नई दिल्ली: देश की दिग्गज विमान निर्माता सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 97 तेजस मार्क-1A लड़ाकू विमानों का टेका मिल गया है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने HAL के साथ 62,370 करोड़ रुपये करार किया है। मगर, बड़ा सवाल यह है कि भारतीय वायु सेना यानी IAF को फरवरी 2021 में 46,898 करोड़ रुपये में 83 एडवांस तेजस जेट बनाने का ठेका दिया गया था। हालांकि, इस ऑर्डर के बावजूद वायुसेना को तेजस की पहली यूनिट भी अभी तक नहीं मिली है। वायुसेना चीफ एपी सिंह भी बेहद निराश होकर कहा था कि एक भी सिंगल प्रोजेक्ट टाइम पर पूरा नहीं हो पाया है। समझते हैं कि तेजस का तेज वायुसेना के जंगी बेड़े में आने से पहले ही क्यों फीका हो गया?
धूर्त दुश्मन से निपटने के लिए लानी होगी तेजी
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह डील चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा देगी। इससे भारतीय वायुसेना का जंगी बेड़ा पूरी तरह अपडेट हो जाएगा। भारतीय वायुसेना के आंतरिक आकलन के हवाले से कहा गया है कि वायुसेना को अपने धूर्त दुश्मनों और खतरे से से निपटने के लिए अपने अधिकृत 42.5 लड़ाकू स्क्वाड्रनों से भी कहीं अधिक की आवश्यकता होगी। भारतीय वायुसेना ने एकल इंजन वाले तेजस लड़ाकू विमानों के बेहद धीमी विकास गाथा पर बार-बार खतरे की घंटी बजाई है। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी कह चुके हैं कि वायुसेना संख्या के मामले में बहुत खराब स्थिति में है और युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए उसे अपने जंगी बेड़े में हर साल कम से कम 40 लड़ाकू विमान चाहिए। मगर, इसमें काफी देरी हो रही है। तेजस का पहला करार 2021 में किया गया था, मगर चार साल बाद भी हालात जस के तस हैं।
पाकिस्तान से कैसे मुकाबला कर पाएंगे हम
पाकिस्तान 25 लड़ाकू स्क्वॉड्रनों के साथ भारत के करीब ही चल रहा है और निकट भविष्य में उसे कम से कम 40 J-35A के पांचवीं पीढ़ी के चीनी स्टील्थ जेट मिलेंगे। ऐसे में भारत की तुलना में चीन लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों और फाइटर्स की संख्या के साथ काफी आगे है। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान ने 200 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली PL-15 दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस J-10 जैसे चीनी मूल के जेट विमानों का इस्तेमाल किया था। पाकिस्तान चीन से अभी और ऐसे जंगी जेट्स हासिल करने की फिराक में है।
2028 तक 83 तेजस की डिलीवरी होनी थी
HAL को 2021 के करार के तहत 83 तेजस मार्क-1A जेट विमानों की डिलीवरी फरवरी 2024 से फरवरी 2028 के बीच करना था। अभी तक इसमें एक भी विमान मिल नहीं पाए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक सूत्र के हवाले से बताया कि भारतीय वायुसेना इस बात पर अड़ी थी कि पहले के 83 जेट विमानों की डिलीवरी शुरू होने से पहले नए करार पर दस्तखत नहीं करना चाहिए। देरी के लिए HAL को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। हालांकि, रक्षा मंत्रालय को अपना बजट निर्धारित समय सीमा के भीतर खर्च करना होगा। कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत होने के बाद शुरुआती भुगतान एचएएल को जाएगा।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में कहां फंसा है पेंच
एचएएल का दावा है कि वह अक्टूबर में 83 तेजस जेट विमानों में से पहले दो की डिलीवरी कर पाएगा। एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक को 99 GE-F404 टर्बोफैन इंजनों की डिलीवरी करनी है, जिसके लिए HAL ने अगस्त 2021 में 5,375 करोड़ रुपये का सौदा किया था। अब इस स्थिति में सुधार होता दिख रहा है। GE ने अब तक तीन इंजन दिए हैं और दिसंबर तक 7 और इंजन देने का प्लान है। इसके बाद हर साल 20 इंजन देगी।
अमेरिका से 113 और इंजनों के लिए करार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फाइटर जेट इंजन के मामले में अमेरिका भरोसेमंद पार्टनर नहीं है। HAL अमेरिकी कंपनी GE के साथ 1 अरब डॉलर में 113 और ऐसे इंजनों के लिए एक और सौदा करेगा। हालांकि, भारतीय वायुसेना पहले दो लड़ाकू विमानों को तभी अपने जंग बेड़े में शामिल करेगी, जब हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र मिसाइलों, उन्नत कम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और उनसे दागे जाने वाले लेजर-गाइडेड बमों के मौजूदा परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे हो जाएं।
