लद्दाख: पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका आरोप है कि राजस्थान पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो उनके हर कदम पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि जब भी वह अपने पति से मिलने जोधपुर जेल जाती हैं, तब से लेकर दिल्ली लौटने तक पुलिस उनके साथ रहती है और उनकी हर गतिविधि की निगरानी करती है। अंगमो ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। अपने हलफनामे में उन्होंने कहा है कि सितंबर के अंत से उन्हें लगातार दिल्ली में निगरानी में रखा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि 7 अक्टूबर और 11 अक्टूबर को जब वह जोधपुर जेल में सोनम वांगचुक से मिलने गईं, तो जोधपुर एयरपोर्ट पर उतरते ही उन्हें पुलिस वाहन में बैठा लिया गया और पूरी यात्रा के दौरान पुलिस उनके साथ रही।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार अंगमो ने कहा है कि उन्हें पहले से अपनी यात्रा की जानकारी अधिकारियों को देना पड़ता था। उन्होंने बताया कि जेल के अंदर जब वह अपने पति से मिल रही थीं, तब एक डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस मंगलेश और एक महिला कांस्टेबल वहीं पास में बैठी थीं और उनकी बातचीत के नोट्स ले रही थीं। हलफनामे में अंगमो ने लिखा है कि मुझे जोधपुर में किसी और से मिलने या कहीं और जाने की अनुमति नहीं दी गई। जब मेरे पास ट्रेन में सवार होने से पहले कुछ घंटे थे, तब भी पुलिस ने मुझे रेलवे स्टेशन ले जाकर वहीं बैठाए रखा। ट्रेन में भी अधिकारी मेरे साथ बैठे रहे और दो घंटे बाद मेरता रोड जंक्शन पर उतरे।
मुझे मेरे पति से मिलने का पूरा अधिकार
अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि एक नागरिक के रूप में उन्हें अपने पति से मिलने का पूरा अधिकार है और किसी भी अधिकारी को उनके निजी संवाद को सुनने या रिकॉर्ड करने का हक नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरी और मेरे पति की बातचीत निजी है। इस पर निगरानी मेरे संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत प्राप्त अधिकारों का उल्लंघन है। अंगमो ने यह भी बताया कि 30 सितंबर को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद से उनके घर के बाहर निगरानी शुरू हो गई। उन्होंने कहा कि जैसे ही मैं अपने घर से बाहर निकलती हूं, एक कार और बाइक पर सवार व्यक्ति मेरा पीछा करते हैं। यह स्थिति लगातार बनी हुई है।
सोनम वांगचुक को क्यों किया गिरफ्तार
बता दें कि पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में हुई हिंसा और राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद गिरफ्तार किया गया था। उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) की धारा 3(2) के तहत जोधपुर जेल में नजरबंद रखा गया है। गीतांजलि अंगमो ने शीर्ष अदालत से अपने पति की गिरफ्तारी को अवैध करार देने की मांग की है। उनका कहना है कि यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित नहीं है, बल्कि एक शांतिपूर्ण और सम्मानित पर्यावरणविद् को चुप कराने की कोशिश है, जो लोकतांत्रिक और पारिस्थितिक मुद्दों को लेकर आवाज उठा रहे थे।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार अंगमो ने कहा है कि उन्हें पहले से अपनी यात्रा की जानकारी अधिकारियों को देना पड़ता था। उन्होंने बताया कि जेल के अंदर जब वह अपने पति से मिल रही थीं, तब एक डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस मंगलेश और एक महिला कांस्टेबल वहीं पास में बैठी थीं और उनकी बातचीत के नोट्स ले रही थीं। हलफनामे में अंगमो ने लिखा है कि मुझे जोधपुर में किसी और से मिलने या कहीं और जाने की अनुमति नहीं दी गई। जब मेरे पास ट्रेन में सवार होने से पहले कुछ घंटे थे, तब भी पुलिस ने मुझे रेलवे स्टेशन ले जाकर वहीं बैठाए रखा। ट्रेन में भी अधिकारी मेरे साथ बैठे रहे और दो घंटे बाद मेरता रोड जंक्शन पर उतरे।
मुझे मेरे पति से मिलने का पूरा अधिकार
अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि एक नागरिक के रूप में उन्हें अपने पति से मिलने का पूरा अधिकार है और किसी भी अधिकारी को उनके निजी संवाद को सुनने या रिकॉर्ड करने का हक नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरी और मेरे पति की बातचीत निजी है। इस पर निगरानी मेरे संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत प्राप्त अधिकारों का उल्लंघन है। अंगमो ने यह भी बताया कि 30 सितंबर को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद से उनके घर के बाहर निगरानी शुरू हो गई। उन्होंने कहा कि जैसे ही मैं अपने घर से बाहर निकलती हूं, एक कार और बाइक पर सवार व्यक्ति मेरा पीछा करते हैं। यह स्थिति लगातार बनी हुई है।
सोनम वांगचुक को क्यों किया गिरफ्तार
बता दें कि पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में हुई हिंसा और राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद गिरफ्तार किया गया था। उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) की धारा 3(2) के तहत जोधपुर जेल में नजरबंद रखा गया है। गीतांजलि अंगमो ने शीर्ष अदालत से अपने पति की गिरफ्तारी को अवैध करार देने की मांग की है। उनका कहना है कि यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित नहीं है, बल्कि एक शांतिपूर्ण और सम्मानित पर्यावरणविद् को चुप कराने की कोशिश है, जो लोकतांत्रिक और पारिस्थितिक मुद्दों को लेकर आवाज उठा रहे थे।
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