कुल्लू: कीरतपुर-मनाली हाईवे पर NHAI द्वारा किए जा रहे सड़क चौड़ीकरण के कारण कुल्लू के पांच गांवों के कम से कम नौ परिवारों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इनमें बलीचौकी उपमंडल के तनीपरी, शाला नाल, जाला नाल, तन्हुल और थलौट गांव शामिल हैं। यह गांव आज डर और बेबसी की तस्वीर बन चुके हैं। कभी शांत और हरे-भरे इन पहाड़ों में बसे इन गांवों में अब सिर्फ दरारें दिखाई देती है। तीन साल पहले जब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने कीरतपुर-मनाली हाईवे चौड़ा करने का काम शुरू किया था। यहां के लोगों को उम्मीद थी कि सड़क से उनका सफर आसान होगा। लेकिन समय बीतते-बीतते उम्मीदें चिंता में बदल गईं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पहाड़ों को बिना वैज्ञानिक तरीके से काटा गया, पहाड़ों की कमर को सीधा छेदा गया और स्थानीय लोगों की चेतावनियां अनसुनी कर दी गईं। इससे जमीन खतरनाक रूप से अस्थिर हो गई है। इन गांवों में कई घरों में दरारें आ गई हैं। साथ ही, कृषि भूमि धंसने लगी है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सब NHAI के सड़क चौड़ीकरण के काम के कारण हुआ है। इन गांवों के लोग NHAI से मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
भूस्खलन एक गंभीर खतरा
बालीचौकी के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट देवी सिंह ने कहा कि भूस्खलन एक गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि भूस्खलन का मुख्य कारण हाईवे को चौड़ा करने का काम है। हमने NHAI से बात की है और उनसे भूस्खलन वाले स्थानों पर रिटेनिंग दीवारें बनाने के लिए कहा है। वहीं स्थानीय निवासी शोभा राम भारद्वाज ने बताया कि जब से NHAI ने हाईवे को चौड़ा करना शुरू किया हमारे घरों में दरारें आने लगीं। जमीन तीन साल पहले धंसने और खिसकने लगी है। इस काम के लिए जिस कंपनी को काम पर रखा गया था, उसने सड़क को वैज्ञानिक तरीके से नहीं बनाया, बल्कि हमारे विरोध के बावजूद पहाड़ियों को लंबवत रूप से काट दिया।
9 परिवारों के 28 सदस्य अपने घरों से निकल गए
सोमवार को हाईवे सुरंग के ऊपर स्थित तानिपरि के नौ परिवारों के 28 सदस्य अपने घरों से निकल गए। क्योंकि भूस्खलन क्षेत्र गांव के किनारे तक पहुंच गया था। प्रभावित गांवों के निवासियों ने NHAI से मुआवजे की मांग की है, जिसे अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। इन गांवों के ज्यादातर घर हाईवे के किनारे बने हुए हैं। सड़क चौड़ीकरण के कारण पहाड़ों को काटा गया, जिससे जमीन कमजोर हो गई। बारिश होने पर मिट्टी बहने लगी और भूस्खलन होने लगा। इससे घरों में दरारें आ गईं और खेत डूब गए। लोगों का कहना है कि NHAI ने सड़क बनाने में नियमों का पालन नहीं किया। उन्होंने पहाड़ियों को गलत तरीके से काटा, जिससे जमीन कमजोर हो गई।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पहाड़ों को बिना वैज्ञानिक तरीके से काटा गया, पहाड़ों की कमर को सीधा छेदा गया और स्थानीय लोगों की चेतावनियां अनसुनी कर दी गईं। इससे जमीन खतरनाक रूप से अस्थिर हो गई है। इन गांवों में कई घरों में दरारें आ गई हैं। साथ ही, कृषि भूमि धंसने लगी है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सब NHAI के सड़क चौड़ीकरण के काम के कारण हुआ है। इन गांवों के लोग NHAI से मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
भूस्खलन एक गंभीर खतरा
बालीचौकी के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट देवी सिंह ने कहा कि भूस्खलन एक गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि भूस्खलन का मुख्य कारण हाईवे को चौड़ा करने का काम है। हमने NHAI से बात की है और उनसे भूस्खलन वाले स्थानों पर रिटेनिंग दीवारें बनाने के लिए कहा है। वहीं स्थानीय निवासी शोभा राम भारद्वाज ने बताया कि जब से NHAI ने हाईवे को चौड़ा करना शुरू किया हमारे घरों में दरारें आने लगीं। जमीन तीन साल पहले धंसने और खिसकने लगी है। इस काम के लिए जिस कंपनी को काम पर रखा गया था, उसने सड़क को वैज्ञानिक तरीके से नहीं बनाया, बल्कि हमारे विरोध के बावजूद पहाड़ियों को लंबवत रूप से काट दिया।
9 परिवारों के 28 सदस्य अपने घरों से निकल गए
सोमवार को हाईवे सुरंग के ऊपर स्थित तानिपरि के नौ परिवारों के 28 सदस्य अपने घरों से निकल गए। क्योंकि भूस्खलन क्षेत्र गांव के किनारे तक पहुंच गया था। प्रभावित गांवों के निवासियों ने NHAI से मुआवजे की मांग की है, जिसे अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। इन गांवों के ज्यादातर घर हाईवे के किनारे बने हुए हैं। सड़क चौड़ीकरण के कारण पहाड़ों को काटा गया, जिससे जमीन कमजोर हो गई। बारिश होने पर मिट्टी बहने लगी और भूस्खलन होने लगा। इससे घरों में दरारें आ गईं और खेत डूब गए। लोगों का कहना है कि NHAI ने सड़क बनाने में नियमों का पालन नहीं किया। उन्होंने पहाड़ियों को गलत तरीके से काटा, जिससे जमीन कमजोर हो गई।
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