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DUSU चुनाव से पहले आप की नई स्टूडेंट यूनियन की DU में एंट्री, नॉर्थ कैंपस में लगे पोस्टर, की गई ये अपील

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नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद आम आदमी पार्टी अब छात्रों पर अपना फोकस कर रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में आप की छात्र संगठन शाखा, एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स के पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों के जरिए ASAP छात्र संगठन से जल्द से जल्द जुड़ने के लिए कहा जा रहा है।



आम आदमी पार्टी का यह छात्र विंग छात्रों से वैकल्पिक राजनीति के जरिए आगे बढ़ने की ओर प्रेरित कर रहा है, जिसमें इसका लक्ष्य छात्र राजनीति में पैसा, ताकत और जाति का इस्तेमाल न हो। आप के इस ASAP विंग में एबीवीपी और एनएसयूई के कई पूर्व मेंबर भी जुड़ गए हैं। नॉर्थ कैंपस में पोस्टर लगने के साथ ही बीजेपी के युवा प्रवक्ता और लंबे समय तक एबीवीपी के प्रचारक रहे युवराज सिंह भी एएसएपी में शामिल हो गए हैं। आप पार्टी ने 2013 में CYSS नाम से अपना युवा संगठन बनाया था, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। हाल में ही 20 मई को एक बार फिर आप ने ASAP (Association of Students for Alternative Politics) की शुरुआत की।



ABVP और NSUI के कई सदस्यों ने किया ज्वाइन

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजन और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ASAP को 'राजनीति की गरिमा को बहाल करने" और छात्र नेताओं की एक नई पीढ़ी बनाने का जरिया बताया है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 'सत्ता का दुरुपयोग करके चुनाव जीतना' मुख्यधारा की राजनीति है, जबकि ASAP का मिशन 'दिल जीतना' है। दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (DUSU) के चुनाव में बेशुमार पैसे और बाहुबल के इस्तेमाल से तंग आ चुके एबीवीपी और एनएसयूआई के कई सदस्यों ने ASAP ज्वाइन कर ली है।



डूसू के चुनावों में एएसपी का यह पहला औपचारिक प्रदर्शन होगा। आम आदमी पार्टी द्वारा 2013 में अपने युवा संगठन, छात्र युवा संघर्ष समिति के गठन के एक दशक बाद छात्र राजनीति में पहली बार जोरदार प्रदर्शन देखने को मिलेगा। सीवाईएसएस ने 2015 में पहली बार डूसू और पंजाब विश्वविद्यालय के चुनावों में भाग लिया था लेकिन कुछ खास नतीजा नहीं मिला और यह धीरे-धीरे दिल्ली छात्रसंघ की राजनीति से गायब हो गया।



डूसू के चुनाव में क्या है मानक?दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के चुनाव में कोई भी उम्मीदवार पांच हजार रुपये से अधिक खर्च नहीं कर सकता है और पोस्टर जैसे प्रचार सामग्री का उपयोग नहीं कर सकता है। लेकिन डूसू के चुनावों में उम्मीदवारों के बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हुए मिलते है। प्रचार के लिए महंगी-महंगी गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है।



2011 में डूसू के संयुक्त सचिव रहे और छह साल तक एबीवीपी के सदस्य रहे दीपक बंसल 2023 में सीवाईएसएस में शामिल हो गए। वे अब दिल्ली यूनिवर्सिटी में रणनीति में मदद कर रहे हैं। बंसल ने कहा, 'डूसू चुनावों में हमेशा पैसे की जरूरत होती है। उम्मीदवार को नकद लाना होता है, या कम से कम अमीर परिवार से होना चाहिए, तभी उस पर विचार किया जाता है।' उन्होंने आगे कहा, 'यह हम जैसे छात्रों के लिए दरवाजे बंद कर देता है, जो मध्यवर्गीय परिवारों से आते हैं और जिनके पास विचार और ऊर्जा तो है, लेकिन कोई राजनीतिक गॉडफादर नहीं है।

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