पटना: बिहार के विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में शाम 5 बजे तक प्राणपुर विधानसभा सीट पर सबसे अधिक 78.89 प्रतिशत मतदान हुआ। सबसे कम मतदान भागलपुर विधानसभा सीट पर हुआ। किशनगंज सीट पर मतदान में दूसरे स्थान पर रही।
प्राणपुर विधानसभा सीट पर सुबह 9 बजे तक 15.91 प्रतिशत, सुबह 11बजे तक 34.57, दोपहर 1 बजे तक 52.34, दोपहर 3 बजे तक 67.98 और शाम 5 बजे तक 78.89 प्रतिशत वोट पड़े। भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में सुबह 9 बजे तक 9.28 प्रतिशत, सुबह 11 बजे तक 20.82 प्रतिशत वोटिंग हुई। मतदान का आंकड़ा दोपहर में 1 बजे तक 33.98 और दोपहर 3 बजे तक 46.52 प्रतिशत ही हो पाया। शाम 5 बजे यह आंकड़ा 55.17 पहुंचा। किशनगंज में सुबह होते ही लोगों का लोकतंत्र के महापर्व के प्रति उत्साह दिखा। इस विधानसभा क्षेत्र में सुबह 9 बजे तक 16.21 फीसदी वोटिंग हुई। सुबह 11 बजे मतदान का आंकड़ा 35.91 प्रतिशत और दोपहर 1 बजे 53.05 प्रतिशत हो गया। इसके बाद दोपहर 3 बजे यह आंकड़ा 68.13 प्रतिशत पर पहुंच गया। शाम 5 बजे तक यहां 78.52 प्रतिशत मतदान हुआ।
किशनगंज में त्रिकोणीय मुकाबला किशनगंज विधानसभा सीट पर कुल 10 प्रत्याशी हैं। यहां त्रिकोणीय मुकाबला बीजेपी की स्वीटी सिंह, कांग्रेस के कमरूल हुदा और एआईएमआईएम के शम्स आगाज के बीच है। चुनाव में आम आदमी पार्टी के असरफ आलम, बीएसपी के प्रदीप रविदास, जन सुराज पार्टी के इसहाक आलम, जेजेडी के मोहम्मद तारिक अनवर, के अलावा तीन निर्दलीय उम्मीदवार हैं। इस क्षेत्र में कुल 2,83,097 मतदाता हैं, जिनमें महिलाएं 132625 और पुरुष 150461 हैं। किशनगंज सीट पर वर्ष 2010: 70.36 प्रतिशत, 2015 में 66.08 प्रतिशत और 2020 में 60.51 प्रतिशत मतदान हुआ था।
किशनगंज में इस बार कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक को टिकट न देकर कमरूल होदा को उम्मीदवार बनाया है। वे पहले एआईएमआईएम से विधायक रह चुके हैं। एआईएमआईएम ने इस बार शम्स आगाज को मैदान में उतारा है।
बीजेपी की स्वीटी सिंह पांचवी बार मैदान मेंकिशनगंज विधानसभा सीट पर भाजपा की मौजूदा प्रत्याशी स्वीटी सिंह चार बार चुनाव हार चुकी हैं। वे पांचवी बार फिर से किशनगंज विधानसभा सीट पर बीजेपी की टिकट से किस्मत आजमा रही हैं। स्वीटी सिंह पिछले डेढ़ दशक से किशनगंज में बीजेपी का सबसे पहचाना चेहरा हैं। पेशे से वकील और राजपूत समुदाय से आने वाली स्वीटी सिंह 2010 से इस सीट पर चुनाव लड़ रही हैं। स्वीटी सिंह सन 2010 में सिर्फ 264 वोटों से हारी थीं और 2020 में केवल 1381 वोटों से पराजित हुई थीं। सन 2015 में हार का अंतर 8,609 वोटों का था।
किशनगंज में यदि एआईएमआईएम फिर से मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल हुई तो इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है। किशनगंज में करीब 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। बीजेपी को मुस्लिम वोटों के विभाजित होने की उम्मीद है।
भागलपुर में कांग्रेस और बीजेपी का मुकाबलाभागलपुर में एक बार फिर कांग्रेस के अजीत शर्मा और बीजेपी के रोहित पांडे के बीच है। इनके अलावा जन सुराज पार्टी के अभयकांत झा की मौजूदगी भी चर्चा में है। इस सीट पर कुल 12 उम्मीदवार हैं। भागलपुर में साल 2020 के चुनाव में कांग्रेस के अजीत शर्मा ने बीजेपी के रोहित पांडे को 1113 (0.70%) वोटों के अंतर से हराया था। पिछले चुनाव में यहां 48.9 प्रतिशत वोट पड़े थे। विधानसभा क्षेत्र के कुल 328094 मतदाताओं में से 160570 ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।
भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में भागलपुर शहर और आसपास के क्षेत्र शामिल हैं। यहां कांग्रेस और बीजेपी का दबदबा रहा है। कांग्रेस ने इस सीट पर 8 बार और बीजेपी ने 6 बार जीत हासिल की। इस क्षेत्र में तीन बार जनसंघ और एक बार जनता पार्टी ने भी जीत दर्ज कराई थी। भागलपुर सीट पहले बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भागलपुर से निरंतर 5 बार सन 1995 से 2010 तक विधायक रहे। सन 2014 के उपचुनाव में यह सीट फिर से कांग्रेस के कब्जे में आ गई। कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने इस सीट पर लगातार 3 चुनावों में विजय हासिल की। पांच साल पहले सन 2020 के विधानसभा चुनाव में अजीत शर्मा ने बीजेपी के रोहित पांडे को हराया था। एलजेपी के राजेश वर्मा तीसरे नंबर पर रहे थे।
