लखनऊ, 24 मई . योगी सरकार प्रदेश के गांवों में स्वच्छता व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही वह अपशिष्ट निस्तारण की प्रक्रिया को पर्यावरण संरक्षण के साथ ही आमदनी बढ़ाने पर भी जोर दे रही है. सरकार न केवल साफ-सफाई सुनिश्चित कर रही है, बल्कि कचरे के प्रबंधन से बड़े पैमाने पर राजस्व भी अर्जित करने की दिशा में कार्य कर रही है. घरों के अपशिष्ट का सदुपयोग कर 90 हजार से अधिक ग्राम स्वच्छ व सशक्त बने हैं.
उल्लेखनीय है कि बीते दो वर्षों में ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने की दिशा में योगी सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं. अब गांवों में घर-घर से कूड़ा संग्रहण हो रहा है, जिससे जैविक खाद बनाकर आय प्राप्त की जा रही है और स्वच्छता के नए मानक स्थापित हो रहे हैं.
प्रक्रिया के अंतर्गत, प्रदेश की 22 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में घर-घर से कूड़ा इकट्ठा किया जा रहा है. इस योजना के जरिए हर घर से अपशिष्ट एकत्र कर उसका वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जा रहा है. इससे जहां पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं स्वच्छता की स्थिति में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है. इससे ग्राम पंचायतों की आय में भी वृद्धि हो रही है.
सरकार ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट) के लिए प्रदेश के 90,793 ग्रामों में ई-रिक्शा एवं ठेला गाड़ियों की व्यवस्था सुनिश्चित की है. यह वाहन ग्राम स्तर पर कूड़ा एकत्र करने में मददगार साबित हो रहे हैं. वहीं, 90,604 ग्रामों में खाद गड्ढे एवं वर्मी पिट बनाए गए हैं, जहां जैविक कचरे से खाद तैयार की जा रही है.
सरकार की इस योजना से वित्तीय लाभ भी प्राप्त हो रहा है. दो वर्षों की अवधि में ग्राम पंचायतों को कूड़े से लगभग पौने चार करोड़ रुपये की आय हुई है. इसमें घर-घर कूड़ा संग्रहण के जरिए तीन करोड़ रुपये उपभोक्ता शुल्क के रूप में प्राप्त हुए. वहीं, जैविक खाद से 48 लाख रुपये की आय अर्जित की गई. इसके अलावा, अजैविक कचरे से 29 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है.
ग्राम स्तर पर साफ-सफाई बनाए रखने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर डस्टबिन लगाए गए हैं. इससे ग्रामीणों में साफ-सफाई को लेकर जागरूकता बढ़ी है और अब लोग खुले में कचरा फेंकने से परहेज कर रहे हैं. योगी सरकार की यह पहल ग्राम पंचायतों को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है, बल्कि गांवों को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की दिशा में भी एक अनुकरणीय कदम साबित हो रही है. ग्रामीण विकास की इस नीति से उत्तर प्रदेश देश के अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बनकर उभर रहा है.
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एएस/
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