नई दिल्ली: आपको अक्सर ऐसे व्यक्ति दिख जाते होंगे जो कमाते (Salary) तो अच्छा है। लेकिन हमेशा तंगी में रहते हैं। कभी-कभी दूसरों से उधार भी लेना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति के पास जैसे ही सैलरी क्रेडिट होने का मैसेज आता है, तुरंत पैसे खर्चने को सक्रिय हो जाते हैं। कभी डिनर, कभी बेतहाशा शॉपिंग, कभी ऐसे सब्सक्रिप्शन जिनका आपको पता भी नहीं होता। ईएमआई तो जाएगा ही जाएगा। फिर महीने के अंत में कहते हैं कि सारी सैलरी कहां चली गई?
सीए नितिन कौशिक ने कारण ढूंढाआप सोच रहे हैं "मेरी तो भी यही हालत है", तो आपको भी इसे ध्यान से पढ़ने की जरूरत है। CA नितिन कौशिक का कहना है कि महीने में 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक कमाने वाले भी अक्सर तंगी महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए नहीं है कि वे कम कमाते हैं, बल्कि इसलिए कि वे बार-बार वही गलतियां करते हैं। कौशिक ने ऐसी ही 7 आम वित्तीय गलतियों की सूची बनाई है, जो अक्सर हमलोग करते रहते हैं। आप भी इन गलतियों को जानिए।
सबसे बड़ी गलती क्या है?सीए नितिन कौशिक के मुताबिक महीने में लाख रुपये कमा कर भी तंगी महसूस करने वाले खर्च तो पहले करते हैं, बजट बाद में बनाते हैं। कभी-कभी तो वे बजट भी नहीं बनाते। उन्होंने इसका एक उदाहरण भी दिया है। मान लीजिए कि एक बड़ी कंपनी में काम करने वाले सुनील कुमार महीने में 50,000 रुपये की टेक होम सैलरी पाते हैं। वह 12,000 वीकेंड पर बाहर खाने और ऑनलाइन शॉपिंग में खर्च कर देते हैं। इसके बाद घरेलू खर्च, मकान का किराया, बीबी-बच्चे पर अलग से खर्च। बस, 15 तारीख के बाद ही तंगी शुरू हो जाती है।
तरीका बदलेंनितिन का कहना है कि सुनील समेत तमाम ऐसे शाह खर्च व्यक्ति को खर्च का तरीका बदलना चाहिए। उन्हें जीवन में 50-30-20 नियम का कड़ाई पालन से पालन करना चाहिए। उनका कहना है कि सुनील को अपने वेतन का 50% हिस्सा जरूरी मद में जैसे मकान का किराया, बिजली-पानी-गैस-टेलीफोन का बिल, राशन आदि पर खर्च करना चाहिए। इसके बाद वेतन का 30% अपनी इच्छा की पूर्ति जैसे शॉपिंग, बाहर डिनर करना या सिनेमा-सर्कस पर खर्च करना चाहिए। शेष 20 फीसदी राशि बचा कर निवेश करना चाहिए।
इमर्जेंसी कभी बता कर नहीं आतीकौशिक का कहना है कि इमर्जेंसी कभी बताकर नहीं आती। मान लीजिए कि आप ऑफिस से निकलें, अचानक बारिश हुई और बुरी तरह से भीग गए। घर पहुंचते-पहुंचते भीषण छींक आने लगी। फिर सर्दी-खांसी और बुखार। कई दिनों तक बुखार से पीछा नहीं छूटा तो अस्पताल पहुंचे। वहां जांच के बाद पता चला कि निमोनिया हो गया है। इस तरह कई हजार रुपये आपके हेल्थ बिल को क्लियर करने में खर्च हो जाएंगे। कहने का मतलब यह है कि अचानक 15,000 का खर्च भी आपके पूरे महीने के खर्च को पटरी से उतार सकता है। इसलिए इसकी तैयारी अभी से कीजिए। हर महीने कम से कम दो हजार बचाइए और लाख रुपये का इमर्जेंसी फंड बना कर सुरक्षित जगह निवेश कीजिए।
बचत खाता में ज्यादा पैसा मत रखिएआपके बचत खाते में हजारों रुपये रखे हैं तो यह मन को बहुत सुकून देता है। लेकिन नितिन कहते हैं कि सेविंग बैंक अकाउंट में इतनी रकम ठीक नहीं है। क्योंकि बचत खाते पर सिर्फ 3% ब्याज मिलता है। यदि खाते में 20 हजार रुपये की रकम है तो आपको साल में महज 600 रुपये का ब्याज मिलेगा। इसके बजाय, आप इसे SIP (Systematic Investment Plans) में लगा देंगे तो ज्यादा रिटर्न देगा। वह कहते हैं कि अगर आप हर महीने ₹5,000 का निवेश SIP में करते हैं और लगातार 10 साल तक करते हैं और आपको 12 से 14% का रिटर्न मिलता है। तो यह बढ़कर 11 से 13 लाख रुपये बन सकता है। यही कंपाउंडिंग का जादू है।
