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Sanatan Ka Rahashya : कितने प्रकार की होती है संतान? सनातन धर्म का यह रहस्य कर देगा हैरान

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सनातन धर्म में संतान के 7 प्रकार बताए गए हैं। अगर अपने जीवन में इन सातों संतान पर ध्यान केंद्रित न किया जाए, तो मृत्यु के बाद आत्मा को स्वर्ग प्राप्त नहीं हो पाता है। लोग केवल अपनी संतान की कामना करते हैं, जिससे पापों से मुक्ति नहीं मिल पाती है। स्वर्ग प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को सनातन धर्म में बताए गए सात प्रकार की संतान को जीवन में अपनाना आवश्यक बताया गया है। आइए विस्तार से जानें की संतान के 7 प्रकार कौन-कौन से होते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार 7 संतानअच्छे शास्त्रों को सुनना यानी सद्मार्ग पर ले जाने वाली शास्त्र सम्मत बातों को सुनना, तीर्थ यात्रा करना, सज्जनों की संगति, जल का दान करना, अन्न दान करना, पीपल का पेड़ लगाना और अपनी संतान, सनातन धर्म में संतान के ये सात प्रकार बताए गए हैं। माना जाता है कि इन्हें अपने जीवन में न अपनाने से व्यक्ति को स्वर्ग नहीं मिलता है। कई बार सैकड़ों धर्म करने के बावजूद भी लोगों को संतान की प्राप्ति नहीं हो पाती है। ऐसे में संतान की इच्छा रखने वालों को कपूर, इलायची और सुपारी सहित उत्तम चीजों का दान करना चाहिए। जो लोग पशुओं को, पक्षियों को, मृगों को दान करने के साथ-साथ वृक्ष और पान का दान करते हैं उन्हें शरीर के संपूर्ण पापों से मुक्ति मिल सकती है। संतान सुख और धन यश पाने के उपाय पुराण मेंपान का दान करने से व्यक्ति को यश, धैर्य और धन की प्राप्ति जरूर होती है। इस एक दान को करने से जातक रोगों से दूर रहता और हमेशा स्वस्थ रहता है। अपने जीवन में इन सभी कार्यों को करने वाले लोगों को जीवन में मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। वहीं, गर्मियों के मौसम में लस्सी का दान करना बहुत फलदायी माना जाता है। जो लोग गर्मियों में जरूरतमंदों को लस्सी दान करते हैं उन्हें संसार के सारे सुख प्राप्त हो सकते हैं और जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। 7 प्रकार की संतान को अपने जीवन में अपनाने के साथ-साथ इन वस्तुओं का दान करने से व्यक्ति को जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है।
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