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सरफिरा तो लग रहा था, पर हमला कर देगा, ये नहीं सोचा था; रेखा गुप्ता ने सुनाई हमले वाले दिन की दास्तां

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दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हुए हमले को अब दस दिन बीत चुके हैं। आरोपी राजेशभाई खिमजी इस समय पुलिस की हिरासत में है। शुरुआती पूछताछ से लेकर उसकी मंशा और नेटवर्क तक पर जांच जारी है। इस बीच रेखा गुप्ता ने पहली बार खुलकर उस घटना को याद किया और बताया कि उस दिन क्या कुछ हुआ था। उन्होंने कहा, “मुझे कभी लगा ही नहीं था कि इस तरह की वारदात मेरे साथ घट सकती है।”

जनसुनवाई के बीच अचानक हमला

रेखा गुप्ता ने न्यूज 18 को दिए इंटरव्यू में कहा कि जिस दिन हमला हुआ, उस समय नियमित जनसुनवाई चल रही थी। वे बताती हैं – “लोग अलग-अलग इलाकों से, यहां तक कि दूसरे राज्यों से भी मुझसे मिलने आते हैं। कोई गरीब होता है, कोई बेसहारा, तो कोई अपने किसी निजी संघर्ष को लेकर आता है। उस दिन सुरक्षा भी उतनी कड़ी नहीं थी। वैसे भी, जनसुनवाई में लोगों की इतनी सख्त चेकिंग नहीं हो पाती।”



उन्होंने बताया कि गुजरात से आया व्यक्ति भी उसी भीड़ का हिस्सा था। “वो जब पास आया, तो मैंने जरा भी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ करेगा। हां, उसका व्यवहार थोड़ा असामान्य लगा। आते ही बोला – मैं गुजरात से हूं, मेरा भाई जेल में है… उसे छुड़वा दो… सुप्रीम कोर्ट से कह दो… उसकी बातें कुछ समझ से बाहर थीं।”

"मासूम नहीं, हट्टा-कट्टा था"


सीएम गुप्ता कहती हैं कि उस शख्स की शक्ल-सूरत भी साधारण नहीं थी। “ना तो मासूमियत थी चेहरे पर, बल्कि अच्छा-खासा हट्टा-कट्टा दिख रहा था। मैंने कहा – ठीक है, सुनते हैं आपकी समस्या। जैसे ही आगे बढ़ने को कहा, वो अचानक मुझ पर झपट पड़ा।”

हमले के बाद का एहसास


रेखा गुप्ता ने स्वीकार किया कि घटना के बाद वह गहरे सदमे में थीं। उन्होंने कहा – “शुरुआत में दिमाग ही सुन्न हो गया। लगा कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ? फिर मैंने सोचा – उन औरतों का क्या हाल रहा होगा, जिन्होंने पहलगाम हमले में अपने परिजनों को खो दिया? वे तो सिर्फ अपने पति या परिवार के साथ छुट्टियां मनाने गई थीं। उनका क्या कसूर था? जब उनके साथ ऐसा हो सकता है तो मेरे साथ क्यों नहीं?”

"हमले से काम रुक नहीं सकता"


मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि इस तरह की घटनाओं से उनके कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा। “ये तो हादसे हैं, कभी भी, किसी के साथ हो सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम जनता से मिलना बंद कर दें या कार्यक्रम रुकवा दें। जनसुनवाई पहले की तरह चलती रहेगी और मैं लोगों के बीच जाती रहूंगी।”

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