धूर्त दुश्मन से निपटने के लिए लानी होगी तेजी
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह डील चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा देगी। इससे भारतीय वायुसेना का जंगी बेड़ा पूरी तरह अपडेट हो जाएगा। भारतीय वायुसेना के आंतरिक आकलन के हवाले से कहा गया है कि वायुसेना को अपने धूर्त दुश्मनों और खतरे से से निपटने के लिए अपने अधिकृत 42.5 लड़ाकू स्क्वाड्रनों से भी कहीं अधिक की आवश्यकता होगी। भारतीय वायुसेना ने एकल इंजन वाले तेजस लड़ाकू विमानों के बेहद धीमी विकास गाथा पर बार-बार खतरे की घंटी बजाई है। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी कह चुके हैं कि वायुसेना संख्या के मामले में बहुत खराब स्थिति में है और युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए उसे अपने जंगी बेड़े में हर साल कम से कम 40 लड़ाकू विमान चाहिए। मगर, इसमें काफी देरी हो रही है। तेजस का पहला करार 2021 में किया गया था, मगर चार साल बाद भी हालात जस के तस हैं।

पाकिस्तान से कैसे मुकाबला कर पाएंगे हम
पाकिस्तान 25 लड़ाकू स्क्वॉड्रनों के साथ भारत के करीब ही चल रहा है और निकट भविष्य में उसे कम से कम 40 J-35A के पांचवीं पीढ़ी के चीनी स्टील्थ जेट मिलेंगे। ऐसे में भारत की तुलना में चीन लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों और फाइटर्स की संख्या के साथ काफी आगे है। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान ने 200 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली PL-15 दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस J-10 जैसे चीनी मूल के जेट विमानों का इस्तेमाल किया था। पाकिस्तान चीन से अभी और ऐसे जंगी जेट्स हासिल करने की फिराक में है।
As Modi Gov signed contract with HAL for Procurement of 97 additional Tejas MK1A. The total number of Tejas in IAF will be 220 👇
— Vivek Singh (@VivekSi85847001) September 25, 2025
>40×MK1 (8 Trainer)
>83×MK1A (10 Trainer)
>97×MK1A (29 Trainer)
📷 Watermark. pic.twitter.com/IRCMMCYQxn
2028 तक 83 तेजस की डिलीवरी होनी थी
HAL को 2021 के करार के तहत 83 तेजस मार्क-1A जेट विमानों की डिलीवरी फरवरी 2024 से फरवरी 2028 के बीच करना था। अभी तक इसमें एक भी विमान मिल नहीं पाए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक सूत्र के हवाले से बताया कि भारतीय वायुसेना इस बात पर अड़ी थी कि पहले के 83 जेट विमानों की डिलीवरी शुरू होने से पहले नए करार पर दस्तखत नहीं करना चाहिए। देरी के लिए HAL को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। हालांकि, रक्षा मंत्रालय को अपना बजट निर्धारित समय सीमा के भीतर खर्च करना होगा। कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत होने के बाद शुरुआती भुगतान एचएएल को जाएगा।
🚨Defence ministry Inks Rs 62,370-Crore deal with HAL for 97 LCA Tejas Mk1A Fighter Jets. pic.twitter.com/t5faZDKpLo
— Indian Infra Report (@Indianinfoguide) September 25, 2025
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में कहां फंसा है पेंच
एचएएल का दावा है कि वह अक्टूबर में 83 तेजस जेट विमानों में से पहले दो की डिलीवरी कर पाएगा। एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक को 99 GE-F404 टर्बोफैन इंजनों की डिलीवरी करनी है, जिसके लिए HAL ने अगस्त 2021 में 5,375 करोड़ रुपये का सौदा किया था। अब इस स्थिति में सुधार होता दिख रहा है। GE ने अब तक तीन इंजन दिए हैं और दिसंबर तक 7 और इंजन देने का प्लान है। इसके बाद हर साल 20 इंजन देगी।
अमेरिका से 113 और इंजनों के लिए करार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फाइटर जेट इंजन के मामले में अमेरिका भरोसेमंद पार्टनर नहीं है। HAL अमेरिकी कंपनी GE के साथ 1 अरब डॉलर में 113 और ऐसे इंजनों के लिए एक और सौदा करेगा। हालांकि, भारतीय वायुसेना पहले दो लड़ाकू विमानों को तभी अपने जंग बेड़े में शामिल करेगी, जब हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र मिसाइलों, उन्नत कम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और उनसे दागे जाने वाले लेजर-गाइडेड बमों के मौजूदा परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे हो जाएं।
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