प्राणपुर विधानसभा सीट पर सुबह 9 बजे तक 15.91 प्रतिशत, सुबह 11बजे तक 34.57, दोपहर 1 बजे तक 52.34, दोपहर 3 बजे तक 67.98 और शाम 5 बजे तक 78.89 प्रतिशत वोट पड़े। भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में सुबह 9 बजे तक 9.28 प्रतिशत, सुबह 11 बजे तक 20.82 प्रतिशत वोटिंग हुई। मतदान का आंकड़ा दोपहर में 1 बजे तक 33.98 और दोपहर 3 बजे तक 46.52 प्रतिशत ही हो पाया। शाम 5 बजे यह आंकड़ा 55.17 पहुंचा। किशनगंज में सुबह होते ही लोगों का लोकतंत्र के महापर्व के प्रति उत्साह दिखा। इस विधानसभा क्षेत्र में सुबह 9 बजे तक 16.21 फीसदी वोटिंग हुई। सुबह 11 बजे मतदान का आंकड़ा 35.91 प्रतिशत और दोपहर 1 बजे 53.05 प्रतिशत हो गया। इसके बाद दोपहर 3 बजे यह आंकड़ा 68.13 प्रतिशत पर पहुंच गया। शाम 5 बजे तक यहां 78.52 प्रतिशत मतदान हुआ।
किशनगंज में त्रिकोणीय मुकाबला किशनगंज विधानसभा सीट पर कुल 10 प्रत्याशी हैं। यहां त्रिकोणीय मुकाबला बीजेपी की स्वीटी सिंह, कांग्रेस के कमरूल हुदा और एआईएमआईएम के शम्स आगाज के बीच है। चुनाव में आम आदमी पार्टी के असरफ आलम, बीएसपी के प्रदीप रविदास, जन सुराज पार्टी के इसहाक आलम, जेजेडी के मोहम्मद तारिक अनवर, के अलावा तीन निर्दलीय उम्मीदवार हैं। इस क्षेत्र में कुल 2,83,097 मतदाता हैं, जिनमें महिलाएं 132625 और पुरुष 150461 हैं। किशनगंज सीट पर वर्ष 2010: 70.36 प्रतिशत, 2015 में 66.08 प्रतिशत और 2020 में 60.51 प्रतिशत मतदान हुआ था।
किशनगंज में इस बार कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक को टिकट न देकर कमरूल होदा को उम्मीदवार बनाया है। वे पहले एआईएमआईएम से विधायक रह चुके हैं। एआईएमआईएम ने इस बार शम्स आगाज को मैदान में उतारा है।
बीजेपी की स्वीटी सिंह पांचवी बार मैदान मेंकिशनगंज विधानसभा सीट पर भाजपा की मौजूदा प्रत्याशी स्वीटी सिंह चार बार चुनाव हार चुकी हैं। वे पांचवी बार फिर से किशनगंज विधानसभा सीट पर बीजेपी की टिकट से किस्मत आजमा रही हैं। स्वीटी सिंह पिछले डेढ़ दशक से किशनगंज में बीजेपी का सबसे पहचाना चेहरा हैं। पेशे से वकील और राजपूत समुदाय से आने वाली स्वीटी सिंह 2010 से इस सीट पर चुनाव लड़ रही हैं। स्वीटी सिंह सन 2010 में सिर्फ 264 वोटों से हारी थीं और 2020 में केवल 1381 वोटों से पराजित हुई थीं। सन 2015 में हार का अंतर 8,609 वोटों का था।
किशनगंज में यदि एआईएमआईएम फिर से मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल हुई तो इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है। किशनगंज में करीब 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। बीजेपी को मुस्लिम वोटों के विभाजित होने की उम्मीद है।
भागलपुर में कांग्रेस और बीजेपी का मुकाबलाभागलपुर में एक बार फिर कांग्रेस के अजीत शर्मा और बीजेपी के रोहित पांडे के बीच है। इनके अलावा जन सुराज पार्टी के अभयकांत झा की मौजूदगी भी चर्चा में है। इस सीट पर कुल 12 उम्मीदवार हैं। भागलपुर में साल 2020 के चुनाव में कांग्रेस के अजीत शर्मा ने बीजेपी के रोहित पांडे को 1113 (0.70%) वोटों के अंतर से हराया था। पिछले चुनाव में यहां 48.9 प्रतिशत वोट पड़े थे। विधानसभा क्षेत्र के कुल 328094 मतदाताओं में से 160570 ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।
भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में भागलपुर शहर और आसपास के क्षेत्र शामिल हैं। यहां कांग्रेस और बीजेपी का दबदबा रहा है। कांग्रेस ने इस सीट पर 8 बार और बीजेपी ने 6 बार जीत हासिल की। इस क्षेत्र में तीन बार जनसंघ और एक बार जनता पार्टी ने भी जीत दर्ज कराई थी। भागलपुर सीट पहले बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भागलपुर से निरंतर 5 बार सन 1995 से 2010 तक विधायक रहे। सन 2014 के उपचुनाव में यह सीट फिर से कांग्रेस के कब्जे में आ गई। कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने इस सीट पर लगातार 3 चुनावों में विजय हासिल की। पांच साल पहले सन 2020 के विधानसभा चुनाव में अजीत शर्मा ने बीजेपी के रोहित पांडे को हराया था। एलजेपी के राजेश वर्मा तीसरे नंबर पर रहे थे।
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