नोएडा: दिवालिया प्रॉजेक्टों में फंसे खरीदारों के लिए राहत का रास्ता निकालने की कवायद तेज हो गई है। ईडी ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत जब्त की गई बिल्डरों और उनके प्रवर्तकों की संपत्तियों से बैंकों व बायर्स को पैसा लौटाने की मंशा जताई है।
इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया है। इंसाल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) ने 4 नवंबर को इस सिलसिले में एक लेटर जारी किया है। यह कदम ईडी और IBBI अधिकारियों के बीच कई दौर की समन्वय बैठकों के बाद उठाया गया है।
एजेंसी ने कहा कि अब इंसाल्वेंसी प्रफेशनल विशेष मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम अदालत में मानक शपथपत्र दाखिल करेंगे, ताकि जब्त संपत्तियों को मुक्त कर प्रभावित पक्षों को लौटाया जा सके। इसे ध्यान में रखते हुए ईडी और IBBI ने एक मानक तंत्र तैयार किया है, जिसके तहत जब्त संपत्तियों की बहाली हो सकेगी।
अभी यह आती है दिक्कत
मान लीजिए कोई कंपनी कर्ज में डूबकर दिवालिया प्रक्रिया ने आती है। इस दौरान रेजोल्यूशन प्रफेशनल कंपनी बेचने या नया फाइनैशल प्लान बनाकर कर्ज चुकाने की कोशिश करता है।
लेकिन, अगर कंपनी या उसके प्रमोटर लॉन्ड्रिंग पर मनी का केस चल रहा हो वो ईडी कंपनी की संपत्तियों को जब्त कर लेती है। ऐसे में दिवालिया प्रक्रिया रुक जाती है। प्रीज होने के कारण संपतियों को बेचा नहीं जा सकता। इसका असर बैंको, निवेशकों और घर खरीदारों पर पड़ता है। अब इस कदम से रेरा के तहत फंसी परियोजनाए और रियल एस्टेट कंपनियों की समस्याएं तेजी से सुलझ सकेंगी।
इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया है। इंसाल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) ने 4 नवंबर को इस सिलसिले में एक लेटर जारी किया है। यह कदम ईडी और IBBI अधिकारियों के बीच कई दौर की समन्वय बैठकों के बाद उठाया गया है।
एजेंसी ने कहा कि अब इंसाल्वेंसी प्रफेशनल विशेष मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम अदालत में मानक शपथपत्र दाखिल करेंगे, ताकि जब्त संपत्तियों को मुक्त कर प्रभावित पक्षों को लौटाया जा सके। इसे ध्यान में रखते हुए ईडी और IBBI ने एक मानक तंत्र तैयार किया है, जिसके तहत जब्त संपत्तियों की बहाली हो सकेगी।
अभी यह आती है दिक्कत
मान लीजिए कोई कंपनी कर्ज में डूबकर दिवालिया प्रक्रिया ने आती है। इस दौरान रेजोल्यूशन प्रफेशनल कंपनी बेचने या नया फाइनैशल प्लान बनाकर कर्ज चुकाने की कोशिश करता है।
लेकिन, अगर कंपनी या उसके प्रमोटर लॉन्ड्रिंग पर मनी का केस चल रहा हो वो ईडी कंपनी की संपत्तियों को जब्त कर लेती है। ऐसे में दिवालिया प्रक्रिया रुक जाती है। प्रीज होने के कारण संपतियों को बेचा नहीं जा सकता। इसका असर बैंको, निवेशकों और घर खरीदारों पर पड़ता है। अब इस कदम से रेरा के तहत फंसी परियोजनाए और रियल एस्टेट कंपनियों की समस्याएं तेजी से सुलझ सकेंगी।
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