Next Story
Newszop

रूसी तेल पर आखिर भारत को क्यों धमकी दे रहे ट्रंप? जान लीजिए इसके पीछे की असली वजह

Send Push
नई दिल्लीः रूस से भारत के व्यापारिक साझेदारी खासकर तेल की खरीद को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की त्योरियां चढ़ी हुई हैं। उन्होंने मंगलवार को दोबारा टैरिफ को और बढ़ाने की भारत को धमकी दे डाली। ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीदने और उसे मुनाफे में बेचने का आरोप लगाया है। उन्होंने भारत पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी है। यह कदम अमेरिका के तेल हितों को बचाने, ऊर्जा व्यापार को नई दिशा देने और रणनीतिक साझेदारों पर आर्थिक दबाव बनाने के लिए है। भारत यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है। जनवरी से जून 2025 के बीच, भारत ने प्रतिदिन 1.75 मिलियन बैरल से अधिक रूसी कच्चा तेल खरीदा। यह भारत की कुल तेल मांग का 36-40% है। ट्रंप की इस धमकी का मकसद अमेरिकी तेल निर्यात को बढ़ावा देना है।



भारत रूस से तेल का बड़ा खरीदारअसल में, यूक्रेन युद्ध के बाद भारत रूस से तेल का बड़ा खरीदार बन गया है। जनवरी से जून 2025 के बीच भारत ने रूस से हर दिन लगभग 1.75 मिलियन बैरल कच्चा तेल खरीदा। यह भारत की तेल की जरूरत का 36 से 40 फीसदी था। इससे भारत को महंगाई कम करने और आयात बिलों को घटाने में मदद मिली, लेकिन वाशिंगटन में इसकी आलोचना हुई। हैरानी की बात यह है कि 2022 और 2023 में अमेरिकी अधिकारियों ने भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए कहा था ताकि वैश्विक कीमतों को स्थिर रखा जा सके। लेकिन अब अमेरिका इसके उलट बात कर रहा है।



ट्रंप भारत को बार बार टैरिफ की धमकी क्यों दे रहे?ट्रंप के दबाव का मुख्य कारण अमेरिकी तेल निर्यात को बढ़ाना है। उनके अभियान को अमेरिकी जीवाश्म ईंधन कंपनियों से भारी समर्थन मिल रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक उनके नवीनतम टैक्स पैकेज में तेल और गैस क्षेत्र के लिए लगभग 18 बिलियन डॉलर के नए प्रोत्साहन दिए गए हैं। भारत पहले से ही एक उभरता हुआ ग्राहक है। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन के अनुसार, 2025 के पहले छह महीनों में भारत को अमेरिकी कच्चे तेल का निर्यात 50% से अधिक बढ़ गया है। अब यह भारत के तेल आयात का 8% है। भारत जितना अधिक अमेरिकी तेल और LNG पर निर्भर करेगा, उतना ही अमेरिका का ऊर्जा प्रभाव बढ़ेगा और ट्रंप के समर्थकों को फायदा होगा।



टैरिफ को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे ट्रंप

ट्रंप भारत को उसकी ऊर्जा पसंद के लिए दंडित नहीं करना चाहते हैं। वह टैरिफ को एक सौदेबाजी के औजार के तौर इस्तेमाल कर रहे हैं। अमेरिका भारत के निर्यात का लगभग पांचवां हिस्सा लेता है। टैरिफ में वृद्धि से कपड़ा, दवा, ऑटो पार्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर असर पड़ेगा। विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप टैरिफ का इस्तेमाल सिर्फ एक हथियार के तौर पर नहीं कर रहे हैं, बल्कि भारत के व्यापार और ऊर्जा प्राथमिकताओं को बदलने के लिए कर रहे हैं।



रूस से तेल खरीद बंद करने पर क्या होगा?

अगर भारत को रूसी तेल का आयात कम करने और महंगे विकल्पों की ओर रुख करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उसका वार्षिक कच्चे तेल का बिल 11 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है। इससे महंगाई बढ़ेगी और विकास पर असर पड़ेगा। साथ ही, अगर ट्रंप की टैरिफ की धमकी सच होती है, तो भारत के निर्यात क्षेत्र को सालाना 18 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है। इससे मुनाफा कम होगा, कीमतें बढ़ेंगी और छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों में नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी।



भारत ने दिया अमेरिका का उसी की भाषा में जवाब विदेश मंत्रालय (MEA) ने ट्रंप की टिप्पणी पर जवाब देते हुए कहा कि भारत ने रियायती रूसी तेल का रुख तब किया जब पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं ने यूरोप को निर्यात करना शुरू कर दिया। उस समय, अमेरिका ने वैश्विक बाजारों को स्थिर करने के लिए भारत की खरीद का समर्थन किया था। MEA ने कहा कि भारत का आयात भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अनुमानित और सस्ती ऊर्जा लागत सुनिश्चित करने के लिए है। यह वैश्विक बाजार की स्थिति से मजबूर एक आवश्यकता है। MEA ने यह भी कहा कि 2024 में EU का रूस के साथ व्यापार भारत की तुलना में काफी अधिक था, और अमेरिका अभी भी रूस से यूरेनियम, पैलेडियम और उर्वरक का आयात करता है।



MEA ने जोर देकर कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हित के अनुसार काम करेगा, और इसे अलग-थलग करने के प्रयास व्यापक व्यापारिक वास्तविकताओं को नजरअंदाज करते हैं। इसकी ऊर्जा पसंद आर्थिक सुरक्षा और व्यावहारिक कूटनीति पर आधारित हैं। इसलिए, ट्रम्प की रणनीति तेल की राजनीति को व्यापार दबाव के साथ मिलाती है। उनकी नवीनतम चेतावनी न केवल मास्को पर गुस्सा दिखाती है, बल्कि ऊर्जा गठबंधनों को फिर से बनाने और रणनीतिक प्रभाव को बढ़ाने की अमेरिका की व्यापक इच्छा को भी दर्शाती है।

Loving Newspoint? Download the app now