सैलरी बढ़े तो यह मत कीजिएअगर आपकी सैलरी बढ़ गई है, तो बधाई हो! लेकिन CA चेतावनी देते हैं कि तुरंत अपना फ़ोन, कपड़े या कार अपग्रेड न करें। अक्सर लोग यहीं गलती करते हैं और अपना पैसा डुबो देते हैं। वह कहते हैं कि जब आपकी सैलरी बढ़ती है, लेकिन आपके खर्चे उससे भी ज़्यादा तेज़ी से बढ़ते हैं। वे इसके बजाय एक साल तक अपनी जीवनशैली को स्थिर रखने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं कि "एक्स्ट्रा" पैसे का निवेश करें और उसे बढ़ने दें। जीवन ऐसे बिताएं जैसे आप अभी भी पिछले साल जितना ही कमा रहे हैं।
इन ऐप्स से बच कर रहेंCA नितिन कौशिक कहते हैं कि Zomato, Amazon और Myntra जैसे ऐप्स पर ऑर्डर करने का मतलब है कि लालच हर जगह है। पलक झपकते ही आप ₹5,000 उन चीज़ों पर खर्च कर देते हैं जिनकी आपको ज़रूरत नहीं थी। वह कहते हैं कि कुछ भी खरीदने से पहले 24 घंटे के नियम पर अमल करें। कोई चीज तुरंत नहीं खरीदें, चीज़ों को सलेक्ट कर लें, उसे कार्ट में डालें और 24 घंटे इंतज़ार करें। अगर आपको अभी भी वह चाहिए, तो उसे खरीदें। अगर नहीं, तो उसे छोड़ दें। इससे आपकी फिजूलखर्ची रूकेगी।
ईएमआई को हल्के में नहीं लेंकभी कभी लोग सोचते हैं कि 5,000 रुपये की EMI तो कुछ भी नहीं है! लेकिन सोचिए जरा, एक साल में महज पांच हजार रुपये की ईएमआई आपकी सैलरी का 60,000 रुपये से ज्यादा रकम को निगल जाएगी। कौशिक सुझाव देते हैं कि आप EMI को हर हाल में अपनी नेट मंथली इनकम के 15% के दायरे में रखें। साथ ही ईएमआई पर कोई सामान खरीदने से पहले हमेशा खुद से पूछें: 'क्या मैं इसे तब भी खरीद सकता हूं अगर मेरी नौकरी कल चली जाए?' अगर जवाब नहीं है, तभी उस खरीदारी पर दोबारा विचार करें।
खर्च की आदत ऐसे बदलेगीवह बताते हैं कि अपने खर्च को ट्रैक करने का सबसे आसान उपाय अपनायें। आप जानें कि आपका रुपया कहां खर्च किया जा रहा है? क्योंकि, ज्यादातर लोग अपने खर्चों को ट्रैक नहीं करते हैं। बाद में सोचते हैं कि उनका पैसा कहां गायब हो गया। आप इसे कॉपी में लिखें या गूगल शीट में, कोई फर्क नहीं पड़ता। कई फ्री ऐप में भी यह सुविधा मिलती है।
सीए नितिन कौशिक ने कारण ढूंढाआप सोच रहे हैं "मेरी तो भी यही हालत है", तो आपको भी इसे ध्यान से पढ़ने की जरूरत है। CA नितिन कौशिक का कहना है कि महीने में 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक कमाने वाले भी अक्सर तंगी महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए नहीं है कि वे कम कमाते हैं, बल्कि इसलिए कि वे बार-बार वही गलतियां करते हैं। कौशिक ने ऐसी ही 7 आम वित्तीय गलतियों की सूची बनाई है, जो अक्सर हमलोग करते रहते हैं। आप भी इन गलतियों को जानिए।
💥 Just Got Your Salary? 7 Money Traps That Keep Most Indians Broke (Even with ₹1 Lakh/Month Income) 💥
— CA Nitin Kaushik (@Finance_Bareek) July 28, 2025
Don’t swipe that “Salary Credited” notification and jump straight into spending mode.
