नई दिल्ली: तुर्की और अजरबैजान ने बेशर्मी की मिसाल कायम की है। हमने इन देशों की तरक्की चाही। बदले में इन्होंने पीठ में चाकू भोंक दिया। भारत से संघर्ष में पाकिस्तान के साथ खड़े होकर इन्होंने अपनी औकात दिखाई है। आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। भारत की चार कंपनियों ने अप्रैल में तुर्की और अजरबैजान में लगभग 60 लाख डॉलर का निवेश करने का वादा किया। वहीं, ये दोनों देश पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। यह निवेश भारतीय कंपनियों की ओर से किए गए कुल 6.8 अरब डॉलर के विदेशी निवेश का छोटा सा हिस्सा है। तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारत की सैन्य कार्रवाई की आलोचना की थी। इसके बाद से ही इन देशों के साथ भारत के व्यापारिक रिश्तों में तनाव की आशंका जताई जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में भारत से दूसरे देशों में होने वाला एफडीआई लगभग 90 फीसदी बढ़कर 6.8 अरब डॉलर हो गया है।आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल के महीने में भारत से बाहर होने वाले निवेश में भारी बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल 2024 में यह निवेश 3.59 अरब डॉलर था, जो मार्च 2025 में बढ़कर 5.9 अरब डॉलर हो गया। अब अप्रैल में यह 6.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इनके अनुसार, तुर्की में ओमेगा प्लास्टो लिमिटेड, रामा प्योर वॉटर प्राइवेट लिमिटेड और एक्सिरो सेमीकंडक्टर प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों ने मिलकर 2.8 लाख डॉलर का निवेश किया है। यह निवेश संयुक्त उद्यमों और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों के माध्यम से किया गया है। इसका मतलब है कि कुछ कंपनियों ने मिलकर पैसा लगाया है, तो कुछ ने अपनी पूरी कंपनी ही वहां खोल दी है।वहीं, अजरबैजान में 'प्रोजेक्ट असलान' नाम की एक परियोजना ने कृषि और खनन क्षेत्रों में 56 लाख डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। इससे पता चलता है कि इन देशों में भारत की कंपनियां अलग-अलग तरह के कारोबार में पैसा लगा रही हैं। तुर्की और अजरबैजान से कितना व्यापार?अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्की को भारत का निर्यात 5.2 अरब डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 6.65 अरब डॉलर था। यह भारत के कुल 437 अरब डॉलर के निर्यात का लगभग 1.5 फीसदी है। अजरबैजान को भारत का निर्यात अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान केवल 8.60 करोड़ डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 8.96 करोड़ डॉलर था। यह भारत के कुल निर्यात का केवल 0.02 फीसदी है।अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्की से भारत का आयात 2.84 अरब डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 3.78 अरब डॉलर था। यह भारत के कुल 720 अरब डॉलर के आयात का लगभग 0.5 फीसदी है। अजरबैजान से आयात अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान 1.93 मिलियन था, जबकि 2023-24 में यह 0.74 मिलियन डॉलर था। यह भारत के कुल आयात का केवल 0.0002 फीसदी है। भारत का इन दोनों देशों के साथ ट्रेड सरप्लस है। इसका मतलब है कि भारत इन देशों को जितना सामान बेचता है, उससे कम खरीदता है। एक-दूसरे से क्या लेते-देते हैं?भारत तुर्की को खनिज ईंधन और तेल (2023-24 में 96 करोड़ डॉलर), बिजली उपकरण, ऑटो और उसके पार्ट्स, ऑर्गेनिक रसायन, फार्मा उत्पाद, टैनिंग और डाइंग आइटम, प्लास्टिक, रबर, कपास, मानव निर्मित फाइबर और फिलामेंट, लोहा और स्टील का निर्यात करता है।भारत तुर्की से विभिन्न प्रकार के मार्बल (ब्लॉक और स्लैब); सेब (लगभग 1 करोड़ डॉलर), सोना, सब्जियां, चूना और सीमेंट, खनिज तेल (2023-24 में 1.81 अरब डॉलर), रसायन और प्राकृतिक मोती का आयात करता है।भारत और तुर्की के बीच 1973 में एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता हुआ था। इसके बाद 1983 में भारत-तुर्की संयुक्त आयोग की स्थापना पर एक समझौता हुआ था।भारत अजरबैजान को तंबाकू और उसके उत्पाद (2023-24 में 28.67 मिलियन डॉलर), चाय, कॉफी, अनाज, रसायन, प्लास्टिक, रबर, पेपर और पेपर बोर्ड और सिरेमिक उत्पादों का निर्यात करता है। भारत अजरबैजान से पशु चारा, ऑर्गेनिक रसायन, आवश्यक तेल और परफ्यूमरी,कच्चे चमड़े और खाल का आयात करता है (अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान USD 1.52 मिलियन)। 2023 में भारत अजरबैजान के कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा डेस्टिनेशन था।
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