श्रीनगर : जम्मू- कश्मीर CID की राज्य जांच एजेंसी (SIA) ने श्रीनगर में आठ जगहों पर छापे मारे गए। ये छापे 1990 में एक कश्मीरी पंडित महिला की हत्या से जुड़े हुए हैं। 35 साल पहले हुई इस हत्या मामले में अब एक्शन पर जम्मू-कश्मीर में हलचल मच गई है। सरला भट्ट की उम्र 27 साल थी और अनंतनाग जिले की रहने वाली थीं। उन्हें किडनैप करके उनकी हत्या कर दी गई थी।
सरला भट्ट श्रीनगर शहर के सौरा इलाके में स्थित शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) में नर्स का काम करती थीं। 18 अप्रैल, 1990 को उन्हें इंस्टीट्यूट के हॉस्टल से अगवा कर लिया गया था। 19 अप्रैल, 1990 को उनकी गोलियों से छलनी लाश श्रीनगर शहर के मालबाग इलाके में सड़क पर मिली थी।
कश्मीरी पंडितों को निकालने के लिए हुई थी हत्याइस मामले में श्रीनगर के निगीन पुलिस स्टेशन में FIR 56/1990 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया था। उनकी हत्या एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी। ये साजिश कश्मीरी पंडित समुदाय को घाटी से बाहर निकालने के लिए रची गई थी। उन्हें भारतीय खुफिया एजेंसियों का एजेंट बताया जा रहा था।
शुरू हो गया था पलायनडर के कारण और प्रशासन की सुरक्षा देने में नाकामी के चलते, लगभग पूरा कश्मीरी पंडित समुदाय घाटी से अपने घर छोड़कर भाग गया। वे अपनी जान बचाना चाहते थे। घाटी से पलायन के बाद समुदाय को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वे तंबू में कड़ी गर्मी में रहे। उन्होंने फिर से शुरुआत करने के लिए कड़ी मेहनत की। उनके घर और संपत्ति घाटी में लावारिस छोड़ दी गई थी। उनमें से ज्यादातर को लूट लिया गया या आग लगा दी गई।
इन घरों और संपत्तियों को धीरे-धीरे निहित स्वार्थों ने अपने कब्जे में ले लिया। कुछ मामलों में, लोगों ने मजबूरी में अपनी संपत्ति बेच दी, जबकि अन्य मामलों में, लोगों ने जबरदस्ती अतिक्रमण कर लिया। जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के बाद, जम्मू और कश्मीर सरकार ने एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पंडितों की संपत्तियों को वापस दिलाना और उन्हें कानूनी मालिकों को सौंपना है।
कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए हो रहा कामसरकार उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन ज्यादातर कश्मीरी पंडित समुदाय, सिवाय कुछ अमीर लोगों के, अभी भी अपने ही देश में शरणार्थियों की तरह जी रहे हैं। सरकारी सूत्रों ने बताया कि SIA टीम, पुलिस और CRPF के साथ मिलकर श्रीनगर में आठ जगहों पर तलाशी कर रही है। आगे की जानकारी का इंतजार है।
आज भी अनसुलझा है मामलाSIA की टीम सुबह-सुबह श्रीनगर के आठ अलग-अलग ठिकानों पर पहुंची। पुलिस और CRPF के जवान भी उनके साथ थे। अचानक हुई इस कार्रवाई से इलाके में हलचल मच गई। अधिकारियों का कहना है कि ये छापे सरला भट्ट की हत्या के मामले में अहम सुराग हासिल करने के लिए मारे जा रहे हैं। सरला भट्ट की हत्या 1990 में हुई थी, और ये मामला आज भी अनसुलझा है।
SIA इस मामले की तह तक जाना चाहती है, और दोषियों को सजा दिलाना चाहती है। इन छापों से उम्मीद है कि कुछ नई जानकारी सामने आएगी, जिससे जांच को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। घाटी में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ, वो एक दर्दनाक इतिहास है। सरकार अब उनकी संपत्तियों को वापस दिलाने की कोशिश कर रही है, ताकि वे सम्मान से अपना जीवन जी सकें।
सरला भट्ट श्रीनगर शहर के सौरा इलाके में स्थित शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) में नर्स का काम करती थीं। 18 अप्रैल, 1990 को उन्हें इंस्टीट्यूट के हॉस्टल से अगवा कर लिया गया था। 19 अप्रैल, 1990 को उनकी गोलियों से छलनी लाश श्रीनगर शहर के मालबाग इलाके में सड़क पर मिली थी।
कश्मीरी पंडितों को निकालने के लिए हुई थी हत्याइस मामले में श्रीनगर के निगीन पुलिस स्टेशन में FIR 56/1990 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया था। उनकी हत्या एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी। ये साजिश कश्मीरी पंडित समुदाय को घाटी से बाहर निकालने के लिए रची गई थी। उन्हें भारतीय खुफिया एजेंसियों का एजेंट बताया जा रहा था।
शुरू हो गया था पलायनडर के कारण और प्रशासन की सुरक्षा देने में नाकामी के चलते, लगभग पूरा कश्मीरी पंडित समुदाय घाटी से अपने घर छोड़कर भाग गया। वे अपनी जान बचाना चाहते थे। घाटी से पलायन के बाद समुदाय को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वे तंबू में कड़ी गर्मी में रहे। उन्होंने फिर से शुरुआत करने के लिए कड़ी मेहनत की। उनके घर और संपत्ति घाटी में लावारिस छोड़ दी गई थी। उनमें से ज्यादातर को लूट लिया गया या आग लगा दी गई।
इन घरों और संपत्तियों को धीरे-धीरे निहित स्वार्थों ने अपने कब्जे में ले लिया। कुछ मामलों में, लोगों ने मजबूरी में अपनी संपत्ति बेच दी, जबकि अन्य मामलों में, लोगों ने जबरदस्ती अतिक्रमण कर लिया। जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के बाद, जम्मू और कश्मीर सरकार ने एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पंडितों की संपत्तियों को वापस दिलाना और उन्हें कानूनी मालिकों को सौंपना है।
कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए हो रहा कामसरकार उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन ज्यादातर कश्मीरी पंडित समुदाय, सिवाय कुछ अमीर लोगों के, अभी भी अपने ही देश में शरणार्थियों की तरह जी रहे हैं। सरकारी सूत्रों ने बताया कि SIA टीम, पुलिस और CRPF के साथ मिलकर श्रीनगर में आठ जगहों पर तलाशी कर रही है। आगे की जानकारी का इंतजार है।
आज भी अनसुलझा है मामलाSIA की टीम सुबह-सुबह श्रीनगर के आठ अलग-अलग ठिकानों पर पहुंची। पुलिस और CRPF के जवान भी उनके साथ थे। अचानक हुई इस कार्रवाई से इलाके में हलचल मच गई। अधिकारियों का कहना है कि ये छापे सरला भट्ट की हत्या के मामले में अहम सुराग हासिल करने के लिए मारे जा रहे हैं। सरला भट्ट की हत्या 1990 में हुई थी, और ये मामला आज भी अनसुलझा है।
SIA इस मामले की तह तक जाना चाहती है, और दोषियों को सजा दिलाना चाहती है। इन छापों से उम्मीद है कि कुछ नई जानकारी सामने आएगी, जिससे जांच को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। घाटी में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ, वो एक दर्दनाक इतिहास है। सरकार अब उनकी संपत्तियों को वापस दिलाने की कोशिश कर रही है, ताकि वे सम्मान से अपना जीवन जी सकें।
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