More income ≠ more wealth if you repeat these 7 mistakes most people earning… pic.twitter.com/PZDotLwxMm
सबसे बड़ी गलती क्या है?सीए नितिन कौशिक के मुताबिक महीने में लाख रुपये कमा कर भी तंगी महसूस करने वाले खर्च तो पहले करते हैं, बजट बाद में बनाते हैं। कभी-कभी तो वे बजट भी नहीं बनाते। उन्होंने इसका एक उदाहरण भी दिया है। मान लीजिए कि एक बड़ी कंपनी में काम करने वाले सुनील कुमार महीने में 50,000 रुपये की टेक होम सैलरी पाते हैं। वह 12,000 वीकेंड पर बाहर खाने और ऑनलाइन शॉपिंग में खर्च कर देते हैं। इसके बाद घरेलू खर्च, मकान का किराया, बीबी-बच्चे पर अलग से खर्च। बस, 15 तारीख के बाद ही तंगी शुरू हो जाती है।
तरीका बदलेंनितिन का कहना है कि सुनील समेत तमाम ऐसे शाह खर्च व्यक्ति को खर्च का तरीका बदलना चाहिए। उन्हें जीवन में 50-30-20 नियम का कड़ाई पालन से पालन करना चाहिए। उनका कहना है कि सुनील को अपने वेतन का 50% हिस्सा जरूरी मद में जैसे मकान का किराया, बिजली-पानी-गैस-टेलीफोन का बिल, राशन आदि पर खर्च करना चाहिए। इसके बाद वेतन का 30% अपनी इच्छा की पूर्ति जैसे शॉपिंग, बाहर डिनर करना या सिनेमा-सर्कस पर खर्च करना चाहिए। शेष 20 फीसदी राशि बचा कर निवेश करना चाहिए।
इमर्जेंसी कभी बता कर नहीं आतीकौशिक का कहना है कि इमर्जेंसी कभी बताकर नहीं आती। मान लीजिए कि आप ऑफिस से निकलें, अचानक बारिश हुई और बुरी तरह से भीग गए। घर पहुंचते-पहुंचते भीषण छींक आने लगी। फिर सर्दी-खांसी और बुखार। कई दिनों तक बुखार से पीछा नहीं छूटा तो अस्पताल पहुंचे। वहां जांच के बाद पता चला कि निमोनिया हो गया है। इस तरह कई हजार रुपये आपके हेल्थ बिल को क्लियर करने में खर्च हो जाएंगे। कहने का मतलब यह है कि अचानक 15,000 का खर्च भी आपके पूरे महीने के खर्च को पटरी से उतार सकता है। इसलिए इसकी तैयारी अभी से कीजिए। हर महीने कम से कम दो हजार बचाइए और लाख रुपये का इमर्जेंसी फंड बना कर सुरक्षित जगह निवेश कीजिए।
बचत खाता में ज्यादा पैसा मत रखिएआपके बचत खाते में हजारों रुपये रखे हैं तो यह मन को बहुत सुकून देता है। लेकिन नितिन कहते हैं कि सेविंग बैंक अकाउंट में इतनी रकम ठीक नहीं है। क्योंकि बचत खाते पर सिर्फ 3% ब्याज मिलता है। यदि खाते में 20 हजार रुपये की रकम है तो आपको साल में महज 600 रुपये का ब्याज मिलेगा। इसके बजाय, आप इसे SIP (Systematic Investment Plans) में लगा देंगे तो ज्यादा रिटर्न देगा। वह कहते हैं कि अगर आप हर महीने ₹5,000 का निवेश SIP में करते हैं और लगातार 10 साल तक करते हैं और आपको 12 से 14% का रिटर्न मिलता है। तो यह बढ़कर 11 से 13 लाख रुपये बन सकता है। यही कंपाउंडिंग का जादू है।
