जयपुर: प्रदेश में बिजली कंपनियां अब आमजन को बिजली का बिल बढ़कर तगड़ा झटका देने की तैयारी कर रही हैं। इसको लेकर प्रदेश की बिजली कंपनियों ने राज्य विद्युत विनियामक आयोग में याचिका दायर की हैं। इस दौरान बिजली कंपनियों ने अपने खर्चों और घाटों के हिसाब का तर्क देते हुए बिजली का बिल बढ़ाने की अनुमति मांगी है। इसमें अगर यह प्रस्ताव स्वीकार होता है, तो आने वाले दिनों में लोगों को बढे़ हुए बिजली के बिल के कारण अपनी जेब ढीली करनी पड़ सकती हैं। हांलाकि आयोग ने इस पर आमजन से सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं। इन पर सुनवाई के बाद ही बिल बढ़ोत्तरी पर निर्णय होगा। बिजली कंपनियों ने प्रति यूनिट में इजाफा करने के लिए रखा प्रस्तावबिजली कंपनियों ने अपने बढ़ते हुए खर्चों और घाटों का तर्क देकर विद्युत विनियामक आयोग में याचिका दायर की हैं। इसमें बिजली कंपनियों ने बिजली बिल में प्रति यूनिट दर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। इसके अनुसार वर्तमान में 4.75 प्रति यूनिट की जगह अब उपभोग शुल्क 6 प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव रखा है। जिससे सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं के बिजली बिल पर इसका असर देखने को मिलेगा। इसके अलावा एक रुपए प्रति यूनिट रेगुलेटरी सरचार्ज भी लगाया जाएगा। इससे बिजली कंपनियों को करीब 53 हजार करोड रुपए की राजस्व की प्राप्ति होगी। नए प्रस्ताव के अनुसार दोपहर में बिजली सस्ती और सुबह-शाम होगी महंगीनए प्रस्ताव के अनुसार बिजली कंपनियों का दावा है कि आमजन को सुबह और शाम में बढ़ी हुई बिजली दर का भुगतान करना होगा, लेकिन दोपहर में लोगों को सस्ती दर पर बिजली मिलेगी। इसके लिए बिजली कंपनियां सर्च चार्ज में छूट देगी। इस दौरान बिजली कंपनियां सुबह 6 से 8 बजे तक 5 प्रतिशत सरचार्ज वसूल करेगी, तो दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक 10 प्रतिशत सरचार्ज की छूट देगी। इसके अलावा शाम 6 से रात 10 बजे तक 10 प्रतिशत सरचार्ज वसूल करेगी। नए प्रस्ताव को लेकर बिजली कंपनियों ने यह किया दावाबिजली के बिलों में वृद्धि को लेकर बिजली कम्पनियों ने याचिका दायर की है, लेकिन कंपनियों ने इसके पीछे भी कई दांवे किए है, इनमें -ः1. पहली बार सभी श्रेणियों में विद्युत शुल्क कम करने का प्रस्ताव2. प्रदेश में घरेलू श्रेणी के करीब 1 करोड़ 35 लाख उपभोक्ता हैं। इनमें से 1 करोड़ 4 लाख घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को राज्य सरकार सब्सिडी दे रही है।3. घरेलू श्रेणी के संबंध में स्लैब का विलय से करीब 17 लाख बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) और आस्था कार्ड धारक उपभोक्ता हैं। इन्हें विलय किए गए घरेलू स्लेब पर सरकार पहले से ही सब्सिडी दे रही है। कंपनियों का दावा है कि इनके बिलों पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।4. लघु, मध्यम और वृहद औद्योगिक श्रेणी के लिए विद्युत शुल्क दरों को एकरूप किया गया है। औद्योगिक श्रेणी में मल्टीपल एनर्जी चार्ज के स्थान पर विद्युत शुल्क की एक ही दर रखी है।5. कृषि उपभोक्ताओं के लिए विद्युत शुल्क 5.55 रुपए प्रति यूनिट से घटाकर 5.25 रुपए प्रति यूनिट का प्रस्ताव है।
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