पुराना स्मार्टफोन बन जाता है नया

युग भाटिया कंट्रोल जेड के सीईओ और संस्थापक हैं। यह पुराने स्मार्टफोन को नया बनाने का काम करती है। जब कोई पुराना फोन कंपनी के पास आता है तो उसकी अच्छी तरह से जांच होती है। कुशल इंजीनियर फोन की बैटरी, कैमरा, डिस्प्ले जैसे जरूरी पार्ट्स को ठीक करते हैं। कंपनी फोन के 80% तक पुराने पार्ट्स को ही इस्तेमाल करने की कोशिश करती है।
हर पार्ट पर दिया जाता है ध्यान
युग भाटिया मोबाइलफोन को 'कंपोनेंट लेवल रिन्यूवल' करते हैं। इसका मतलब है कि फोन के हर एक पार्ट को ध्यान से देखा जाता है। जरूरत पड़ने पर वह उसे बदलते हैं। फोन को सिर्फ ऊपर से ठीक नहीं किया जाता है। अंदर के वो सभी जरूरी पार्ट बदल दिए जाते हैं, जिनमें जरा सी भी खराबी की गुंजाइश होती है। ऐसे में पुराने फोन का परफॉर्मेंस नए फोन जैसा हो जाता है।
पर्यावरण पर भी फोकस
युग भाटिया की कंपनी पर्यावरण को बचाने के लिए भी काम कर रही है। नए फोन बनाने से कार्बन का उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है। कंपनी पुराने फोनों को ठीक करके बेचती है। इससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है। कंपनी ने अब तक 60,000 फोन को ठीक करके बेचा है। इनमें ज्यादातर ऐपल और वनप्लस के हैं। ये फोन नए फोन से 60% कम कीमत पर बेचे जाते हैं। इसका 'रिन्यू हब' नाम का रिपेयरिंग सेंटर गुरुग्राम में है। यह सेंटर टेक्नोलॉजी और पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसका मकसद स्मार्टफोन को नया बनाने के तरीके को बदलना है। यह सेंटर बांस के पेड़ों के बीच में है। इसमें फोन को नया करने के लिए आधुनिक मशीनें, ISO क्लास 7 के साफ कमरे और AI से चलने वाले जांच सिस्टम हैं।
100 करोड़ पर नजर
कंपनी अपनी क्षमता को बढ़ाना चाहती है। वह हर साल 6,00,000 फोन को ठीक करना चाहती है। इसके लिए कंपनी एक रिसर्च डिपार्टमेंट भी बनाने की योजना बना रही है। इससे कंपनी भविष्य में और भी बेहतर तरीके से काम कर पाएगी। कंपनी आगे चलकर 100 करोड़ रुपये के टारगेट को हासिल करना चाहती है। इसका मतलब है कि कंपनी आने वाले सालों में और भी ज्यादा तरक्की करने के मूड में है।
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