नई दिल्ली: दशकों से यमुना में सफाई का काम जारी है। जिससे यमुना में बढ़ रहे प्रदूषण को कम कर पानी को साफ किया जा सके। लेकिन इसके बाद भी दिल्ली की जीवन रेखा कही जाने वाली यमुना आज प्रदूषण का सबसे बड़ा उदाहरण बन चुकी है। जल बोर्ड के अनुसार दिल्ली में कुल 37 एसटीपी हैं। दशकों से 18 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को अपग्रेड कर रहा है। लेकिन अब तक 18 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटो का 38-39 प्रतिशत हिस्से का ही अपग्रेडेशन हो पाया है। जल बोर्ड का दावा है कि 4 STP का अपग्रेडेशन का काम पूरा हो चुका है और उन सभी का ट्रायल किया जा रहा है। दशकों से STP किए जा रहे अपग्रेडयमुना को साफ करने की कवायद में दशकों से जल बोर्ड 18 STP अपग्रेड कर रहा है, ताकि गंदे पानी को ट्रीट किया जा सके और यमुना में साफ पानी ही छोड़ा जाए। 18 में से अबतक 38-39 प्रतिशत ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) अपग्रेडेशन वर्क कंप्लीट हो पाया है। बाकी 4 STP का अपग्रेडेशन वर्क पूरा कर ट्रायल होने का दावा किया जा रहा है। 7 STP को अपग्रेड करने का काम काफी बाकी है। जल बोर्ड ने इन सातों STP का काम कंप्लीट करने का डेडलाइन बढ़ाकर दिसंबर, 2026 कर दिया है। इसके पहले भी जल बोर्ड ने अपग्रेडेशन वर्क का डेडलाइन कई बार चेंज किया है। इन प्लांट्स का हुआ अपग्रेडेशन, ये रह रहें बाकीरिठाला फेज-2, कोंडली फेज-4, रोहिणी सेक्टर-25, नरेला, नजफगढ़, कोरोनेशन फेज-1, फेज-2, कोरोनेशन पिलर फेज-3 इन सभी STP को अपग्रेड करने का काम पूरा हो चुका है। रिठाला और कोंडली STP की कपैसिटी 40 एमजीडी और 45 एमजीडी है। इनकी कपैसिटी में कोई बढोतरी नहीं की गई है। रोहिणी सेक्टर-25 STP की कैपसिटी 15 एमजीडी से बढ़ाकर 25 एमजीडी, नरेला की कपैसिटी 10 एमजीडी से 15 एमजीडी की गई है। पप्पन कलां, निलोठी, केशोपुर फेज-2 और फेज-3, इन चारों STP की कपैसिटी 120 एमजीडी से बढ़ाकर 170 किया गया है। दावा यह किया जा रहा है कि चारों का काम कंप्लीट हो चुका है। ओखला फेज-5, महरौली, घीटोरनी, वसंतकुंज और यमुना विहार फेज-1 STP को भी अपग्रेड करना है, लेकिन इनका अपग्रेडेशन वर्क अब अगले साल दिसंबर में पूरा करने का डेडलाइन तय किया गया है। 10 साल पहले ही बना था प्लानजल बोर्ड सूत्रों के अनुसार दिल्ली में जल बोर्ड के कुल 37 STP हैं, जिनमें से 18 की कपैसिटी अपग्रेड करने का प्लान करीब 9-10 साल पहले बनाया गया था। दिल्ली में रोजाना जो 792 एमजीडी सीवेज वॉटर जनरेट होता है, उसका अधिकांश मात्रा इन STP में ट्रीट कर यमुना में छोड़ा जाए, ताकि यमुना नदी से प्रदूषण की मात्रा कम हो सके। लेकिन, आजतक अपग्रेडेशन वर्क कंप्लीट ही नहीं हो पाया। अपग्रेडेशन वर्क कंप्लीट नहीं हो पाने की वजह से ही नए STP का निर्माण की योजनाएं बनाई जा रही हैं। दिल्ली में रोजाना घरों से जो 792 एमजीडी सीवेज जनरेट होता है, उसमें से मुश्किल से 640 एमजीडी के आसपास ही ट्रीट हो पाता है। जून 2025 तक सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता हो जाएगी 103 प्रतिशतजून 2025 तक राजधानी की सीवेजेज ट्रीटमेंट क्षमता बढ़कर 103 प्रतिशत हो जाएगी। इससे यमुना को साफ करने में मदद मिलेगी। यह दावा दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमिटी (डीपीसीसी) की यमुना पर आई ताजा रिपोर्ट में किया गया है। अपग्रेडेशन के बाद कितनी होगी क्षमता डीपीसीसी की इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राजधानी में जून 2025 तक सीवेजेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की कुल क्षमता बढ़कर 814 एमजीडी हो जाएगी। यह उत्पादित सीवेज का 103 प्रतिशत है। यह स्वच्छ यमुना की दिशा में एक अहम कदम होगा। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में अनुमानित तौर पर 792 एमजीडी सीवेज जेनरेट होता है।
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