नई दिल्ली, 7 अप्रैल . भारत और श्रीलंका के बीच मजबूत समुद्री संबंध हैं. इन संबंधों को और मजबूत करने के लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं. इस कड़ी में अब भारतीय नौसेना की ईस्टर्न फ्लीट का आधुनिक युद्धपोत ‘आईएनएस सह्याद्रि’ श्रीलंका की राजधानी कोलंबो पहुंचा है. सोमवार को ‘आईएनएस सह्याद्रि’ के कोलंबो पहुंचने पर भारतीय नौसेना ने इसकी जानकारी दी.
गौरतलब है कि नौसेनिक युद्धपोत ‘आईएनएस सह्याद्रि’ हिंद महासागर क्षेत्र में तैनात है. भारत का मानना है कि ‘आईएनएस सह्याद्रि’ का यह कोलंबो दौरा क्षेत्रीय सहयोग में एक अहम कदम है, जो समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है. ‘आईएनएस सह्याद्रि’ के कोलंबो पहुंचने के साथ ही अब यहां दोनों देशों के नौसैनिकों के बीच पेशेवर बातचीत आयोजित की जाएगी.
इस दौरान दोनों नौसेनाओं के जवान अपने-अपने अनुभव व ज्ञान-साझा सत्रों और संयुक्त गतिविधियों में भाग लेंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे दोनों समुद्री बलों के बीच संचालनात्मक समन्वय को और बढ़ावा मिलेगा. भारतीय नौसेना के ‘आईएनएस सह्याद्रि’ का श्रीलंका का यह दौरा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करता है. नौसेना के मुताबिक यह भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति तथा ‘महासागर’ पहल के तहत पड़ोसी देश के साथ सहयोग को आगे बढ़ाता है. भारतीय नौसेना का कहना है कि वह क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने और मित्र देशों के साथ नौसैनिक कूटनीति को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है.
इसके अलावा भारतीय नौसेना के स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस तरकश और रॉयल न्यूजीलैंड नौसेना के एंजैक-श्रेणी फ्रिगेट के जहाज के बीच एक महत्वपूर्ण समुद्री अभ्यास का आयोजन किया गया. दोनों देशों ने यह अभ्यास अदन की खाड़ी में किया. इसमें कई तरह के अभ्यास शामिल थे, जैसे कि क्रॉस-डेक लैंडिंग, क्रॉस बोर्डिंग, सी राइडर एक्सचेंज और सामरिक (टैक्टिकल) युद्धाभ्यास. रक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह अभ्यास दोनों नौसेनाओं को सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करने में सहायक रहा है. इससे द्विपक्षीय समुद्री सहयोग को मजबूत करने और पारस्परिक संचालन क्षमता को बढ़ाने का एक अवसर भी मिला है.
यह अभ्यास भारत और न्यूजीलैंड के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों को दर्शाता है. नौसेना के मुताबिक यह क्षेत्रीय समुद्री स्थिरता के प्रति भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता और एक प्रमुख सुरक्षा साझेदार के रूप में नौसेना की भूमिका को पुनः पुष्ट करता है.
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जीसीबी/एएस
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