दिखाते हुए नकली/फर्जी बिल जमा किए थे। निकाली गई राशि का अंततः दुरुपयोग किया गया। मामले की जांच के दौरान इसमें तत्कालीन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की भूमिका सामने आई थी।
इनपुट- आईएएनएस
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