सैलरी बढ़े तो यह मत कीजिएअगर आपकी सैलरी बढ़ गई है, तो बधाई हो! लेकिन CA चेतावनी देते हैं कि तुरंत अपना फ़ोन, कपड़े या कार अपग्रेड न करें। अक्सर लोग यहीं गलती करते हैं और अपना पैसा डुबो देते हैं। वह कहते हैं कि जब आपकी सैलरी बढ़ती है, लेकिन आपके खर्चे उससे भी ज़्यादा तेज़ी से बढ़ते हैं। वे इसके बजाय एक साल तक अपनी जीवनशैली को स्थिर रखने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं कि "एक्स्ट्रा" पैसे का निवेश करें और उसे बढ़ने दें। जीवन ऐसे बिताएं जैसे आप अभी भी पिछले साल जितना ही कमा रहे हैं।
इन ऐप्स से बच कर रहेंCA नितिन कौशिक कहते हैं कि Zomato, Amazon और Myntra जैसे ऐप्स पर ऑर्डर करने का मतलब है कि लालच हर जगह है। पलक झपकते ही आप ₹5,000 उन चीज़ों पर खर्च कर देते हैं जिनकी आपको ज़रूरत नहीं थी। वह कहते हैं कि कुछ भी खरीदने से पहले 24 घंटे के नियम पर अमल करें। कोई चीज तुरंत नहीं खरीदें, चीज़ों को सलेक्ट कर लें, उसे कार्ट में डालें और 24 घंटे इंतज़ार करें। अगर आपको अभी भी वह चाहिए, तो उसे खरीदें। अगर नहीं, तो उसे छोड़ दें। इससे आपकी फिजूलखर्ची रूकेगी।
ईएमआई को हल्के में नहीं लेंकभी कभी लोग सोचते हैं कि 5,000 रुपये की EMI तो कुछ भी नहीं है! लेकिन सोचिए जरा, एक साल में महज पांच हजार रुपये की ईएमआई आपकी सैलरी का 60,000 रुपये से ज्यादा रकम को निगल जाएगी। कौशिक सुझाव देते हैं कि आप EMI को हर हाल में अपनी नेट मंथली इनकम के 15% के दायरे में रखें। साथ ही ईएमआई पर कोई सामान खरीदने से पहले हमेशा खुद से पूछें: 'क्या मैं इसे तब भी खरीद सकता हूं अगर मेरी नौकरी कल चली जाए?' अगर जवाब नहीं है, तभी उस खरीदारी पर दोबारा विचार करें।
खर्च की आदत ऐसे बदलेगीवह बताते हैं कि अपने खर्च को ट्रैक करने का सबसे आसान उपाय अपनायें। आप जानें कि आपका रुपया कहां खर्च किया जा रहा है? क्योंकि, ज्यादातर लोग अपने खर्चों को ट्रैक नहीं करते हैं। बाद में सोचते हैं कि उनका पैसा कहां गायब हो गया। आप इसे कॉपी में लिखें या गूगल शीट में, कोई फर्क नहीं पड़ता। कई फ्री ऐप में भी यह सुविधा मिलती है।
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