डॉक्टर भले ही शारीरिक बीमारियों का इलाज दवाओं और मेडिकल तकनीकों से करते हों, लेकिन कई ऐसी समस्याएं भी होती हैं जिनमें घरेलू उपाय बेहद प्रभावशाली साबित होते हैं। इन्हीं उपायों में से एक है – हमारी अपनी मुंह की लार, जो सेहत के लिए किसी खजाने से कम नहीं मानी जाती। हमारे आस-पास कई चीजें प्राकृतिक औषधि की तरह काम करती हैं। मुंह की लार भी उन्हीं में से एक है। रिसर्च और पारंपरिक चिकित्सा दोनों ही यह मानते हैं कि लार में ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर की कई समस्याओं में लाभकारी होते हैं। यह पाचन को बेहतर करने के साथ-साथ त्वचा संबंधी समस्याओं और आंखों की देखभाल में भी कारगर है।
लार से मुंहासों और स्किन प्रॉब्लम्स में राहत
अक्सर हम गलत खानपान, तनाव, प्रदूषण या अनियमित दिनचर्या के कारण स्किन की समस्याओं से जूझते हैं – जैसे कि कील-मुंहासे और त्वचा का रूखापन। सुबह उठते ही चेहरे पर मुंह की लार लगाने से इन समस्याओं में राहत मिलती है। ऐसा इसलिए क्योंकि लार में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो बैक्टीरिया से लड़ते हैं और त्वचा को साफ रखते हैं।
लाइसोजाइम एंजाइम और स्किन के छिद्र
एक स्टडी में बताया गया है कि लार में मौजूद लाइसोजाइम एंजाइम चेहरे पर होने वाले मुंहासों को ठीक करने में मदद करते हैं। जिन लोगों की त्वचा ऑयली होती है, उनके स्किन पोर्स जल्दी बंद हो जाते हैं। ऐसे में लार को चेहरे पर लगाने से ये पोर्स खुलते हैं और स्किन की तैलीयता भी संतुलित होती है।
घाव भरने में भी असरदार है लार
जानकारियों के अनुसार, इंसानी लार में ऐसे कई प्रोटीन होते हैं जो घावों को जल्दी भरने में मदद करते हैं। खास बात यह है कि सुबह की लार को सिर्फ चेहरे की देखभाल के लिए ही नहीं, बल्कि आंखों की देखभाल के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। रिसर्च के अनुसार, अगर सुबह की लार को आंखों में काजल की तरह लगाया जाए, तो यह सूखी आंखों (dry eyes) की समस्या को दूर करता है।
पाचन तंत्र के लिए भी लाभकारी
सुबह जब आप पानी पीते हैं, तो रातभर मुंह में जमा लार आपके पेट में जाती है। यह पाचन क्रिया को सुधारने में सहायक होती है। आयुर्वेद में कहा गया है, “पेट साफ, तो रोग दाफ।” यानी पेट स्वस्थ रहेगा तो बीमारियां दूर रहेंगी – और इसमें लार का योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है।
लार की कमी से बचाव कैसे करें?
आयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि अगर लार बनने में कमी आ रही हो, तो हमारे किचन में ही इसका इलाज मौजूद है। कुछ प्राकृतिक उपाय जैसे मेथी, त्रिफला, आंवला का सेवन और विभिन्न प्रकार के दातुन (नीम, बबूल, पीपल, बेल आदि) का उपयोग लार की मात्रा बढ़ाने में मदद करते हैं।
लार बनने की क्षमता कम क्यों होती है?
लार बनने की प्रक्रिया कई कारणों से प्रभावित हो सकती है – जैसे रासायनिक टूथपेस्ट का अधिक प्रयोग, नशा करना या कुछ एलोपैथिक दवाओं के साइड इफेक्ट्स। इन सभी कारणों से मुंह सूखने लगता है और लार का उत्पादन घटता है, जो लंबे समय में पाचन और मुंह की स्वच्छता को प्रभावित कर सकता है।
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