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मुश्किल चुनौती

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और NCR के लिए बुधवार की सुबह असामान्य रही। जिस तरह से एक के बाद एक अलग-अलग स्कूलों में बम रखे होने की खबर आने लगीं, उससे न केवल स्कूल के स्टाफ, बच्चों और अभिभावकों में घबराहट फैली बल्कि इसे देख-सुन रहे सभी लोग सकते में आ गए। हालांकि, करीब 200 स्कूलों को चपेट में लेने वाली यह खबर पूरी तरह फर्जी निकली, लेकिन देश की राजधानी में अफरातफरी की स्थिति तो इसने बना ही दी। साजिश के शुरुआती संकेत : यूं तो किसी आतंकी संगठन या ग्रुप ने अब तक इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन जो शुरुआती संकेत मिले हैं, उनके मद्देनजर इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश से इनकार नहीं किया जा रहा। सभी स्कूलों को एक ही कंटेंट ईमेल किया गया। ईमेल भेजने के लिए रूसी VPN का इस्तेमाल हुआ है, लेकिन सभी मेल एक ही आईडी से भेजे गए हैं। जिस तैयारी से ईमेल भेजी गई है, उसे देखते हुए विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इसकी ओरिजिन पता लगाना आसान नहीं होगा। बन रहा है ट्रेंड : ध्यान रहे, यह हाल के दिनों में अपने ढंग की सबसे बड़ी भले हो, पहली घटना नहीं है। मंगलवार को ही राष्ट्रपति भवन समेत कुल 103 सरकारी बिल्डिंगों में बम रखे होने की ईमेल भेजी गई थी। यह अलग बात है कि स्कूल, बच्चे और अभिभावक जैसे कारकों की गैरमौजूदगी में उससे अफरातफरी के हालात नहीं बने। लेकिन स्कूलों की ही बात करें तो भी यह पिछले तीन महीने में हुई तीसरी घटना है। अप्रैल की शुरुआत में कोलकाता के करीब 200 स्कूलों में इसी तरह बम रखे होने की अफवाह फैलाई गई थी। उससे पहले फरवरी में चेन्नै के 13 स्कूल निशाने पर आए थे। बेहतर तैयारी : जाहिर है, सुरक्षा बलों की चौकसी और आतंकी तत्वों पर लगातार रखी जा रही नजर के कारण आतंकी वारदात को अंजाम देने के बजाय इस तरह की अफवाह फैलाना अपेक्षाकृत आसान है। लिहाजा, देश में अशांति, बेचैनी और घबराहट का माहौल पैदा करने की इच्छुक ताकतें इस तरह की हरकतें जारी रख सकती हैं। निश्चित रूप से सुरक्षा बलों को इस चुनौती से निपटने की बेहतर तैयारी करनी होगी। अंतरराष्ट्रीय सहयोग : अंतरराष्ट्रीय जांच वाले पहलू की बात करें तो भारत की स्थिति बहुत अच्छी नहीं दिखती। पारस्परिक कानूनी सहायता सुनिश्चित करने वाली संधि MLAT (म्युचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी) भी भारत की सिर्फ 42 देशों के साथ है। बुडापेस्ट कन्वेंशन ऑन सायबर क्राइम पर भी भारत ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिसके तहत विभिन्न देश संयुक्त जांच करते और आपस में सबूत साझा करते हैं। अस्पतालों और स्कूलों में बम की अफवाह जैसी चुनौतियों से कुशलतापूर्वक निपटने के लिए इन तमाम पहलुओं पर ध्यान देते हुए आगे बढ़ना होगा।
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